
Agriculture News: केंद्र सरकार अपने वादे के मुताबिक अभी एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी जामा पहनाने के संदर्भ में कोई पहल नहीं कर सकी है। लेकिन पंजाब के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। वहां की सरकार ने गेहूं, धान के अलावा मूंग की फसल को भी एमएसपी पर खरीदने का फैसला किया है।
मूंग की खेती को प्रोत्साहित करने की पहल
श्रीकांत सिंह
Agriculture News: पंजाब में ज्यादातर किसान धान और गेहूं की खेती करते हैं। ऐसा वे इसलिए करते हैं कि उनकी इन्हीं दो फसलों को एमएसपी पर खरीदा जाता है। लगातार एक ही तरह की खेती करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। ऐसे में अन्य फसलों की खेती की तरफ किसान रुख करें, इसके लिए पंजाब सरकार ने मूंग की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए उसे एमएसपी पर खरीदने का फैसला किया है।
किसानों के लिए केंद्र सरकार ने मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7,275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक वीडियो ट्वीट कर इस फैसले की जानकारी दी।उनके मुताबिक, पंजाब के इतिहास में यह पहली बार होने जा रहा है कि गेहूं और धान के अलावा किसी और फसल पर भी एमएसपी दी जा रही है।
इसके अलावा सीएम मान ने कहा कि किसान धान की 126 किस्मों और बासमती की खेती की जा सकती है। पंजाब सरकार किसानों को बासमती पर भी एमएसपी देगी। पंजाब सरकार ने धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों को आर्थिक तौर पर सहायता करने का फैसला किया है। उसके तहत धान पैदा करने वाले हर किसान को 1500 रुपये प्रति एकड़ अनुदान दिया जाएगा।
मूंग ग्रीष्म और खरीफ दोनों मौसम की कम समय में पकने वाली फसल
भारत में मूंग ग्रीष्म एवं खरीफ दोनों मौसम की कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है। इसके दाने का प्रयोग मुख्य रूप से दाल के लिए किया जाता है। उसमें 24-26% प्रोटीन, 55-60% काब्रोहाइड्रेट और 1.3% वसा होता है।
दलहनी फसल होने के कारण इसकी जड़ों में गठानें पाई जाती हैं, जो कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन का मृदा में स्थिरीकरण (38-40 कि.ग्रा. नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर) एवं फसल की खेत से कटाई के बाद जड़ों और पत्तियों के रूप में प्रति हेक्टेयर 1.5 टन जैविक पदार्थ भूमि में छोड़ा जाता है। उससे भूमि में जैविक कार्बन का अनुरक्षण होता है और मिट्टी की उर्वराशक्ति बढ़ती है।
मूंग की खेती के लिए बीज दर और बीज उपचार
खरीफ में कतार विधि से बुआई के लिए मूंग का बीज 20 किलोग्राम पर्याप्त होता है। बसंत अथवा ग्रीष्मकालीन बुआई के लिए 25-30 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है। बुवाई से पूर्व बीज को कार्बेन्डाजिम+केप्टान (1+2) 3 ग्राम दवा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित किया जाता है। वर्षा के मौसम में इन फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए हल के पीछे पंक्तियों अथवा कतारों में बुवाई करना उपयुक्त रहता है।
खरीफ फसल के लिए कतार से कतार की दूरी 30-45 सेंटीमीटर और बसंत (ग्रीष्म) के लिए 20-22.5 सेंटीमीटर रखी जाती है। पौधे से पौधे की दूरी 10-15 सेंटीमीटर रखते हुए चार सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए। मूंग के लिए नम और गर्म जलवायु कि आवश्यकता होती है। इसकी खेती वर्षा ऋतु में की जा सकती है।
इसकी वृद्धि और विकास के लिए 25-32 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल पाया गया है। मूंग के लिए 75-90 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र उपयुक्त पाए गए हैं। पकने के समय साफ मौसम और 60% आर्द्रता होनी चाहिए। पकाव के समय अधिक वर्षा नुकसानदायक होती है।
भूमि की तैयारी, खाद और उर्वरक
खरीफ की फसल के लिए एक गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए। वर्षा प्रारम्भ होते ही 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर खरपतवार रहित करने के बाद खेत में पाटा चलाकर उसे समतल किया जाता है। दीमक से बचाव के लिए क्लोरपायरीफॉस 1.5% चूर्ण 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर खेत की तैयारी के समय मिट्टी में मिलाना चाहिए।
ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती के लिए रबी फसलों के कटने के तुरंत बाद खेत की जुताई कर उसे 4-5 दिन छोड़कर पलेवा करना चाहिए। पलेवा के बाद 2-3 जुताइयां देशी हल या कल्टीवेटर से कर पाटा लगाकर खेत को समतल और भुरभुरा बनाया जाता है। इससे उसमें नमी संरक्षित हो जाती है और बीजों से अच्छा अंकुरण मिलता है।
Agriculture News: मूंग की खेती में अच्छे उत्पादन के लिए बुवाई से पूर्व खेत तैयार करते समय अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 15-20 टन प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिला देना चाहिए। रासायनिक खाद और उर्वरक की मात्रा की बात करें तो नाइट्रोजन 20 किलोग्राम, फास्फोरस 20 किलोग्राम, पोटाश 20 किलोग्राम, गंधक 20 किलोग्राम और जिंक 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालना चाहिए।