9th World Radio Day: स्वागत है आपका। आज वर्ड रेडियो डे है। रेडियो एक ऐसा माध्यम है जो अपनी बात को एक समय में करोड़ो लोगों तक पहुंचा देता है। आज इसी की बात करेंगे। इस मौके पर अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि असत्य न्यूज़ से लड़ने का हथियार सत्य न्यूज़ है। मोबाइल क्रांति फेक न्यूज़ को बढ़ावा ही देगी।
9th World Radio Day: फेक न्यूज़ एक बीमारी की तरह, रेडियो रायपुर की शुरुआत
कोरोना काल में रेडियो ने न सिर्फ गानों से मनोरंजन किया, बल्कि सामाजिक कार्य करने में भी पीछे नहीं हटा। चाहे वो मास्क लगाना हो, सेनिटाइज़ करना हो, गांव जाते हुए मज़दूरों को समझाना हो, लोगों को खाना बाँटना हो या सर्दी में गरीबों के लिए कपड़े जमा करके देना हो, रेडियो ने अपनी भूमिका निभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
मैं तारीफ करना चाहूंगा रेडियो जॉकी की, जो अपनी बात को इस तरह प्रभावी ढंग से व्यक्त करते हैं कि हर कोई सुनना चाहता है। आज मैं यह सब बातें इसीलिए कह रहा हूँ क्योंकि आज वर्ल्ड रेडियो डे है। और 9वें इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ़ जर्नलिस्म के दूसरे दिन हम रेडियो डे मना रहे हैं।
डॉ. संदीप मारवाह ने की रायपुर रेडियो की शुरुआत
यह कहना था एएएफटी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. संदीप मारवाह का, जिन्होंने वर्ल्ड रेडियो डे के मौके पर रायपुर रेडियो की शुरुआत की। इस मौके पर आयोजित वेबिनार में सीनियर जर्नलिस्ट डॉ. सुनील पाराशर, जर्नलिस्ट सुनील डैंग, फिल्म क्रिटिक मीना अय्यर, एडिटर ओमकारेश्वर पांडे, जर्नलिस्ट राजेश बादल, वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह और रेडियो ब्रॉडकास्टर अनूप बॉस ने फेक न्यूज़ पर परिचर्चा की।
परिचर्चा में डॉ. सुनील पाराशर ने कहा कि आज हर इंसान पत्रकार होता जा रहा है। क्योंकि उसके हाथ में मोबाइल नाम का प्राणी है जो हर चीज़ को कैप्चर कर लेता है। मोबाइल को प्राणी इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि उसमें चलने की क्षमता नहीं है बल्कि लोगो को चलाने की क्षमता बहुत है।
‘फर्जी खबरें नए खतरे के रूप में उभरी हैं, जिनका प्रसार करने वाले खुद को पत्रकार के तौर पर पेश करते हैं और इस महान पेशे को कलंकित करते हैं’’ या यूँ कहें कि कई पत्रकार तो सवाल भी स्वयं करते है और जवाबों के शब्द भी मुँह में ठूस देते हैं।
खुद ही न्याय भी कर देते हैं कुछ पत्रकार
यहाँ तक कि खुद ही न्याय भी कर देते हैं। उसका असर यह होता है कि जवाब देने वाला ही कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर लेता है जो देशहित में नहीं है। लेकिन पत्रकार के लिए यह ब्रेकिंग न्यूज़ बन जाती है।
राजेश बादल ने कहा कि फर्जी खबरें नये खतरे के रूप में सामने आई हैं, जो हमारे लोकतंत्र के साथ साथ विश्व स्तर पर भी हमें निम्न स्तर पर दिखाती है। जबकि आज पूरा विश्व हमें विश्व गुरु के रूप में देख रहा है।
सुनील डैंग ने कहा कि फेक न्यूज़ एक ऐसी बिमारी है या यूँ कहें कि फैलता हुआ कैंसर है, जिसमें उस पत्रकार की, पत्रकारिता की और उस प्रकाशन की मृत्यु होना अनिवार्य है।
फेक न्यूज़ को बढ़ावा
अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि असत्य न्यूज़ से लड़ने का हथियार सत्य न्यूज़ है। मोबाइल क्रांति फेक न्यूज़ को बढ़ावा ही देगी।
दिन के अन्य वेबिनार में फिल्म डायरेक्टर राहुल रवैल, लेखक व कवि लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, जर्नलिस्ट पूरन सिंह सरीन, अभिजीत ठाकर, आर. के. सिंह, दयानन्द वत्स, अतुल मोहन, मॉडल एंजेलिक मोनेट, विनोद अग्निहोत्री, सहर ज़मान, नाइजीरिया के प्रिंस लाए बेबोर, फ्रांस के फिल्म मेकर बेंसौदा मोहम्मद अहेद ने भाग लिया।