
इंफोपोस्ट डेस्क, नयी दिल्ली। Bihar Caste Census:
Bihar Caste Census: चारा घोटोले में सजायफ्ता व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने एक बार फिर से मोदी सरकार पर हमला बोला है। इस बार मामला जातिगत गणना को लेकर है। लालू ने कहा कि मोदी सरकार इसको नफरत भरी निगाहों से देख रही है।
पटना में एक बुक लॉन्च प्रोग्राम में उन्होंने कहा, हम लोगों ने हाल ही में जातिगत गणना कराई है। लेकिन केंद्र सरकार जाति जनगणना को नफरत भरी निगाहों से देख रही है। उन्होंने तर्क दिया कि किसी शख्स की आर्थिक स्थिति और जाति जाने बिना नीतियां कैसे बनाई जा सकती है। बिहार की नीतीश सरकार अपने बूते ही राज्य में जाति जनगणना करा रही है। पटना हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी इसको रोकने के लिए याचिकाएं दायर की गईं लेकिन अदालत ने आदेश राज्य सरकार के ही पक्ष में सुनाया। फिलहाल जातिगत जनगणना चल रही है।
पटना हाईकोर्ट ने यह दिया था आदेश
Bihar Caste Census: पटना हाई कोर्ट ने 2 अगस्त को नीतीश सरकार को बड़ी राहत देते हुए बिहार में जाति आधारित गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली आधा दर्जन याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही इस गणना का रास्ता साफ हो गया था और काम शुरू हो गया था।
इस बाबत पटना उच्च न्यायालय के आए फैसले के कुछ ही घंटे बाद सामान्य प्रशासन विभाग के आला अधिकारियों ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर उन्हें इस बारे में निर्देश दिए। मालूम हो कि जाति आधारित गणना के लिए सामान्य प्रशासन विभाग नोडल महकमा है।
सामान्य प्रशासन विभाग के संबंधित अधिकारी ने बताया कि प्राय: सभी जिलों में घर-घर जाकर प्रगणक द्वारा सर्वे किए जाने का काम लगभग पूरा हो गया है। जिन जिलों में यह काम थोड़ा भी बाकी है, उनके जिलाधिकारियों को यह कहा गया है कि एक टाइम लाइन तय कर उसे पूरा कर लिया जाए।
यह कहा गया है कि जिन अधिकारियों को मानिटरिंग के काम में लगाया गया था, उन्हें यह निर्देश दिया जाए कि वह इसे प्राथमिकता के आधार पर देखें। आधिकारिक तौर पर यह जानकारी दी गयी कि जाति आधारित गणना का 80 फीसद काम पूरा हो गया है। इसके बाद इस गणना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
जाति अधारित गणना
Bihar Caste Census: जाति के आधार पर आबादी की गिनती को जातीय जनगणना कहते हैं। इसके जरिए सरकार यह जानने की कोशिश करती है कि समाज में किस तबके की कितनी हिस्सेदारी है। कौन वंचित है और सबसे समृद्ध। जातीय जनगणना से लोगों की जाति, धर्म, शिक्षा और आय का भी पता चलता है। उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता चल पाता है।
सरकार यह दे रही है तर्क
जाति आधारित गणना को लेकर अलग-अलग पार्टियों का अपना तर्क है। बिहार सरकार का मानना है कि गणना से मिले आंकड़े जाति के संदर्भ में स्पष्ट जानकारी देने का काम करेंगे। इससे सरकार को विकास की योजनाओं का खाका तैयार करने में भी मदद मिलेगी। जातीय जनगणना के बाद यह साफ हो जाएगा कि कौन सी जाति आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्तर पर पिछड़ी हुई है। ऐसे में उन जातियों तक इसका सीधा लाभ पहुंचाने के लिए नए सिरे से योजनाएं बनाई जा सकती हैं।