
श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। जीवन भले ही स्थायी न हो, लेकिन नौकरी स्थायी चाहिए। यह इच्छा हर नौकरी करने वाले युवा की होती है। क्योंकि बीच मझधार में नौकरी चले जाने का खतरा बना रहता है। भविष्य भी आशंकाओं से भरा रहता है। शायद यही वजह है कि उत्तर प्रदेश सरकार की संविदा नीति पर बवाल मचा हुआ है। और तो और, इस मुद्दे पर भाजपा अपनों के ही निशाने पर आ गई है।
भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिख कर मांग की है कि समूह ख और समूह ग की नई सेवा नियमावली को निरस्त किया जाए। क्योंकि इससे कर्मचारी वरिष्ठ अधिकारियों के गुलाम बन कर रह जाएंगे। पांच वर्षों तक अस्थायी रखे जाने के कारण कर्मचारियों का शोषण बढ़ जाएगा। इस बात की भी आशंका है कि वरिष्ठ अधिकारी उन कर्मचारियों के मान सम्मान को ठेस पहुंचाते हुए उनसे अपने घर के काम में भी लगा सकते हैं।
श्री सिंह के मुताबिक, कर्मचारियों की स्वतंत्रता छिन जाने और उनका भविष्य अनिश्चितता के अंधकार में धकेल दिए जाने से उनमें नाराजगी बढ़ेगी और असंतोष फैलेगा। इसका नुकसान पार्टी को ही होगा। इस प्रकार समूह ख और ग के लिए नई सेवा नियमावली सवालों के घेरे में है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इसे दबाव बना कर लागू किया जाएगा या निरस्त कर दिया जाएगा। वैसे भी बेरोजगारी से जूझ रहे लोग भाजपा की सत्ता के समक्ष चुनौती बने हुए हैं। इस नए मुद्दे से भाजपा की चुनौती बढ़ जाएगी। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि नई सेवा नियमावली से कार्य संस्कृति विकसित होगी और कर्मचारियों की अपने कार्य के प्रति निष्ठा बढ़ेगी।