Chausath Yogini Temple: तंत्र और राजतंत्र का संबंध बहुत पुराना है। आज हम एक ऐसे तांत्रिक मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिसका राजतंत्र से गहरा संबंध रहा है। हम बात कर रहे हैं चौसठ योगिनी मंदिर की, जो ग्वालियर से 40 किलोमीटर दूर मुरैना जिले के पडावली के पास मितावली गांव में स्थित है। ईसा पूर्व 1323 के एक शिलालेख के अनुसार इस मंदिर को कच्छप राजा देवपाल ने बनवाया था।
Chausath Yogini Temple: गोलाकार मंदिर से प्रेरित है संसद भवन की डिजाइन
आईपी न्यूज डेस्क
Chausath Yogini Temple: कहा जाता है कि मंदिर सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित की शिक्षा का केंद्र था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मंदिर को एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है। इस चौसठ योगिनी मंदिर को एकट्टसो महादेव मंदिर भी कहा जाता है जो सौ फुट ऊँची एक अलग पहाड़ी पर स्थित है।
इस गोलाकार मंदिर के बारे में कहा जाता है कि देश के संसद भवन की डिजाइन इसी से प्रेरित होकर तैयार की गई थी। क्योंकि दोनों की निर्माण शैली में काफी समानता है। हालांकि किसी भी सरकारी अभिलेख में इसकी चर्चा नहीं है।
भारत में गोलाकार मंदिरों की संख्या बहुत कम
दरअसल भारत में गोलाकार मंदिरों की संख्या बहुत कम है। यह योगिनी मंदिर उन्हीं मंदिरों में एक है जो चौंसठ योगिनियों को समर्पित है। माप की बात करें तो यह 170 फुट की त्रिज्या के साथ आकार में गोलाकार है और इसके आंतरिक भाग के भीतर 64 छोटे कक्ष हैं। हर कक्ष में एक शिवलिंग स्थापित है जिसके साथ एक एक योगिनी की भी मूर्ति रखी गई थी।
चोरी से बचाने के लिए योगिनियों की मूर्तियों हटा दिया गया है। मुख्य केंद्रीय मंदिर में एक बड़े भूमिगत भंडारण की व्यवस्था है जहां वर्षा जल को संचित किया जाता है। छत से पाइप लाइन बारिश के पानी को स्टोरेज तक ले जाती है।
मंदिर की संरचना कुछ इस प्रकार है कि कई भूकम्प के झटके झेलने के बाद भी यह मंदिर आज भी सुरक्षित है। यह भूकंपीय क्षेत्र तीन में आता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह मंदिर तांत्रिकों की साधना का केंद्र रहा है। तभी तो इसे तंत्र विद्या का विश्वविद्यालय भी कहा जाता है। अभी इतना ही। हम फिर हाजिर होंगे ऐसी ही एक रोचक जानकारी के साथ।