
श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। विपक्षी नेता अब केंद्र सरकार से नहीं डर रहे हैं। वे पूरी क्षमता, शिद्दत और एकजुटता से सरकार को घेर रहे हैं। दिल्ली दंगों के सिलसिले में दिल्ली पुलिस के आरोप पत्र ने विपक्षी नेताओं को एकजुट होने के लिए मजबूर कर दिया है। इससे पहले उद्धव ठाकरे ने कहा था कि हमें यह तय करना होगा कि केंद्र सरकार से डरें या लड़ें।
दिल्ली दंगों के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की तरफ से दायर पूरक आरोपपत्र पर सियासत गरमाने के बाद कांग्रेस ने आरोपपत्र में नामजद माकपा नेता सीताराम येचुरी और अन्य लोगों का समर्थन किया है। दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर कहा गया है कि वह आपराधिक न्याय प्रणाली का मजाक बना रही है। माकपा ने सरकार पर शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रदर्शनों को अपराध करार देने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने ट्वीट किया कि दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों के मामले में एक पूरक आरोप पत्र में सीताराम येचुरी और कई अन्य विद्वानों और कार्यकर्ताओं का नाम लेते हुए आपराधिक न्याय प्रणाली को उपहास बना दिया है। अगर एक आरोपित (गुलफिशा फातिमा) ने अपने बयान में एक नाम का उल्लेख किया है, तो उस व्यक्ति को आरोपपत्र में क्या एक आरोपित के रूप में नामित किया जाएगा?
उन्होंने पूछा, क्या दिल्ली पुलिस यह भूल गई है कि सूचना और आरोपपत्र के बीच जांच और सबूत जुटाने का महत्वपूर्ण कदम होता है। पूरक आरोपपत्र में येचुरी के अलावा स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयति घोष और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद का नाम लिया गया है। वैसे, दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट किया है कि इन लोगों के खिलाफ कोई आरोपपत्र दायर नहीं किया गया है।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि भाजपा अपनी नीतियों के खिलाफ शांतिपूर्ण असंतोष को दबाने की कोशिश में निम्न स्तर पर उतर आई है, जिसने इस देश के सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक ताने-बाने को ठेस पहुंचाई है।
माकपा के पोलितब्यूरो ने एक बयान में कहा है कि सरकार राजनीतिक प्रदर्शनों को अपराध बना रही है और उसे ऐसा करने से बाज आना चाहिए। वह दिल्ली पुलिस की कार्रवाई से स्तब्ध है। घोर पक्षपात और बदले की भावना से की गई कार्रवाई की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है।