
न्यूज डेस्क, नई दिल्ली। चीन की हरकतों से ऐसा लगने लगा है कि जैसे जैसे भारत और अमेरिका दोस्ती की राह पर आगे बढ़े, चीन अधिक आक्रामक होता गया। कहीं न कहीं चीन को भारत इसलिए खटकता है, क्योंकि उसकी अमेरिका से गहरी दोस्ती है। भारत के मामले में ही चीन की दादागीरी को लगाम लगाने का माहौल बना है।
दरअसल, लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मई से सीमा विवाद जारी है। पिछले महीने 29-30 अगस्त की रात चुशूल सेक्टर के रेजांग ला में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने घुसपैठ की कोशिश की, जिसे भारतीय सैनिकों ने नाकाम कर दिया। महीनों से चल रहे विवाद की वजह से सैनिकों का लद्दाख में लंबे वक्त तक डटे रहने का इरादा है। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी चीनी सैनिक के उकसावे का मुंहतोड़ जवाब दें।
सीमा पर तनाव कम करने को लेकर दोनों पक्षों में लगातार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है। शीर्ष सैन्य अधिकारियों से लेकर कूटनीतिक स्तर की कई वार्ता हो चुकी हैं। इसके बावजूद तनाव पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ। लद्दाख में टकराव वाली कई जगहों से चीनी सैनिक पीछे गए तो तनातनी में कुछ कमी आई। लेकिन पिछले महीने के अंत में हुई घटना ने दोनों देशों के रिश्तों को वापस तनावपूर्ण बना दिया।
चीनी सैनिकों की आक्रामकता नवंबर में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव तक जारी रहेगी। गलवान से लेकर पैंगोंग में चीनी चालबाजी की वजह भी भारत-अमेरिका के बीच मजबूत होते हुए रिश्ते हैं। चीन की आगे की रणनीति इस बात पर भी निर्भर रह सकती है कि अमेरिका के चुनाव में किसे जीत मिलती है और चीन को लेकर उसका रुख क्या रहता है।