smart phone: आज हम स्मार्टफोन के बारे में जानकारी देंगे। दरअसल, जिस मोबाइल फोन में कंप्यूटर का काम करने की क्षमता अधिक होती है, उसे स्मार्टफोन कहते हैं। इस फोन की कनेक्टिविटी क्षमता भी बेसिक मोबाइल फोन से अधिक होती है। हम जानेंगे कि किस प्रकार हमारी दुनिया स्मार्टफोन की स्क्रीन में सिमटती जा रही है।
smart phone: नई नई सुविधाओं से लैस होते स्मार्टफोन
इंफोपोस्ट डेस्क
smart phone:शुरुआती दौर में जो स्मार्टफोन आए, उनमें प्रायः मोबाइल फोन की विशेषताओं के अलावा अन्य उपभोक्ता युक्तियों जैसे पीडीए, मीडिया प्लेयर, डिजिटल कैमरा, जीपीएस फोन आदि के गुण भी होते थे।
बाद के स्मार्टफोनों में इन सभी विशेषताओं के अलावा टचस्क्रीन, वेब ब्राउजिंग, वाई फाई, अन्य पार्टियों के मोबाइल अनुप्रयोग यानी ऐप्स, गति संसूचक यानी मोशन सेंसर, मोबाइल भुगतान की सुविधा आदि भी उपलब्ध हैं। अभी 80 प्रतिशत स्मार्टफोन गूगल के एंड्रॉइड और एप्पल इंक के आईओएस प्रचालन तंत्रों पर आधारित हैं।
मोबाइल फोन का इतिहास और विकास
मोबाइल फोन आज हमारी सबसे बड़ी जरूरतों में शामिल हो गया है। तभी तो हम मोबाइल फोन के बिना एक पल भी नहीं रह सकते। क्योंकि हमारे ज्यादातर कार्य स्मार्टफोन से संभव हो गए हैं। यही वजह है कि स्मार्टफोन पर हमारी निर्भरता बढ़ती जा रही है। भविष्य में सुविधाओं के असीमित विस्तार की संभावनाएं भरी पड़ी हैं। लेकिन उन सुविधाओं का लाभ हम तभी उठा पाएंगे, जब हम उनके बारे में विस्तार से जानेंगे।
जिन स्मार्टफ़ोन का हम इस्तेमाल कर रहे हैं, उनकी शुरुआती पीढ़ियां आज से 20 वर्ष पहले ही उपस्थित हो गई थीं। तभी तो मोबाइल फोन के विकास की कहानी रोचक और जानने योग्य है। ताकि हम अपनी जीवन शैली को विकसित मोबाइल फोन के अनुकूल बना सकें। क्योंकि अब मोबाइल फोन सूचना यानी इंफारमेशन और संचार यानी कम्यूनीकेशन का हब बन चुका है। लेकिन साधारण मोबाइल फोन कैसे अत्याधुनिक बन गए? जानते हैं विस्तार से।
दुनिया का पहला पोर्टेबल मोबाइल फोन
बात 1983 की है, जब दुनिया को अपना पहला पोर्टेबल मोबाइल फोन मिल गया। उसका नाम था मोटरोला डायनाटैक 8000एक्स। इसकी कीमत चार हजार अमेरिकी डालर थी। उस समय इसे प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जा रहा था। दो वर्षों बाद ब्रिटेन की धरती पर पहली बार मोबाइल फोन से काल की गई। फोन काल को वोडाफोन के चेयरमैन सर अर्नेस्ट हैरिसन के फोन से कनेक्ट किया गया।
वर्ष 1989 में, मोटरोला ने डायनाटैक के बाद 9800एक्स या माइक्रोटैक नाम से फोन के दूसरे मॉडल भी तैयार कर लिए। पूरे नब्बे के दशक में फिलिप फोन छाया रहा। इसमें एक फोल्ड डाउन कीबोर्ड कवर की व्यवस्था थी। इस कवर का इस्तेमाल लोग बड़े शान से कर रहे थे। ऐसा लगता था जैसे उनके हाथ में कोई अत्याधुनिक हथियार आ गया हो।
कुछ इस तरह हुई कंज्यूमर हैंडसेट की शुरुआत
सबसे पहले जीएसएम को लांच किया गया था। जीएसएम का पूरा नाम ग्लोबल सिस्टम्स फार मोबाइल कम्यूनीकेशन है। यह मोबाइल नेटवर्क के लिए एक सेकंड जनरेशन यानी टूजी स्टैंडर्ड है। इसे डिजिटल सेल्यूलर टेक्नोलॉजी भी कहते हैं। इसका प्रयोग मोबाइल वाइस और डाटा सेवा को ट्रांसमिट करने के लिए किया जाता है। इसे 850 MHz यानी मेगाहर्ट, 900 MHz, 1800 MHz और 1800 MHz फ्रीक्वेंसी बैंड पर आपरेट किया जाता है।
वर्ष 1991 में, जीएसएम की लांचिंग यूरोप में की गई। आर्बिटल टीपीयू 900 के साथ इसे मार्केट में पहली बार उतारा गया। लेकिन 1992 तक बिजनेस वाले ही मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर पा रहे थे। सामान्य उपभोक्ता की पहुंच में यह बहुत बाद में तब आया जब इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाने लगा और इसकी कीमतों में लगातार गिरावट आने लगी। इस बदलाव का लाभ सबसे पहले नोकिया ने उठाया। उसने नोकिया 1011 को उसी वर्ष लांच कर दिया था।
जब ज्यादा कलरफुल बनने लगे मोबाइल फोन
वर्ष 1995 से 1998 के बीच मोबाइल फ़ोन ज्यादा कलरफुल बनने लगे थे। आमतौर पर चार कलर आफर किए जाते थे। लेकिन वर्ष 1997 में सीमेंस के एस10 मोबाइल फोन ने फोन के डिस्प्ले में जान डाल दी थी। इसी वर्ष हेजेनक ने गलोबल हैंडी लांच कर दिया था। यह पहली डिवाइस थी जो बिना किसी बाहरी एरियल के काम कर सकती थी।
इस बार कस्टमाइजेशन में भी काफ़ी बदलाव किए गए। इरिक्सन ने स्वैपेबल कलर्ड फ्रंट कीबोर्ड पैनल आफर करना शुरू कर दिया। इसके बाद वाले वर्षों में नोकिया ने 5100 सीरीज में एक्सप्रेस आन इंटरचेंजेबल कलर्स की रेंज लांच की। यह पहला फैशन ओरिएंटेड फोन था। इसे मार्केट का पूरा सपोर्ट मिला और ज्यादातर उपभोक्तों के हाथों में यह नजर आने लगा।
फीचर फोन की ग्रोथ में आया जबरदस्त उछाल
वर्ष 1999 में, नोकिया ने अपना 7110 मॉडल लांच कर दिया। यह पहली डिवाइस थी जिसमें वैप का इस्तेमाल किया गया। इसके ठीक एक वर्ष बाद, शार्प ने दुनिया का पहला कैमरा फोन जे-एसएच04 लांच कर दिया। हालांकि यह उस समय केवल जापान में उपलब्ध था। लेकिन इस बात का संकेत मिल चुका था कि लोग अब फोन फोटोग्राफी के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं।
इस प्रकार पश्चिमी दुनिया में कैमरा फोन की शुरुआत हो गई। वर्ष 2002 में जब सोनी इरिक्सन ने टी68आई को जारी किया तो उसमें क्लिप आन कैमरा का इस्तेमाल किया गया। वर्ष 2003 से 2006 के बीच मोबाइल डाटा क्रांति का प्रादुर्भाव हो गया था। क्योंकि थ्रीजी के लागू होते ही डाउनलोड स्पीड काफी बढ़ चुकी थी। सबसे पहले मार्च 2003 में ब्रिटेन में दो एमबीपीएस की स्पीड के साथ थ्रीजी को आफर किया गया।
मोबाइल ईमेल की शुरुआत से बढ़ी ब्लैकबेरी की लोकप्रियता
रिम ने मोबाइल ईमेल को जन जन तक पहुंचा दिया। इसी की रेंज में ब्लैकबेरी डिवाइस 8100 पर्ल1 काफी लोकप्रिय हो चुकी थी। वर्ष 2003 में, फ्रंट फेसिंग कैमरा की शुरुआत हो गई। सोनी इरिक्सन जेड1010 के आने के बाद वीडियो कालिंग संभव हो पाई। लेकिन उस समय इसके फीचर ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाए।
वर्ष 2007 से 2010 के बीच स्वीपिंग और स्क्रोलिंग ने पारंपरिक बटन मेथड को पीछे छोड़ दिया।
इसी दौर यानी मई 2007 में एप्पल आई फोन से पहले ही पहली टचस्क्रीन डिवाइस के साथ एलजी प्राडा को लाया गया। लेकिन बाद में एप्पल ने साबित कर दिया कि कैपेसिटिव टचस्क्रीन क्षमता में वह सबसे बेहतर है। आगे हम बताएंगे कि स्मार्टफोन की सुपर फास्ट दुनिया किस प्रकार प्रगति कर रही है। आप जुड़े रहें इंफोपोस्ट न्यूज के साथ।