Agricultural Economy: भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था का संपूर्ण अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। वर्ष 2016 की बात करें, तो यह सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 22% हिस्सा है। देश के कुल कार्यबल का लगभग 69% हिस्सा इसी क्षेत्र में कार्यरत है। फिर भी कृषि क्षेत्र की अनेक चुनौतियां हैं। सीमित उपजाऊ भूमि क्षेत्र, सिंचाई सुविधाओं की कमी और मशीनीकरण की कमी का सामना कृषि क्षेत्र को करना पड़ रहा है।
Agricultural Economy: कृषि क्षेत्र कई लाभ प्राप्त करने में सक्षम नहीं
श्रीकांत सिंह
Agricultural Economy: एक दशक में निरंतर विकास के बावजूद, विशेष रूप से 2005-06 के बाद से, उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र कई लाभ प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो पाया है। किसानों की आबादी में लगातार गिरावट आई है। जबकि मजदूरों और भूमिहीन खेतिहर मजदूरों की आबादी बढ़ी है। इससे भी बुरी बात यह है कि परिवारों के दो या दो से अधिक कामकाजी सदस्यों के लिए कृषि मजदूरी बहुत कम है।
भारत में कृषि क्षेत्र के सामने दो मुख्य चुनौतियां हैं। सबसे पहले, कृषि क्षेत्र में पूंजी की भारी कमी है। उससे किसानों की सिंचाई और अन्य उत्पादकता-बढ़ाने वाले बुनियादी ढांचे में निवेश करने या बढ़ती आबादी को खिलाने के लिए पर्याप्त बीज और उर्वरक खरीदने की क्षमता सीमित हो जाती है। कई छोटे किसानों की औपचारिक ऋण संस्थानों तक पहुंच नहीं है।
मानसून पर निर्भरता भी किसानों के लिए अभिशाप
भारत में कृषि अर्थव्यवस्था मानसूनी वर्षा के अधीन है। इसलिए कृषि काफी हद तक मानसून की बारिश पर निर्भर है। परिणामस्वरूप बार-बार सूखा पड़ता है और फसलों का नुकसान होता है। लगभग 200 मिलियन किसान ऐसे हैं, जिनके पास प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल खराब होने पर बहुत कम या कोई बीमा नहीं है।
प्राकृतिक आपदाएं बाढ़ आदि से उत्पन्न होती हैं। परिणामस्वरूप खाद्य उत्पादन में कमी, पानी की आपूर्ति की कमी और भूस्खलन के कारण राजस्व की हानि होती है। उससे किसानों के बीच कई हताहत हताहत भी हो जाते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए सरकारों के पास कोई भी कारगर रोडमैप नहीं है।
भारतीय कृषि में प्रौद्योगिकी की भूमिका
यह कोई रहस्य नहीं है कि तकनीक बदल गई है तो हम खेती कैसे करते हैं। अपने परिवार को कुछ पीढ़ियां चीजें बहुत अलग तरीके से करती रहीं। आधुनिक मशीनरी के बिना, किसानों को अपनी जमीन जोतने और खेती करने के लिए अपने जानवरों और अपनी ताकत पर निर्भर रहना पड़ता था। कहने का मतलब यह नहीं कि कृषि कार्य आसान था।
वास्तव में, यह सीमित कौशल वाले लोगों का श्रम साध्य कार्य था। उसके लिए बहुत धैर्य की जरूरत होती थी। लेकिन आज, प्रौद्योगिकी भारतीय कृषि के लिए कुछ बड़े बदलाव ला रही है। और इन्हीं बदलावों के कारण हमें कुछ चुनौतियों का सामना करना है। खेती की लागत और उत्पादन में संतुलन बनाना होगा।
राज्य स्तर पर सकल उत्पादन मूल्य
सकल उत्पादन मूल्य (जीपीवी) के मामले में उत्तर प्रदेश सभी राज्यों में कृषि उपज के शीर्ष तीन उत्पादकों में एक है। राष्ट्रीय कृषि सांख्यिकी विभाग की ओर से प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 16 के दौरान यूपी ने जीपीवी में 8.8% का योगदान दिया।
उसके बाद महाराष्ट्र का 13.1% और आंध्र प्रदेश का 12.2% का योगदान है। 2015 से 16 के दौरान उत्तर प्रदेश का योगदान एक लाख 45 हजार 258 करोड़ रुपये था। उसके बाद महाराष्ट्र ने एक लाख 29 हजा 308 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश ने 73 हजार 480 करोड़ रुपये का योगदान दिया।
उत्पादों की गुणवत्ता और उनके भविष्य की संभावनाएं
भारत की कृषि अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है। और ऐसे कई कारक हैं जो इसे चला रहे हैं। हालांकि, कुछ चीजें हैं जो इसके विकास को नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, डेयरी उत्पादों की खपत की वैश्विक प्रवृत्ति इसकी भविष्य की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।
विशेष रूप से यह देखते हुए कि अन्य देश भारत की तुलना में अधिक दूध का उत्पादन करते हैं। दुग्ध उत्पादन के अलावा विश्व के कुल उत्पादन का 24 प्रतिशत एक प्रमुख कारक जो भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। वह है गन्ने की खेती और चीनी उत्पादन। यह एक ऐसी नकदी फसल है, जिससे हालात ठीक हो सकते हैं।
किसानों के सामने आने वाली चुनौतियां और समाधान
Agricultural Economy: भारत की कृषि अर्थव्यवस्था इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसी ही एक चुनौती यह है कि बहुत से भारतीय किसानों ने उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कृषि उत्पादों का उपयोग करके बीज बोने जैसी नई तकनीक को नहीं अपनाया है।
यह अनुमान है कि सभी भारतीय किसानों में केवल 5% ही फसल उगाते समय आधुनिक तरीकों का उपयोग करते हैं। भारतीय किसानों के सामने एक और चुनौती कीमतों में उतार-चढ़ाव से संबंधित है। यही खेती की गतिविधियों से कम आय का कारण बनती है। इसके लिए सरकार को एक व्यवस्था बनानी होगी, जिससे किसानों को उनकी फसल का लाभकारी मूल्य मिल सके।