
Agnipath scheme: सेना में भर्ती की नई योजना अग्निपथ को खारिज करने की मांग करते हुए तीन वकीलों ने अब तक तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की हैं। उधर, केंद्र सरकार ने कैवियट दाखिल करके कहा है कि कोई भी निर्णय लेने से पहले उसका भी पक्ष सुना जाए।
Agnipath scheme: अग्निपथ हिंसा पर एसआईटी जांच कराने की गुहार
आईपी डेस्क
नई दिल्ली। Agnipath scheme: सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अग्निपथ विवाद और हिंसा मामले में एसआईटी जांच कराने की गुहार लगाई गई है। याचिकाकर्ता ने अग्निपथ योजना पर सवाल उठाए हैं। उसने इसे एग्जामिन करने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किए जाने की गुहार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट विशाल तिवारी की एक जनहित याचिका में कहा गया है कि सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना के विरोध में देशभर में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। उससे सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है। उसकी जांच के लिए एसआईटी का गठन हो।
प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान
याचिकाकर्ता के मुताबिक, अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन के दौरान नई दिल्ली भागलपुर विक्रमशिला एक्स्प्रेस की 20 बोगियों में आग लगा दी गई। यह सब बिहार के लखीसराय और समस्तीपुर में हुआ। बिहार में हाइवे को रोक दिया गया है। ईस्टर्न रेलवे ने प्रदर्शनों को देखकर 164 ट्रेनें रद्द कर दी हैं।
बड़ी संख्या में ट्रेनों के पैसेंजर अलग-अलग स्टेशनों पर फंसे हैं। हाइवे जाम है। लोग बस स्टॉप पर भी फंसे हुए हैं। इंटर-स्टेट की 300 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र के अलावा यूपी, हरियाणा, राजस्थान, बिहार आदि को प्रतिवादी बनाया गया है।
याचिकाकर्ता की अर्जी में उठाए गए सवाल
याचिकाकर्ता ने कहा है कि देश पहले से कोरोना बीमारी से उबरने की कोशिश में लगा है। अभी गंभीर चिकित्सा, आर्थिक और सामाजिक कठिनाइयों को देश झेल रहा है। उससे अर्थव्यवस्था अभी रिकवर भी नहीं हुई है। लेकिन बीच में ही विवादित अग्निपथ योजना को लॉन्च किया गया। देश भर में युवाओं और अभ्यार्थियों में गुस्सा फूट पड़ा है।
यह स्कीम चार साल के कॉन्ट्रैक्ट जॉब की है। उसके बाद 25 फीसदी को सरकारी नौकरी मिलेगी। चिंता की बात यह है कि चार साल बाद जिन्हें स्थायी नौकरी नहीं होगी, उनके भविष्य का क्या होगा? कोई पेंशन नहीं है और चाल साल बाद 11 लाख रुपये ही हाथ में आएंगे।
अब तक तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर
अब तक तीन याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा चुकी हैं। इनमें अग्निपथ योजना पर रोक लगाने की मांग की गई है। उधर, केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कैवियट दाखिल करके कहा गया है कि कोई भी फैसला सुनाने से पहले केंद्र सरकार का भी पक्ष सुना जाए।
तीनों याचिकाएं तीन वकीलों ने दाखिल की हैं। पहली दो याचिकाएं एडवोकेट विशाल तिवारी और एमएल शर्मा ने दायर की थी। सोमवार को एडवोकेट हर्ष अजय सिंह ने भी एक याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दखल देने की गुजरिश कर दी।
अग्निपथ योजना के खिलाफ किसानों में भी गुस्सा
बता दें कि अग्निपथ योजना के खिलाफ किसानों में भी गुस्सा है। इसके विरोध में किसान नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में एक लंबा जुलूस निकाला गया। हो सकता है कि आने वाले दिनों में मामला और तूल पकड़े और देश के किसान भी अग्निपथ पर आंदोलित हो जाएं।
इसलिए केंद्र सरकार को सोच समझकर ही फैसले करने चाहिए। देश का दुर्भाग्य यह है कि सरकार तभी चेतनी है, जब बर्बादी चरम पर पहुंच जाती है। तीन कृषि कानून इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। किसान आंदोलन के तूल पकड़ने पर सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े थे और पीएम मोदी को माफी मांगनी पड़ी थी।