
नई दिल्ली। Civil Services Exam 2019 पिछले दिनों घोषित सिविल सेवा परीक्षा (2019) में मूल रूप से बिहार के सीवान की ऋचा रत्नम ने हिंदी माध्यम से कामयाबी (274वां स्थान) हासिल करके यह साबित कर दिया कि अगर जुनून है तो जिस भाषा में आप खुद को अच्छी तरह अभिव्यक्त कर सकते हैं, उससे अपने लक्ष्य को आसानी से हासिल किया जा सकता है।
ऋचा रत्नम ने कहा, सिविल सेवा परीक्षा में यह मेरा पांचवां अवसर था। साक्षात्कार में पहली बार पहुंची थी। 2016 से मैंने नियमित रूप से गंभीरता से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। 2017 में 10 नंबर से साक्षात्कार में बुलावा नहीं आया। फिर एक साल छोड़कर मैंने 2019 की परीक्षा दी। इसके लिए मैंने एक साल तक पूरी तरह फोकस करके तैयारी की।
मुख्य परीक्षा में मेरा विषय इतिहास था। मैंने बीटेक कंप्यूटर साइंस से 2012 में वीआइटी, जयपुर से (अंग्रेजी माध्यम से) किया था। उसके बाद भैया कुणाल द्वारा शुरू किए गए मीडिया पोर्टल वेंचर से फुलटाइम जुड़ गई थी। उस समय मैं कोलकाता में थी। मेरे लिए क्वांटिटी से ज्यादा क्वालिटी महत्वपूर्ण रहा है। बेशक मैंने बीटेक अंग्रेजी माध्यम से किया, पर इस परीक्षा के लिए मैंने हिंदी माध्यम चुना।
स्कूली शिक्षा (10वीं तक) में मेरा माध्यम हिंदी था। इसके बाद मेरा माध्यम अंग्रेजी हो गया। महावीरी सरस्वती विद्या मंदिर, सीवान तक मैंने 12वीं तक की पढ़ाई की। मेरे पिता शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा में इतिहास के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर रहे हैं। जहां तक इस परीक्षा को हिंदी माध्यम से देने की बात है, तो मुझे लगता था कि मेरा ‘नेचुरल थॉट’ है, वह हिंदी में अच्छी तरह सामने आ सकता है। मैं खुद को हिंदी माध्यम से अच्छी तरह अभिव्यक्त कर सकती हूं।
जब मैंने शुरुआती दौर की परीक्षाएं दीं, तो काम करने के कारण मेरी निरंतरता नहीं थी। तैयारी के लिए बहुत समय नहीं दे पाती थी। मैं कोलकाता से 2016 में नोएडा आई। उसके बाद खुद से ही तैयारी की। कोचिंग कोई खास नहीं की। मैंने सिर्फ वैकल्पिक विषय के लिए कोचिंग की मदद ली थी। हालांकि उसी बीच पारिवारिक कारणों से मुझे घर जाना पड़ गया था।
2017 में मैं जब मुख्य परीक्षा तक पहुंची तो मुझे लगा कि इसके लिए मार्गदर्शन की जरूरत है। जिससे मेरी गलतियों के बारे में पता चल सके। फिर मैंने फोरम आइएएस की मदद ली। उससे मुझे आंसर राइटिंग में काफी मदद मिली। मुझे अपनी कमियों को सुधारने में मदद मिली। उत्तर पैराग्राफ में लिखना है या बुलेट में लिखना है, इसे लेकर दुविधा रहती है। किस विषय का उत्तर किस तरह से लिखना है, इसे समझने की जरूरत होती है। इस बारे में कोचिंग से मुझे काफी मदद मिली।
प्रारंभिक परीक्षा के सामान्य अध्ययन (जीएस) और सीसैट के पेपर होता है। जीएस के कई अलग विषय होते हैं। पॉलिटी, ज्योग्राफी, इकोनॉमी आदि के एनसीईआरटी और फिर चुनिंदा खास किताबों को आधार बनाया। संसाधन को सीमित बनाना होगा, अन्यथा हम पढ़ते रह जाएंगे। मैंने पॉलिटी के लिए सिर्फ लक्ष्मीकांत को आधार बनाया, जो मेरे खयाल से पर्याप्त है।
प्रारंभिक परीक्षा में तथ्यों की बजाय कॉन्सेप्ट पर जोर दिया जाता है। अगर कॉन्सेप्ट स्पष्ट है, तो उत्तर आसानी से दिए जा सकते हैं। सीसैट का पेपर बेशक क्वालिफाइंग है, पर इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। हालांकि इससे डरने की जरूरत नहीं है। पीटी से 90 दिन पहले से मैंने सीसैट की नियमित तैयारी की। कॉम्पिहेंशन यानी परिच्छेद को समझना और उन पर आधारित सवालों के जवाब देना बहुत मुश्किल नहीं है।
मुख्य परीक्षा में वैकल्पिक विषय की रणनीति बनाकर नियमित तैयारी की जानी चाहिए। जहां तक मुख्य परीक्षा में निबंध पेपर की बात है, तो मेरा मानना है कि जीएस की पढ़ाई इसमें काफी मदद करती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी आदि विभिन्न मुद्दों को अच्छी तरह समझने के लिए किताबों से काफी मदद मिली। अपना नजरिया अखबारों में किताबों के बुक रिव्यू या किसी लेखक का साक्षात्कार पढ़ना भी काफी उपयोगी होता है।
इंटरनेट से भी काफी मदद मिली। इसके अलावा, पिछले वर्षों में पूछे गए निबंधों का वर्गीकरण करके इसे समझना आसान हो जाता है। मैं हर रविवार एक निबंध लिख कर अभ्यास करती थी। इससे लिखने का अच्छा अभ्यास हो जाता है।