Battery Capacity: इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता के लिए परास, प्रदर्शन, ऊर्जा घनत्व, संचय का प्रकार, लागत की चुनौतियां और उनका आर्थिक तालमेल महत्वपूर्ण होता है। आज इन्हीं बातों पर चर्चा करेंगे।
Battery Capacity: वाहन की लागत काफी बढ़ा देती हैं ये बैटरियां
इंफोपोस्ट न्यूज
Battery Capacity: अधिकांश राजमार्गों की गति के अनुकूल इलेक्ट्रिक वाहनों की डिज़ाइन लिथियम-आयन और अन्य लिथियम बैटरियों पर आधारित होती है। हालांकि कई अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं। लिथियम आधारित बैटरी को अक्सर अपनी उच्च शक्ति और ऊर्जा घनत्व के लिए चुना जाता है। लेकिन सीमित शैल्फ जीवन और जीवनकाल चक्र के कारण वे वाहन की लागत काफी बढ़ा देती हैं। लिथियम आयरन फॉस्फेट और लिथियम टाईटनेट जैसे भिन्न रूप परंपरागत लिथियम बैटरी के स्थायित्व के मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर सकते हैं।
अधिकांश बिजली वाहनों में इस्तेमाल के लिए लेड एसिड बैटरी ही आज भी सबसे अधिक प्रयुक्त हो रही है। इसमें प्रारंभिक निर्माण लागत बैटरी के अन्य प्रकारों के मुकाबले काफी कम है। यद्यपि प्राप्त शक्ति और भार का अनुपात अन्य डिज़ाइनों के मुकाबले अच्छा नहीं है। परास और शक्ति को अधिक संख्या में बैटरियां लगा कर बढ़ाया जा सकता है।
कई बैटरी प्रोद्योगिकियों का विकास
एनआईसीडी को अधिकांशतः एनआईएमएच द्वारा अधिक्रमित कर दिया जाता है। निकल आयरन बैटरी को आमतौर पर लंबे जीवनकाल और निम्न शक्ति घनत्व के लिए जाना जाता है। कई अन्य बैटरी प्रोद्योगिकियों का भी विकास चल रहा है। जैसे: जिंक एयर बैटरी, मोल्टेन नमक बैटरी,
जिंक ब्रोमिन प्रवाह बैटरी या वनडियम रेडोक्स बैटरी। इसे चार्ज करने के स्थान पर पुनः भरा जा सकता है, जिससे समय की बचत होती है।
व्यय हुआ इलेक्ट्रोलाइट दोबारा से चार्ज करके इस्तेमाल में लाया जा सकता है। अथवा किसी दूर-दराज़ के स्टेशन में ले जाया जा सकता है। एक इलेक्ट्रिक कार की परास प्रयुक्त बैटरी की संख्या और इसके प्रकार पर निर्भर करती है। वाहन का वजन और प्रकार ड्राइवर के प्रदर्शन की मांग का भी वैसा ही असर होता है जैसे कि पारंपरिक वाहनों की परास पर। इलेक्ट्रिक वाहन के रूपांतरण का परास बैटरी के प्रकार पर निर्भर करता है।
बैटरियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत
रेनोल्ट फ्लुएंस ज़ी में आसानी से प्रतिस्थापित की जा सकने वाली बैटरियां लगाने की योजना है। त्वरित रिचार्जिंग के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था ख़त्म हो चुकी या ख़त्म होने के करीब बैटरियों को अथवा बैटरी की परास बढ़ने वाले भाग को पूरी तरह से चार्ज बैटरियों से बदल देना है। जैसे बग्घी खींचने वाले घोड़ों को बीच बीच में विश्राम स्थलों पर बदल दिया जाता था। बैटरी को खरीदने के स्थान पर पट्टे पर अथवा किराये पर लिया जा सकता है। उनकी देख-रेख पट्टे अथवा किराये पर देने वाली कंपनी कर सकती है। उससे उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी।
रेनॉल्ट ने 2009 में घोषणा कि उन्होंने फ्रैंकफर्ट मोटर शो में चार्जिंग स्टेशनों और बैटरी बदलने की व्यवस्था की एक श्रृंखला का प्रायोजन किया। अन्य वाहन निर्माता और कंपनियां भी इसकी संभावनाओं की पड़ताल कर रही हैं।
बिजली का अस्थायी रूप से संचय
पीक लोड अवधि के दौरान जब बिजली काफी महंगी होती है। ऑफ-पीक अवधि के दौरान ये वाहन दोबारा चार्ज किए जा सकते हैं। क्योंकि उस वक्त बिजली उतनी महंगी नहीं होती है और रात्रि में बिजली उत्पादन उसके उपभोग से अधिक होता है। वाहनों की बैटरी एक वितरित बिजली भंडार के रूप में बिजली का अस्थायी रूप से संचय करती है।
बिजली कटौती के दौरान वे आपातकालीन बैकअप के रूप में भी कार्य करती हैं। इस तरह की प्रणाली का व्यापक रूप से प्रयोग तब तक संभव नहीं होगा जब तक बैटरी पैक के चक्र स्थायित्व में पर्याप्त रूप से वृद्धि न हो जाए।
बैटरी के जीवन काल को ध्यान में रखना आवश्यक
सभी बैटरियां अंततः ख़राब होकर बदली जाती हैं। इसलिए स्वामित्व की विस्तारित लागत की गणना करते समय बैटरी के जीवन काल को ध्यान में रखना आवश्यक है। जिस दर पर ये बेकार होती हैं, वह बैटरी के प्रकार और उसके उपयोग पर निर्भर करता है।
कई प्रकार की बैटरियां एक निर्धारित स्तर से अधिक नीचे तक उपयोग किए जाने पर क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। उदाहरण के लिए डीप साईकिल लेड-एसिड बैटरी आमतौर पर 80% क्षमता से नीचे डिस्चार्ज नहीं की जानी चाहिए। लिथियम-आयन बैटरियां उच्च तापमान में रखे जाने पर शीघ्र ख़राब हो जाती हैं।