bar: दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिशोदिया पर सीबीआई की कार्रवाई से एक गैरजरूरी विमर्श को हवा दे दी गई है। पाठशाला जैसे महत्वपूर्ण विषय चर्चा से बाहर हैं। इसे भाजपा की डाइवर्ट एंड रूल की नीति का परिणाम बताया जा रहा है। जबकि अमेरिका में सिशोदिया की लोकप्रियता का डंका बज रहा है।
bar: केंद्र पर स्वायत्त एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप
श्रीकांत सिंह
bar: पौराणिक साहित्य में चर्चा है कि ब्रह्मा ने जब सृष्टि की रचना की तो सबसे पहले उन्होंने ज्ञान को प्रकट किया। क्योंकि उस समय भी ज्ञान के बिना जीवन चल पाना संभव नहीं था। बिना ज्ञान के खाद्य और अखाद्य में भेद करना संभव नहीं था। अमृत और विष में भेद कर पाना कठिन था। उसी ज्ञान को आज हम शिक्षा कहते हैं, जिसके लिए पाठशालाओं का निर्माण किया गया।
कुछ ऐसा ही कार्य दिल्ली में मनीष सिशोदिया ने किया। उन्होंने सरकारी स्कूलों को एक ऐसे मुकाम तक पहुंचाया, जिसकी तारीफ अमेरिका के शीर्ष अखबार न्यूयार्क टाइम्स में भी की गई है। गोदी मीडिया ने इस खबर को तवज्जो नहीं दी, लेकिन सिशोदिया के सरकारी निवास पर छापे की खबर का रायता कुछ ऐसा फैलाया, जैसे यही देश की सबसे बड़ी खबर हो। जबकि इससे पूर्व भी इसी तरह के छापे आप नेताओं पर डाले गए, लेकिन कुछ भी नहीं निकला।
देश में शिक्षा व्यवस्था की हालत बहुत खराब
अब यह तो देश की जनता को तय करना होगा कि उसे पाठशाला पर जानकारी चाहिए या मधुशाला पर। क्योंकि दिल्ली को छोड़ कर देश के तमाम भागों में शिक्षा व्यवस्था की हालत बहुत खराब है। इसी का एक प्रमाण है कि देश के कुछ शीर्ष नेताओं के शिक्षा से संबंधित प्रमाण पत्र चर्चा और मजाक का विषय बनते रहे हैं। तभी तो कुछ सत्तासीन नेता यह कहते रहे हैं कि सरकार के पास नौकरियों की कमी नहीं है, उसके लिए योग्य लोग देश में नहीं हैं।
किसान नेता ओमपाल राणा एक आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में अनियमितताओं की पड़ताल करते रहते हैं। उनका कहना है कि कोरोना काल में सरकार ने वादा किया था कि प्राइवेट स्कूलों में फीस नहीं बढ़ेगी। लेकिन गौतमबुद्धनगर जिले के स्कूलों में बेतहाशा फीस में बढ़ोतरी की गई। वह कहते हैं कि सरकार की प्राथमिकता जन समस्याओं का समाधान नहीं, बेजा विमर्श में लोगों को उलझा कर रखना है।
अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर दिया करारा जवाब
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के घर पर सीबीआई का छापा पड़ा तो अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, जिस दिन अमेरिका के सबसे बड़े अखबार न्यूयार्क टाइम्स के फ्रंट पेज पर दिल्ली शिक्षा मॉडल की तारीफ और मनीष सिसोदिया की तस्वीर छपी। उसी दिन मनीष के घर केंद्र ने सीबीआई भेजी, सीबीआई का स्वागत है। पूरा सहयोग करेंगे, पहले भी कई जांच और रेड हुई। कुछ नहीं निकला, अब भी कुछ नहीं निकलेगा।
इस पर दिल्ली बीजेपी टि्वटर हैंडल से लिखा गया कि बच्चों के नाम पर सहानुभूति लेना बंद करो मनीष सिसोदिया। ‘आप’ के द्वारा किया गया भ्रष्टाचार सबके सामने आ चुका है। कट्टर भ्रष्टाचारी हो तुम और भ्रष्टाचारी की जगह सिर्फ जेल है। बीजेपी नेता हर्षदीप मल्होत्रा ने पूछा, मनीष जी एक सवाल का जवाब दे दो बस, आपकी महत्वकांक्षी शराब नीति वापस क्यों ली गई? कुछ तो गड़बड़ है ना।
खेती कानून का वापस लिया जाना क्या भ्रष्टाचार का संकेत नहीं?
दरअसल, शराब नीति का वापस ले लिया जाना ही अगर दोष का आधार है तो उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जिन्होंने तीन खेती कानून बनाए और सात सौ आंदोलनकारी किसानों की जान की कीमत पर उन्हें वापस ले लिया। आम आदमी पार्टी प्रति आरोप लगा सकती है कि खेती कानून का वापस लिया जाना किसी बड़े भ्रष्टाचार की ओर संकेत करता है।
सीबीआई आई है. उनका स्वागत है. हम कट्टर ईमानदार हैं . लाखों बच्चों का भविष्य बना रहे हैं.
बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे देश में जो अच्छा काम करता है उसे इसी तरह परेशान किया जाता है. इसीलिए हमारा देश अभी तक नम्बर-1 नहीं बन पाया.
— Manish Sisodia (@msisodia) August 19, 2022
bar: मनीष सिशोदिया पर एक और आरोप लगाया गया है कि उन्होंने कुछ शराब ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया। लेकिन यहां सवाल उठता है कि फोर जी का आवंटन सबसे पहले मुकेश अंबानी को क्यों कर दिया गया? क्या यह किसी एक ठेकेदार को फायदा पहुंचाने का मामला नहीं है? तभी तो राहुल गांधी रात दिन कहते रहते हैं कि इस देश को मात्र दो लोग सिर्फ दो लोगों के लिए चला रहे हैं। लेकिन को कहि सकय बड़ेन को?
फिर लोग तो कहेंगे ही, उन्हें कौन रोकेगा?
bar: लोग कह रहे हैं कि आखिर इन बड़े लोगों पर देश की कौन सी संस्था कार्रवाई करेगी? इसलिए ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग की स्वायत्तता को बचाने के लिए उपाय करने होंगे। नहीं तो, राजनैतिक बदले की भावना का कभी अंत नहीं होगा। किस प्रकार ममता बनर्जी ने सीबीआई के अधिकारियों को गिरफ्तार करा लिया था। पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है और पुलिस पर उसी का अख्तियार भी। क्या पंजाब जाने वाले भाजपा नेताओं को नहीं फंसाया जा सकता? इसलिए किसी भी सरकार को बदले की भावना से कार्य नहीं करना चाहिए।
आशु नाम के ट्विटर यूजर कमेंट करते हैं कि अरविंद केजरीवाल जी के घर से चार मफलर मिले थे, सिसोदिया जी के घर से तो वह भी नहीं मिलने वाला है। राकेश पांडे नाम के एक ट्विटर यूजर पूछते हैं, ईमानदार तो ठीक है लेकिन कट्टर ईमानदार क्या होता है? सत्येंद्र जैन भी कट्टर ईमानदार ही हैं लेकिन जेल की सलाखों के पीछे क्यों हैं? राजेंद्र त्रिपाठी ने बताया छापे की वजह। लिखा, केंद्र सरकार को पता है कि केजरीवाल दिल्ली मॉडल दिखाकर गुजरात जीत सकते हैं।