
Corona and depression: अवसाद या डिप्रेशन का मतलब आपके मनोभावों में दु:ख ने घर कर लिया है। इसे रोग या सिंड्रोम कहा जाता है। व्यक्ति के प्रेम संबंध के सिलसिले में यह समस्या काफी गंभीर हो जाती है। व्यक्ति लाचार और निराश महसूस करने लगता है।
Corona and depression: देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान अवसाद के मामले तेजी से बढ़े
सत्य ऋषि
कोरोना वायरस के संक्रमण ने दुनिया के माहौल को ही बदल दिया। लोगों को अपने घरों में ही कैद हो जाना पड़ा। लोगों को ऐसा लगने लगा, जैसे इस महामारी ने उनसे सब कुछ छीन लिया।क्योंकि मनुष्य स्वभावत: सामाजिक प्राणी है।
कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन लगाना पड़ गया। ऐसे में व्यक्ति का सामाजिक जीवन पूरी तरह से ठप हो गया। लोग अपने को अकेला महसूस करने लगे। यही वह माहौल है जिसमें अवसाद दबे पांव चला आता है और किसी को पता तक नहीं चलता।
यही वजह है कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान मानसिक अवसाद के मामले तेजी से बढ़े हैं। बंगाल समेत विभिन्न राज्यों में इसकी वजह से कम से कम एक दर्जन लोगों ने आत्महत्या की थी। आत्महत्या करने वालों में पंजाब का एक दंपति भी शामिल है।
शराब न मिलने से अवसादग्रस्त सात मरे
केरल में तो सात लोग लॉकडाउन में शराब न मिलने से अवसादग्रस्त होकर जान दे चुके हैं। कई दूसरे राज्यों से भी ऐसी ही खबरें सामने आई हैं।
आत्महत्या के मामलों को छोड़ भी दें तो बड़ी संख्या में लोग अवसाद की चपेट में आए हैं। कोई कमाई ठप होने से अवसाद में है, तो कोई लगातार घर में बंद रहने की वजह से। किसी को भविष्य की चिंता खाए जा रही है तो किसी को करियर की। यही वजह है कि अस्पतालों के मानसिक रोग विभाग में ऐसे मरीजों की कतारें लंबी होती गई हैं।
पश्चिम बंगाल में एक युवक ने तो लॉकडाउन शुरू होने के पांच दिनों बाद ही आत्महत्या कर ली। उसने सुसाइड नोट में लिखा कि वह मानसिक अवसाद की वजह से आत्महत्या कर रहा है। इसी तरह मेघालय की राजधानी शिलांग के रहने वाले युवक ने आगरा में जान दे दी। क्योंकि उसका रोजगार ठप हो गया था।
कोरोना से जो डर गया, वह मर गया
एक कोरोना पीड़ित युवक ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल की 7वीं मंजिल से कूद कर जान दे दी। पंजाब के अमृतसर में एक अधेड़ दंपति ने तो इस डर से जहर खाकर जान दे दी कि आगे चल कर उनको भी कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है। उसने अपने सुसाइड नोट में इस डर की बात लिखी थी।
केरल में तो कोरोना से ज्यादा मौतें मानसिक अवसाद की वजह से हुई हैं। राज्य में कोरोना के संक्रमण से तो अब तक दो लोगों की ही मौत हुई है। लेकिन लॉकडाउन में शराब न मिलने की वजह से कम से कम सात लोग विभिन्न तरीकों से आत्महत्या कर चुके हैं।
यही वजह है कि राज्य सरकार ने शराब की दुकानों और बार को बंद करने का फैसला देरी से लिया। मुख्यमंत्री पिनारई विजयन की दलील थी कि इससे गंभीर सामाजिक समस्या पैदा हो जाएगी।
मेघालय में शराब को जरूरी बताया गया
पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में भी यही स्थिति है। प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने मुख्यमंत्री कोनराड संगमा को पत्र लिखकर शराब की दुकानों को तत्काल खोलने की अपील की थी। उनका कहना था कि शराब पीना मेघालय के आम जनजीवन का अभिन्न अंग है।
पुणे में अपना बिजनेस चलाने वाली श्रद्धा केजरीवाल को एक सप्ताह से बुरे-बुरे सपने आ रहे थे। उनके मुताबिक, कारोबार ठप होने और अनिश्चित भविष्य की चिंता ने नींद उड़ा दी है। वह फिलहाल एक मनोचिकित्सक की सेवाएं ले रही हैं।
पुणे महाराष्ट्र के उन शहरों में है, जो सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित है। इस राज्य में कोरोना के मामले सबसे ज्यादा आए। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में तो सैकड़ों लोग मानसिक अवसाद की चपेट में हैं।
हाथ धोने की वजह से कोरोनाफोबिया
किसी को लगातार हाथ धोने की वजह से कोरोनाफोबिया हो गया है तो किसी को छींक आते ही कोरोना का डर सताने लगता है। ऐसे कई मरीज मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं।
सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों ने भी स्थिति को गंभीर बना दिया। विशेषज्ञों का कहना है कि उनके पास सलाह के लिए आने वालों या फोन करने वालो में कई लोग ऐसे हैं जिनका मानसिक स्वास्थ्य पहले एकदम दुरुस्त था।
मनोचिकित्सक रंजन घोष बताते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लोगों को भीड़ से डर लगने लगा है। ट्रॉमा थैरेपिस्ट रुचिका चंद्रशेखर कहती हैं कि लॉकडाउन की वजह से अवसाद और चिंता के लक्षण तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे जीवन पर खतरा भी बढ़ेगा।