आर के तिवारी
नई दिल्ली। कांग्रेस नेतृत्व के संकट से जूझ रही है। जैसा कि आप जानते हैं कि पार्टी के पुअर परफार्मेंस पर राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था। अब पार्टी में लोकतंत्र के लोकाचार को बचाने की लड़ाई शुरू हो गई है। पार्टी के लोगों की निष्ठा सवालों के घेरे में है। शायद यही वजह है कि कांग्रेस जन सोनिया गांधी को पत्र लिख कर पार्टी में आमूल चूल परिवर्तन किए जाने की मांग कर रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर लिखे गए पत्र की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि सोनिया गांधी ने पार्टी को एकजुट रखा है। जहां लड़ाई लोकतंत्र के लोकाचार को बचाने की है, उन्होंने हमेशा चुनौतियों का सामना किया है। लेकिन अगर उन्होंने अपना मन बना लिया है तो मेरा मानना है कि राहुल गांधी को आगे आना चाहिए और कांग्रेस अध्यक्ष बनना चाहिए।
यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है कि कुछ पूर्व मंत्रियों समेत दो दर्जन कांग्रेस नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से संगठन में बड़े बदलाव की मांग की है। राहुल गांधी के करीबी कुछ नेताओं ने सीडब्ल्यूसी को पार्टी प्रमुख के रूप में उनकी वापसी के लिए पत्र लिखा है।
इस बात के संकेत मिले हैं कि पूर्व मंत्रियों और कुछ सांसदों ने कुछ सप्ताह पहले यह पत्र लिखा, जिसके बाद सीडब्ल्यूसी की बैठक के हंगामेदार रहने के आसार हैं। बैठक में असंतुष्ट नेताओं की ओर से उठाए गए मुद्दों पर चर्चा और बहस हो सकती है।
इन नेताओं ने शक्ति के विकेंद्रीकरण, प्रदेश इकाइयों के सशक्तिकरण और केंद्रीय संसदीय बोर्ड के गठन जैसे सुधार लाकर संगठन में बड़ा बदलाव करने का आह्वान किया है। इस पत्र में सामूहिक रूप से निर्णय लेने पर बल दिया गया है और उस प्रक्रिया में गांधी परिवार को ‘अभिन्न हिस्सा बनाने की अपील की गई है।
दरअसल, कांग्रेस के अंदर जो ‘लेटर बम’ फूटा है, कई राज्यों में हुई बगावत का नुकसान झेल चुकी कांग्रेस मेें सुधार की एक कवायद है। चिट्ठी लिखने वाले नेताओं में एक ने कहा है कि उनकी ओर से सोनिया गांधी के खिलाफ कुछ नहीं कहा गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि एक खेमा राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाने के पक्ष में है।
कुछ दिन पहले ही पार्टी के राष्ट्रीय रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि कार्यकर्ता राहुल गांधी को दोबारा अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। लेकिन राहुल और प्रियंका दोनों ही इस जिम्मेदारी को लेने से इनकार कर चुके हैं। गौर करने वाली बात यह है कि पार्टी में कोई भी बड़ा फैसला लेना होता है तो बिना राहुल और प्रियंका की सलाह के नहीं लिया जाता है।
हाल ही में सचिन पायलट के प्रकरण में यह साफ देखा जा चुका है। फिलहाल इस नए घटनाक्रम के बाद कई बड़े सवाल पैदा हुए हैं। क्या पार्टी किसी बड़ी बगावत की ओर बढ़ रही है? क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद जहां राहुल गांधी की युवा टीम के कई नेता बगावत कर चुके हैं तो कई नेता समय-समय पर ऐसे बयान देते रहे हैं जो पार्टी के लिए असहज की स्थति पैदा करते हैं। कुल मिलाकर इस चिट्ठी के बाद कांग्रेस में भूचाल सा आ गया है।