

CPI (M): एसईसीएल की गेवरा परियोजना के लिए वर्ष 1980-81 में घाटमुड़ा के 75 परिवारों को विस्थापित किया गया था। 25 एकड़ के प्लॉट में गंगानगर ग्राम में उन्हें बसाया गया था। पिछले 40 सालों में इन विस्थापित परिवारों की संख्या और आबादी बढ़ कर दोगुनी से अधिक हो गई है। लेकिन अब अवैध बता कर नोटिस दिए जा रहे हैं।
CPI (M): सचिव का एसईसीएल महाप्रबंधक को ज्ञापन
रमेश कुमार रिपु
कोरबा। CPI (M): मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने गंगानगर ग्राम में बसाए गए घाटमुड़ा के विस्थापित परिवारों की मांगों के समर्थन में चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा की है। इस आशय का ज्ञापन माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने एसईसीएल महाप्रबंधक को दिया है।
किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर, रामायण कंवर, दीपक साहू, संजय यादव आदि ने एसईसीएल के गेवरा क्षेत्र के महाप्रबंधक को चेतावनी दी है कि 20 नवंबर को गेवरा मुख्यालय का घेराव किया जाएगा।
प्रकरणों के निराकरण की मांग
ज्ञापन में मांग की गई है कि अधिग्रहण के बाद लंबित रोजगार प्रकरणों का तत्काल निराकरण किया जाए। विस्थापित परिवारों को गंगानगर की कब्जा भूमि पर अधिकार पत्र और भूविस्थापित होने का प्रमाण पत्र दिया जाए।
अवैध कब्जा बता कर की गई तोड़-फोड़ का मुआवजा दिया जाए।पुनर्वास ग्राम गंगानगर में स्कूल-अस्पताल, बिजली-पानी, गौठान, मनोरंजन गृह, श्मशान घाट जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। और उन्हें विभागीय अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध करा कर राहत प्रदान की जाए।
एसईसीएल की गेवरा परियोजना के लिए विस्थापित किए गए थो 75 परिवार
उल्लेखनीय है कि एसईसीएल की गेवरा परियोजना के लिए वर्ष 1980-81 में घाटमुड़ा के 75 परिवारों को विस्थापित किया गया था। 25 एकड़ के प्लॉट में गंगानगर ग्राम में उन्हें बसाया गया था। पिछले 40 सालों में इन विस्थापित परिवारों की संख्या और आबादी बढ़ कर दोगुनी से अधिक हो गई है। लेकिन अब उनके कब्जे को अवैध बता कर नोटिस दिए जा रहे हैं।
तोड़-फोड़ भी की जा रही है। इस मुद्दे पर माकपा और छत्तीसगढ़ किसान सभा पिछले दो वर्षों से विस्थापित ग्रामीणों के पक्ष में आंदोलन कर रही है। दो माह पूर्व ही कब्जा हटाने के लिए एसईसीएल की ओर से दी गई नोटिसों का सामूहिक दहन किया गया था। और मुख्यालय घेराव के लिए पदयात्रा का आयोजन किया गया था।
इसे लॉकडाउन का हवाला देते हुए प्रशासन ने बीच में ही रोक दिया था। इन आंदोलनों के दौरान कई बार ग्रामीणों की एसईसीएल प्रबंधन और प्रशासन के साथ वार्ता हुई। लेकिन आश्वासन के बावजूद निराकरण नहीं हुआ।
निर्णायक लड़ाई लड़ने का फैसला
अब माकपा और किसान सभा के नेतृत्व में ग्रामीणों ने निर्णायक लड़ाई लड़ने का फैसला कर लिया है। चरणबद्ध आंदोलन की अगली कड़ी के रूप में 30 नवंबर को गेवरा परियोजना में कोयला उत्पादन ठप्प करने और 10 दिसम्बर को रेल मार्ग से कोयला परिवहन जाम करने की भी घोषणा की गई है।
माकपा नेता प्रशांत झा ने राज्य सरकार और कोरबा जिले के मुखिया मंत्री से पीड़ित विस्थापित परिवारों के पक्ष में हस्तक्षेप करने का भी आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि एसईसीएल और सरकार से हमारी मांगें कानून के दायरे में ही हैं। लेकिन इन मांगों पर सुनवाई नहीं होती, तो 10 दिसम्बर के बाद इस आंदोलन के अगले चरण की घोषणा कर दी जाएगी।