इस बार भाजपा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। यही वजह है कि पार्टी ने एक—एक सीटों की समीक्षा शुरू कर दी है। उम्मीदवारों में व्यापक फेरबदल की जा सकती है।
इंफोपोस्ट ब्यूरो, नयी दिल्ली। BJP in Lok Sabha elections:
BJP in Lok Sabha elections: लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में आने के लिए भारतीय जनता पार्टी अपनी तैयारी में जुट गई है। इस बार भाजपा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। यही वजह है कि पार्टी ने एक—एक सीटों की समीक्षा शुरू कर दी है। उम्मीदवारों में व्यापक फेरबदल की जा सकती है। उच्च पदस्थ सूत्रों का यहां तक कहना है कि आवश्यकता पड़ी तो भाजपा कई वर्तमान सांसदों के टिकट काट सकती है। विपक्षी दलों के आइएनडीआइए गठबंधन के तले एकजुट होने के बाद भाजपा एक— एक कदम फूंक—फूंक कर रख रही है। जिन सीटों पर भाजपा के सहयोगी दल चुनाव जीत चुके हैं, उनके उम्मीदवारों पर भी भाजपा की नजर है। सबसे ज्यादा भितरघात का डर भाजपा को बिहार और महाराष्ट्र में है। महाराष्ट्र में शिवसेना— एकनाथ शिंदे और एनसीपी— अजित पवार गुट के बीच सामंजस्य बनाने की है तो बिहार में पशुपतिनाथ पारस और चिराग पासवान के सीटों को लेकर एकराय बनानी है।
उम्मीदवारों के चयन के लिए सर्वे
पार्टी के उच्चस्तरीय सूत्रों के अनुसार इस बार पार्टी प्रत्येक लोकसभा सीट पर अपने उम्मीदवारों के लिए फीडबैक ले रही है। सर्वे भी करा रही है। फीडबैक में जनता के साथ कनेक्टिविटी और इमेज का ध्यान रखा जा रहा है। यह भी देखा जा रहा है कि उम्मीदवार सर्वमान्य हो ताकि भितरघात की आशंका न रहे। पार्टी लोकसभा की उन सीटों पर भी उतनी ही मेहनत कर रही है जहां से फिलहाल एनडीए के सहयोगी दलों के नेता सांसद हैं या जिन सीटों से एनडीए के नए और पुराने साथी 2024 को लेकर तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा लोकसभा की सभी 543 लोक सभा सीटों पर लगातार फीडबैक ले रही है। जरूरत पड़ने पर इस फीडबैक को सहयोगी दलों के साथ साझा करेगी।
बिहार में विशेष नजर
BJP in Lok Sabha elections: बिहार की 40 सीटों पर भाजपा और एनडीए की जीत के लिए विशेष योजना पर काम हो रहा है। यहां कई सीटें ऐसी हैं जिस पर पार्टी को भितरघात होने की आशंका है। ऐसे में पार्टी राज्य से कई उम्मीदवार बदल सकती है। जिन सीटों से अभी भाजपा के सांसद हैं, वहां से एनडीए के उम्मीदवार खड़े किए जा सकते हैं। पार्टी को मिल रही फीडबैक को साथी दलों के साथ साझा किया जा सकता है। अगर घटक दलों के बीच किसी सीट विशेष पर मामला फंस जाएगा जैसा कि पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर फंसा हुआ है। ऐसी सूरत में अंतिम फैसला भाजपा आलाकमान ही करेगा।
मोतिहारी सीट पर खड़े हो रहे सवाल
BJP in Lok Sabha elections: मोतिहारी सीट को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां से भाजपा के सांसद राधामोहन सिंह हैं। पार्टी का एक धड़ा वर्तमान सांसद के खिलाफ लगातार फीडबैक दे रहा है। बताया जाता है कि जिला परिषद के चुनाव में भाजपा सांसद ने ढाका से भाजपा विधायक पवन जायसवाल की पत्नी और तत्कालीन जिला परिषद चेयरपर्सन प्रियंका जायसवाल के खिलाफ काम किया था। ऐसे में यह पद कांग्रेस के जिला अध्यक्ष की पत्नी के पास चला गया। साथ ही भाजपा नेता व एमएलसी प्रत्याशी बबलू गुप्ता को भी हरवाने में भी सांसद ने भूमिका निभाई थी। ऐसे में यहां भाजपा के कई गुट बन गए हैं। परिणाम स्वरूप नगर निगम चुनाव में अध्यक्ष पद के प्रत्याशी और भाजपा के जिला अध्यक्ष प्रकाश अस्थाना को हार का सामना करना पड़ा था और यह सीट लालू की पार्टी आरजेडी के नेता देवा गुप्ता की पत्नी प्रीति कुमारी के पास चला गया। हाल ही में राधामोहन सिंह को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की सूची से भी हटा दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि सर्वे और फीडबैक के हिसाब से ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
जानेंगे कि जीत का आधार क्या होगा
भाजपा के सहयोगी दल लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए जिन सीटों की मांग करेंगे, बीजेपी उन सीटों पर सहयोगी दलों से यह भी जानने की कोशिश करेगी कि अगर एनडीए कोटे से वो सीट उन्हें दी जाएगी तो वे वहां से किसे उम्मीदवार बनाएंगे और उस सीट से उसके जीतने का आधार क्या होगा और संभावना क्या होगी।
यह है भाजपा का प्लान
सूत्रों के मुताबिक भाजपा, लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले सभी सहयोगी दलों से सीट के अनुसार उम्मीदवारों का नाम मांगेगी और जीतने की संभावना और राज्य विशेष में राजनीतिक माहौल के लिए फायदेमंद होने की स्थिति में ही वो सीट उन्हें दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 543 लोकसभा सीटों में से भाजपा अकेले सिर्फ 436 सीटों पर ही चुनाव लड़ी थी। बाकी सीटों को चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ने अपने सहयोगी दलों को दे दिया था। इस बार भाजपा 425 से 450 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। पार्टी की कोशिश है कि उसके लगभग 40 पार्टियों में से 10—12 पार्टियों को ही लोकसभा का चुनाव लड़वाया जाए। बाकी पार्टियों को विधायक और विधान परिषद के चुनाव में मौका दिया जाएगा। अन्य राजनीतिक पदों पर भी भाजपा के सहयोगी दलों को एडजस्ट किया जा सकता है।