न्यूज डेस्क, नाएप्यीडॉ। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) परियोजना परेशानी का सबब बन गई है। क्योंकि म्यांमार ने चीन की तरफ से पारदर्शी निवेश की जरूरत पर जोर दिया है। ऐसे में चीन की चाल को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि चीन छोटे देशों को अपने कर्ज के बोझ से दबा कर उन पर मनमानी करता है।
दरअसल, चीन की विस्तारवादी नीति से म्यांमार भी सहम गया है। इसके चलते वह चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) परियोजना के कार्यान्वयन में विशेष दिलचस्पी नहीं ले रहा है। उससे चीन के अधिकारी परेशान हो गए हैं।
चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य और पार्टी के विदेश मामलों के विभाग के निदेशक यांग जीची यूरोप यात्रा के दौरान कुछ समय के लिए म्यांमार की राजधानी में रुके थे। उन्होंने म्यांमार के अधिकारियों से स्पष्ट कहा था कि बीआरआइ परियोजना संबंधी मंजूरी देने में तेजी दिखानी चाहिए।
पोलित ब्यूरो के सदस्य के साथ बैठक होने से म्यांमार को भी अपनी बातें चीन के शीर्ष स्तर तक पहुंचाने में मदद मिली। यांग की म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की के साथ बैठक में म्यांमार ने चीन की तरफ से पारदर्शी निवेश की जरूरत पर जोर दिया। क्योंकि बीआरआई के जरिये चीन दुनिया में अपनी धमक बढ़ाना चाहता है।
चीन के कर्ज से दबे कई छोटे देश इस प्रोजेक्ट को न चाहते हुए भी समर्थन देने को मजबूर हैं। श्रीलंका ने 2017 में अपना हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल के लिए चीन को लीज पर कर्ज से छुटकारा पाने के लिए ही दिया था। इसी साल जनवरी में दुनिया भर में बीआरआई प्रोजेक्ट से जुड़े 3,870 अरब डालर के 2,951 निर्माण कार्यों को मंजूरी दी गई थी।
अब एशिया और अफ्रीका के कई देश इस परियोजना से जुड़े काम कराने में असमर्थता जता रहे हैं। क्योंकि वे इस पर लिए गए कर्ज का ब्याज चुकाने की स्थिति में ही नहीं हैं।