Bengal violence: बंगाल में चुनाव संपन्न हो जाने के बावजूद हिंसा जारी है। इस हिंसा में 17 लोगों की मौत हो चुकी है। मारे गए लोगों को भाजपा अपना तो टीएमसी अपना बता रही है। गौर करने की बात यह है कि मारे गए एक व्यक्ति पर दोनों पार्टियों ने अपना होने का दावा कर दिया है। जबकि वह किसी भी पार्टी से संबंधित नहीं था। आखिर इस हिंसा के पीछे कौन है?
Bengal violence: भाजपा जब चुनाव हारती है तब दंगे जरूर होते हैं?
श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। Bengal violence: सोशल मीडिया में दावा किया गया है कि भाजपा जब चुनाव हारती है, तब दंगे जरूर होते हैं। दिल्ली के दंगों को ज्वलंत उदाहरण के रूप में पेश किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि भाजपा दंगे कराकर हिंदुओं का ध्रुवीकरण कराती है।
बंगाल में हिंदुओं का ध्रुवीकरण कराने में भाजपा को आंशिक सफलता मिली है। इसी बात से पार्टी में बौखलाहट व्याप्त है। लोग कह रहे हैं कि भाजपा को हिंदुओं से इतना ही मोह है तो कोरोना पर नियंत्रण के प्रयास में कोताही क्यों कर रही है? यहां तक कि दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को इसी संदर्भ में फटकार लगाई है।
नियति सबका हिसाब करती है
एजाज अहमद लिखते हैं, मथुरा के अमित जयसवाल अब नहीं रहे। ये देश भर के उन गिने चुने लोगों में एक थे जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी ट्विटर पर फ़ॉलो करते हैं। 15 दिन पहले तक यही महाशय मेडिकल व्यवस्था के अपर्याप्त होने पर सरकार का बचाव कर रहे थे।
कोई एकाध हफ़्ते पहले बीमार पड़े, ज़रूरी दवाओं के लिए प्रधानमंत्री को टैग करके मदद माँगी। यूपी के मुख्यमंत्री को भी टैग किया। उनसे भी मदद माँगी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। और आख़िरकार उनका निधन हो गया… अभी उनकी माँ भी गंभीर हालत में हॉस्पिटल में एडमिट हैं, उन्हें भी जो इंजेक्शन चाहिए, वो नहीं मिल रहा…नियति सबका हिसाब करती है।
आक्सीजन के अभाव में मर रहे लोग क्या हिंदू नहीं?
जाहिर है, जब इतने खास व्यक्ति की मदद मोदी नहीं कर सके तो आम आदमी के बारे में अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। कोरोना से जो लोग मर रहे हैं, उनमें क्या हिंदू नहीं हैं? भाजपा का ये कैसा हिंदुत्व जो हिंदुओं को कोरोना से न बचा सके? लेकिन उसे तो हिंदू और मुसलिम का खेला खेलना है।
शायद इसीलिए बंगाल में जहां ममता की प्राथमिकता में हिंसा रोकना और कोविड 19 की दूसरी लहर पर नियंत्रण पाना है तो भाजपा नेताओं की प्राथमिकता में धरना प्रदर्शन है। इतनी जानें जाने के बावजूद भाजपा नहीं चेत रही है। उसे तो अभी अपनी गलती का अहसास भी नहीं है। तभी तो कुछ भाजपा नेता कहते फिर रहे हैं, बंगाल में हम हारे नहीं हैं।
कुछ भाजपा नेता 2 मई के बाद हिंसा फैलाने की दे रहे थे धमकी
आप गूगल करेंगे तो पता चलेगा कि किस प्रकार कुछ भाजपा नेता 2 मई के बाद लोगों को देख लेने की धमकी दे रहे थे। बंगाल की हिंसा को इस संदर्भ में भी देखा जा रहा है। दरअसल, किसी भी हिंसा का कारण जानने के लिए उसका मोटो देखा जाता है। यह भी देखा जाता है कि हिंसा से किसे फायदा हो रहा है?
चूंकि ममता ने ऐलान कर दिया है कि वह अब बंगाल की राजनीति तक सीमित नहीं रहेंगी। वह विपक्षी एकता की एकमात्र उम्मीद बन चुकी हैं। उनमें पीएम मटीरियल नजर आने लगा है। उन्होंने संकल्प किया है कि जिस तरह से भाजपा की जम्बोजेट टीम को बंगाल चुनाव में धूल चटाई है, उसी प्रकार 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को बैकफुट पर लाएंगी।
बंगाल में हिंसा को हवा
इसी बात से घबराकर भाजपा नेता बंगाल में हिंसा को हवा दे रहे हैं। पार्टी का आईटी सेल भ्रामक खबरें फैलाने में लगा है। ऐसी अफवाह फैलाई जा रही है कि बंगाल में हिंदुओं के घर जलाए जा रहे हैं, जबकि बंगाल हिंसा को भाजपा और टीएमसी नेताओं के संघर्ष के रूप में देखा जा रहा है।
अपील की जा रही है कि भ्रामक खबरों को गूगल से चेक जरूर करें और भ्रमित न हों। भ्रामक खबरें भाजपा के आईटी सेल की चाल भर हैं। क्योंकि ध्रुवीकरण का भाजपा का फार्मूला अब पुराना हो गया है। उसकी हकीकत से लोग वाकिफ हो चुके हैं। बंगाल का चुनाव परिणाम उसी की एक बानगी है। कोरोना पर नियंत्रण में मोदी की असफलता जगजाहिर हो चुकी है।
गलत नीतियों की वजह से मोदी खलनायक घोषित
दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी अपनी इमेज को लेकर खासे सतर्क रहते हैं। लेकिन कोरोना वायरस की दूसरी सुनामी ने उनकी छवि को तार-तार कर दिया है। फॉरेन प्रेस ने उन्हें ऐसे नायक की संज्ञा दी है जो अपनी गलत नीतियों की वजह से खलनायक में तब्दील हो चुका है।
दुनिया के लीडिंग अखबारों का कहना है कि मोदी ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि कोरोना को वह परास्त कर चुके हैं, पर वो गलत था। The Guardian ने अपनी मेन स्टोरी में जो फोटो लगाई है, उसमें श्मशान में जल रही चिता की ऊंची लपटों को दिखाया गया है।
The Times, London ने भी मोदी पर जोरदार हमला किया है। अखबार की हेडलाइन है- दूसरी सुनामी में फंसे मोदी। The Financial Times को तीखे तेवरों के लिए नहीं जाना जाता, लेकिन उसने भी मोदी सरकार के परखच्चे उड़ाने में कसर नहीं छोड़ी।
The Washington ने अपनी स्टोरी में यूपी के कब्रिस्तानों का हवाई चित्र दिखाया है। The Wall Street Journal लिखता है कि भारत का खतरनाक वायरस सीमा पार करके तबाही मचा सकता है। The New York Times ने भी मोदी को खलनायक बताया।
निष्कर्ष
Bengal violence: हालत यह हो गई है कि स्वामी जैसे कुछ वरिष्ठ भाजपा नेता भी मोदी पर सवाल उठाने लगे हैं। पार्टी में ही उनके इस्तीफे की मांग उठ रही है। जिम्मेदारी नितिन गडकरी को सौंपे जाने का आग्रह किया जा रहा है। यही नहीं, मोदी से हिंसक बनने का आग्रह करने पर कंगना का एक सोशल मीडिया एकाउंट डिलीट कर दिया गया है। अब यह आप पर निर्भर करेगा कि आपको कैसा देश चाहिए। राजनीतिक हिंसा वाला देश या शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पैदा करने वाला देश। आलेख कैसा लगा, कमेंट कर जरूर बताएं।