मंदिर दीवारों का ढांचा मात्र नहीं होता, उसमें हमारे मन की दुनिया बसी होती है। शायद इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा था—अवधेश के बालक चारि सदा तुलसी मन मंदिर में बिहरैं। यानी, अयोध्या नरेश के चार बालक राम, लक्ष्मण, भरत शत्रुघ्न सदैव तुलसी के मन रूपी मंदिर में विचरण करें। यह चर्चा इसलिए कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को पीएम मोदी भूमि पूजन करेंगे।
राम मंदिर के लिए लंबी अदालती लड़ाई के बाद अब जब मंदिर निर्माण की घड़ी आ गई है तो आप सभी सोच रहे होंगे कि आखिर भव्य राम मंदिर का स्वरूप कैसा होगा। आप सभी की कल्पनाओं में मंदिर की तरह तरह की तस्वीर उभर रही होगी। आप जानना चाह रहे होंगे कि आप की कल्पना से बाहर निकल कर यथार्थ के धरातल पर विराजमान होने होने वाला राम लला का मंदिर आखिर कैसा दिखेगा।
सूत्रों की मानें तो अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर के अब तीन नहीं पांच गुंबद होंगे। मंदिर अब 161 फुट अधिक ऊंचा होगा। यह फैसला राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक में किया गया। पहले मंदिर को 128 फुट ऊंचा बनाया जाना था, लेकिन अब इसे 289 फुट ऊंचा बनाया जाएगा। इतना ऊंचा गर्भगृह का गुंबद होगा, जिसके आसपास पांच और गुंबद बनाए जाएंगे। यही नहीं, मंदिर पहले 67 एकड़ में बनना था, लेकिन अब 120 एकड़ में बनेगा, जो दो के बजाय तीन मंजिल का होगा। ट्रस्ट का लक्ष्य है कि मंदिर तीन वर्षों में बन कर तैयार हो जाए। इस आधार पर भव्य राम मंदिर वर्ष 2023 में बन कर श्रद्धालुओं के दर्शन पूजन के लिए तैयार हो जाएगा।
इतने भव्य और बड़े मंदिर के लिए पहले से तराशे गए पत्थर कम पड़ जाएंगे। इसलिए पर्याप्त पत्थरों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए श्रवण कमेटी का गठन किया जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास ने बताया कि 40 किलो की चांदी की ईंट रखकर प्रधानमंत्री इसका शुभारंभ करेंगे। जमीन से साढ़े तीन फुट अंदर रखी जाने वाली ईंट में नक्षत्रों का प्रतीक होगा।
आप सोच रहे होंगे कि 5 अगस्त और पांच अतिरिक्त गुंबद का क्या चक्कर है। दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के आधार पर 5 अगस्त को ऐसा शुभ मुहुर्त है, जिसमें अगर भूमि पूजन किया जाए तो सर्वार्थ की सिद्धि प्राप्त होगी। यही देखकर ट्रस्ट ने इस तिथि को भूमि पूजन किए जाने की मांग की है।
देश के लोग मंदिर निर्माण की घटना के साक्षी बनना चाहते हैं, लेकिन भारी भरकम भारत की आबादी को वहां जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। शायद इसीलिए राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट कराने की मांग विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने उठाई है। विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि 5 अगस्त को सदियों की आकांक्षा पूरी होने वाली है, इसलिए देश और विदेश के करोड़ों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक मौके का गवाह बनना चाहते हैं। इसके लिए लाइव टेलीकास्ट की व्यवस्था की जानी चाहिए।
मंदिर के तकनीकी पक्षों की बात करें तो अभी जन्मभूमि स्थल की मिट्टी से संबंधित रिपोर्ट आनी बाकी है। मिट्टी की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि मिट्टी में ताकत कितनी है। रिपोर्ट आ जाने के बाद यह तय हो सकेगा कि मंदिर की नींव कितनी गहराई पर रखी जाएगी। मिट्टी के नमूने 60 फुट की गहराई से लिए जाएंगे। मंदिर निर्माण का यह कार्य लार्सेन एंड ट्यूब्रो कंपनी को दिया गया है।
अब बात आती है सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक पक्ष की। दरअसल, मंदिर का निर्माण सरकार नहीं करा रही है। सरकार ने सिर्फ मंदिर निर्माण के मार्ग में आ रही बाधाओं को दूर किया है। तो सवाल उठता है कि इतने भव्य और बड़े मंदिर निर्माण के लिए पैसा कहां से आएगा। यह दुनिया का तीसरा बड़ा मंदिर होगा और इसके निर्माण पर 100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे।
जाहिर है कि मंदिर देश के दस करोड़ श्रद्धालुओं के सहयोग से बनाया जाएगा। वर्षाऋतु के बाद परिस्थितियों के सामान्य होने पर जन सम्पर्क की रणनीति बनाई जाएगी। यह निर्णय शनिवार को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टियों की बैठक में किया गया। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए धन की कमी नहीं है। फिर भी कितना धन व्यय होगा, इसका अनुमान लगाना कठिन है। उन्होंने कहा कि धार्मिक कार्य में धन का अनुमान लगाना अनुचित है, जो भी सहयोग राशि प्राप्त होगी वह सब खर्च की जाएगी।
दरअसल, राम मंदिर के लिए समर्पण की यह भावना हमारी राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक है। राम हमारी राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं। अयोध्या से लंका तक उन्होंने पैदल यात्रा कर देश के एकत्व का मजबूत आधार प्रस्तुत किया। राम जैसे समाजवादी राजा अमीर और गरीब के बीच मजबूत सेतु होते हैं। राम ने यदि रावण जैसे बलशाली व चक्रवर्ती राजा को पराजित किया तो केवट, सबरी, अहिल्या और सुग्रीव जैसे गरीब, कमजोर, शोषित व प्रताड़ित लोगों का साथ देकर समाजवाद की भावना को पुष्ट किया। उनका मंदिर पूरी दुनिया को समाजवाद का संदेश देता रहेगा।