
Ancient teacher-pupil congregation: सुलतानपुर जिले के धम्मौर कस्बे के पास स्थित श्री हनुमत इंटर कॉलेज के पुराने शिक्षकों और शिष्यों का मिलन होने जा रहा है। तारीख तय हुई है 25 मार्च 2021। इन ऐतिहासिक क्षणों को संभव बनाने में आभासी दुनिया यानी डिजिटल संसार का कम योगदान नहीं है।
Ancient teacher-pupil congregation: दो से तीन दशक पुरानी यादें होंगी ताजा
श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। Ancient teacher-pupil congregation: आज हम इस विद्यालय की चर्चा इसलिए नहीं कर रहे हैं कि यहां तमाम प्रतिभाओं का मेला लगा रहा है, जहां से निकले योग्य नागरिक देश के विभिन्न भागों में बड़े—बड़े पदों को सुशोभित कर रहे हैं। चर्चा का कारण यह है कि एक ओर कोरोना महामारी ने सामाजिक दूरियां पैदा कर दी हैं तो दूसरी ओर इस विद्यालय में पुरातन शिक्षक—शिष्य समागम होने जा रहा है।
इसी को कहते हैं—प्रत्येक क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया। न्यूटन के इस वैज्ञानिक सिद्धांत ने शायद यह सोच पैदा की होगी कि क्यों न श्री हनुमत इंटर कॉलेज, धम्मौर के पुरातन शिक्षकों और शिष्यों का मिलन कराया जाए।
आसान नहीं था यह कार्य
यह कार्य आसान नहीं था। बीस—तीस वर्षों के भीतर तो तमाम मियां—बीबी में तलाक के किस्से सामने आ जाते हैं। लेकिन इस विद्यालय में तो वर्षों से बिछड़े लोगों को मिलाने का जो कार्यक्रम बना है, वह भारतीय संस्कारों का एक बेजोड़ उदाहरण है। विद्यालय की चर्चा करने का यह सबसे बड़ा कारण है।
दरअसल, विद्यालय एक ऐसा चतुष्पथ होता है, जहां आपके जीवन का रास्ता निर्धारित होता है। लेकिन चौराहा पार करने के बाद रास्ता निरंतर आपको उस चौराहे से दूर ले जाता है। यह स्वाभाविक है और नियति भी।
नियति ही रचती है हर किसी की कहानी
यह नियति अपने साथ भी आजीवन काम करती रही। फेसबुक के जरिये कुछ सहपाठियों से संपर्क हो पाया, लेकिन वर्चुअल ही। नियति ने कभी समय ही नहीं दिया कि किसी से व्यक्तिगत रूप से मिला जाए।
इस विद्यालय से पास होकर निकले लोग अपने—अपने कैरियर को चुनने के कारण को अलग—अलग तरीके से परिभाषित कर सकते हैं। लेकिन जब मैं अपनी बात कर रहा हूं, तो मुझे अपने ही अतीत को खंगालना होगा।
जहां निकलती रही है कक्षा पत्रिका भी
यह एक ऐसा विद्यालय है, जहां विद्यालय की वार्षिक पत्रिका के साथ कक्षा पत्रिका भी निकलती रही है। मेरा यह सौभाग्य रहा कि मुझे विद्यालय की वार्षिक पत्रिका के छात्र संपादक मंडल में शामिल किया गया था। शायद उसी ने मुझे पत्रकारिता का क्षेत्र चुनने के लिए प्रेरित किया हो।
प्रयागराज टाइम्स, दैनिक आज, बंदेमातरम, पांचजन्य, निष्पक्ष भारती, सिने इंडिया इंटरनेशनल, दैनिक जागरण और ओपिनियन पोस्ट की यात्रा का प्रारंभ विंदु मुझे श्री हनुमत इंटर कॉलेज की वार्षिक पत्रिका लांगूल ही लगती है। क्योंकि उसकी याददास्त को मैंने आज तक संजो कर रखा है। उसे कहीं भी शेयर करने का मौका नहीं मिला।
आलेख का समापन भी तो करना है न
Ancient teacher-pupil congregation: लगता है कि पुरातन शिक्षक—शिष्य समागम उन यादगार पलों को शेयर करने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसलिए आज पुराने कागजों की दुनिया में श्री हनुमत इंटर कालेज की याददास्त को तलाश रहा हूं। क्योंकि वे निर्जीव कागज भर नहीं, व्यक्तिगत गवाह भी हैं। यह अवसर व्यष्टि से समष्टि में समा जाने जैसा लग रहा है। तभी तो विचार प्रक्रिया थमने का नाम नहीं ले रही है। लेकिन इस आलेख का समापन भी तो करना है न।