देश में नई शिक्षा नीति लागू होने से अब स्किल और रुचि अनुसार छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। साथ ही स्थानीय भाषाओं, साहित्य, संस्कृति एवं ऐतिहासिक विरासत को समृद्ध करने में मदद मिलेगी। इससे देश की लोक संस्कृति को भी बढ़ावा मिलेगा।
नई शिक्षा नीति में पर्यावरण, कला, अभिनय, खेल आदि क्षेत्रों को विशेष रूप से प्राथमिकता दी गई है। स्किल पर ज्यादा जोर दिया गया है। इससे छात्र-छात्राओं के कैरियर के लिए सही दिशा दी जा सकेगी। प्राध्यापकों, छात्र संगठन के प्रतिनिधियों सहित प्लस टू स्कूल के शिक्षकों ने स्वीकारा है कि शिक्षा में समय-समय पर बदलाव जरूरी है और सरकार का यह प्रयास सकारात्मक कदम है।
कॉलेज प्राध्यापक प्रो. अभय कुमार मनोज ने कहा है कि 21वीं सदी में स्किल पर विशेष जोर दिया गया है। नए फ्रेम में जारी शिक्षा नीति में स्किल पर आधारित शिक्षा की व्यवस्था है। इससे स्थानीय परम्परा समृद्ध होगी और क्षेत्र की पहचान विशेष रूप से बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि देश की विविध भाषाओं को ध्यान में रखते हुए इसे तैयार किया गया है। विशेषकर स्थानीय संस्कृति व लोक कला और अधिक समृद्ध होगी। सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में भाषा, साहित्य, संगीत, दर्शनशास्त्र, इंडोलाजी, कला, नृत्य, अभिनय, शिक्षण, गणित, अंकशास्त्र, समाजशास्त्र, खेल, अनुवाद और व्याख्या आदि के विभाग अनिवार्य होंगे।
कॉलेज प्राध्यापक प्रो. गौतम कुमार ने कहा है कि नई शिक्षा नीति के तहत स्थानीय भाषाओं, साहित्य, संस्कृति के साथ-साथ देश की लोक कलाओं व ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत का अध्ययन करने का अवसर छात्र-छात्राओं को मिलेगा। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा जिस प्रकार से निजी संस्थानों के हाथों में ही सिमट कर रह गई थी उस पर अब अंकुश लगेगा।
शिक्षक संजय कुमार वर्मा ने कहा है कि देश में नई शिक्षा नीति लागू होने से छात्र-छात्राओं को फायदा होगा। 1986 के बाद 2020 में शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। यह छात्र हित में उठाया गया कदम है। शिक्षा नीति में बदलाव जरूरी था। इससे अब छात्र-छात्राओं का नया स्वरूप सामने आएगा।
शिक्षक अशोक कुमार ने कहा है कि इस तरह की शिक्षा नीति के तहत भारत के हर किसी को शिक्षित करने का सपना पूरा हो सकेगा। नई शिक्षा नीति में पर्यावरण, कला, खेल क्षेत्रों को प्राथमिकता विशेष रूप से दी गई है। शिक्षा नीति में बदलाव देश के विकास के लिए जरूरी कदम है।
एनएसयूआई छात्र नेता सुदीप कुमार सुमन ने कहा है कि बदलते समय में इस तरह की शिक्षा नीति से फायदा होगा तो परेशानी भी आएगी। संचार क्रांति के इस युग में छात्र-छात्राओं को उनकी रुचि के अनुसार अध्ययन करने की स्वतंत्रता मिलेगी।
विद्यार्थी परिषद छात्र नेता सुजीत कुमार सान्याल ने कहा है कि पूर्व की शिक्षा नीति महज लोगों को डिग्रियों में बांधने का काम करती थी। अब यह समाप्त हो गया है। एचआरडी मंत्रालय का नामकरण शिक्षा मंत्रालय के नाम से होना कहीं न कहीं यह दर्शाता है कि अब आम लोगों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी।