Corona Vaccination Is Power: आज चर्चा है कि भारत का ताकतवर विरोधी देश चीन जैविक हथियारों के रूप में कोरोना वायरस का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसा वह क्यों करेगा? जबकि भारत चीन से आयात के जरिये उसे ही फायदा पहुंचाता है। लेकिन चीन भारत की सामरिक क्षमता और अमेरिका की दोस्ती से चिंतित है। आज हम चर्चा करेंगे कि भारत ने किस प्रकार अपनी सामरिक क्षमता में इजाफा किया।
Corona Vaccination Is Power: अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत बना परमाणु शक्ति
श्रीकांत सिंह
Corona Vaccination Is Power: इंदिरा गांधी ने 1974 में तय किया था कि भारत परमाणु बम बनाएगा। लेकिन उस समय भारत अधिक विकसित नहीं था। फिर भी इंदिरा गांधी ने पोखरन में परमाणु परीक्षण कर ही दिया। लेकिन यह परीक्षण अधिक सफल नहीं रहा। इस परीक्षण का नाम रखा गया था, स्माइलिंग बुद्धा यानी बुद्ध मुस्कराए।
इस बात से अमेरिका भारत से नाराज हो गया। और परमाणु परीक्षण के संदर्भ में उसने एक नियम बनाया, जो सीटीबीटी के नाम से प्रसिद्ध है। सीटीबीटी का फुलफार्म है कांप्रीहेंसिव टेस्ट बैन ट्रिटी। इसे हिंदी में कहते हैं, व्यापक परमाणु परीक्षण निषेध संधि।
परमाणु परीक्षण पर अमेरिकी रोक
इस नियम के जरिये अमेरिका ने परमाणु परीक्षण पर रोक लगा दी। नियम में कहा गया कि कोई भी देश जल, थल अथवा आकाश में परमाणु परीक्षण नहीं कर सकता। यही नहीं, अमेरिका ने एनएसजी यानी न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप बना दिया। इसके अलावा उसने एनपीटी यानी नाभिकीय अप्रसार संधि के जरिये भी भारत को परमाणु परीक्षण करने से रोक दिया।
अब भारत को कोई भी देश यूरेनियम की सप्लाई नहीं कर सकता था। यूरेनियम वह धातु है जो परमाणु बम बनाने और उसका परीक्षण करने के काम आती है। इस पर भारत ने तारापुर में परमाणु बिजलीघर बनाने के लिए यूरेनियम हासिल कर लिया।
लेकिन एक दिन ऐसा भी आया
लेकिन इस यूरेनियम से परमाणु परीक्षण संभव नहीं था। क्योंकि बिजलीघर चलाने के लिए जो यूरेनियम काम आता है, उसकी क्षमता मात्र 20 प्रतिशत होती है। परमाणु बम बनाने के लिए 80 प्रतिशत क्षमता वाला यूरेनियम चाहिए। भारत इसी समस्या पर लगातार विचार करता रहा। लेकिन एक दिन ऐसा भी आया।
9 मई, 1998। अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे उस समय। परमाणु बम के निर्माण में एपीजे अब्दुल कलाम को लगा दिया गया। इससे अमेरिका चिंतित हुआ। क्योंकि उसे भरोसा था कि कलाम परमाणु बम बनाने का कोई न कोई तरीका निकाल ही लेंगे। कलाम को अमेरिका बुलाया गया और उन्हें नासा का हेड बनाने का प्रस्ताव दिया गया।
जब कलाम ने अमेरिकी प्रस्ताव को ठुकरा दिया
लेकिन कलाम ने अमेरिकी प्रस्ताव को ठुकरा दिया। और परमाणु बम बनाने के प्रयास में लग गए। अटल जी ने उन्हें खुली छूट दे रखी थी कि भारत को जैसे भी हो परमाणु बम चाहिए ही चाहिए। अमेरिका आशंकित था ही। उसने सैटेलाइट के जरिये भारत की निगरानी शुरू कर दी थी। यह बात कलाम ने बताई थी। क्योंकि जब वह अमेरिका गए थे तो उन्होंने अमेरिका की यह चाल समझ ली थी।
अंत में 9 मई, 1998 को भारत परमाणु परीक्षण करने में सफल हो गया। भारत ने 11 मई, 1998 को एक और परीक्षण कर लिया। परीक्षण के समय जो धुंआ उठा था, उसके बारे में भारत ने अफवाह फैला दी थी कि तूफान आया हुआ है। इससे अमेरिका गफलत में रह गया और भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश बन गया।
परीक्षण से पाकिस्तान में भूकंप आने लगा था
इस परीक्षण से पाकिस्तान में भूकंप आने लगा था। इसलिए पाकिस्तान को शक हो गया कि हो न हो भारत ने परमाणु परीक्षण कर लिया हो। यह बात पाकिस्तान ने अमेरिका को बता दी। और कहा कि भारत में कोई तूफान नहीं आ रहा है। भारत तो परमाणु परीक्षण कर रहा है।
इससे अमेरिका खफा हो गया और उसने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन विदेशों में काम कर रहे भारतीय कामगारों ने देश की अर्थव्यवस्था को गिरने नहीं दिया। बता दें कि उसी समय पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण कर लिया था। जाहिर है कि अमेरिका ने पाकिस्तान पर भी आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया।
इस प्रतिबंध को पाकिस्तान नहीं झेल पाया। और वह परमाणु बम की तकनीक उत्तर कोरिया जैसे देशों को बेचने लगा। इससे अमेरिका दबाव में आ गया और उसने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों से आर्थिक प्रतिबंध हटा लिया। इस प्रकार भारत बिना किसी नुकसान के परमाणु शक्ति संपन्न देशों की सूची में आ गया।
निष्कर्ष
Corona Vaccination Is Power: भारत की सामरिक और आर्थिक ताकत से चिंतित होकर चीन कोरोना जैसे जैविक हथियार का इस्तेमाल कर रहा है। इससे देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है। इसलिए देश के शासकों को चाहिए कि वे चुनाव और नया संसद भवन बनाने की खुमारी से बाहर आएं। और सघन कोरोना टीकाकरण पर ध्यान दें।
तभी हम चीन की चाल का जवाब दे पाएंगे। क्योंकि चीन की सामरिक क्षमता का जवाब है कोरोना टीकाकरण। इस संदर्भ में आपको क्या लगता है? आप कमेंट करके अपने विचार साझा कर सकते हैं।