Deepawali: दीपावली को स्वच्छता और पवित्रता से मनाया जाता है। घरों और आस पास की विधिवत सफाई की जाती है। इस प्रकार इस त्योहार में स्वच्छ भारत अभियान समाहित है।
Deepawali: किसानों की खुशियों का त्योहार
Deepawali: दीपावली से कुछ दिन पहले सारे लोग अपने घर द्वार गलियों और मुहल्लों की साफ सफाई में जुट जाते हैं। और दुकानदार हाट बाजार में अपनी दुकानों की भी साफ सफाई और उसका रंगरोगन करते हैं।
इस प्रकार यह त्योहार स्वच्छता और पवित्रता से मनाया जाता है। इसके आयोजन में सजावट की भावना का भी समावेश होता है। कुल मिला कर दीपावली में स्वच्छ भारत अभियान समाहित है।
पटाखों का प्रचलन ठीक नहीं
आजकल दीपावली में बच्चों के बीच पटाखों को फोड़ने का खूब प्रचलन हो गया है। और इस दिन आतिशबाजी से हर साल दुर्घटनाएं होती हैं। और काफी बच्चों के हाथ और शरीर के अन्य अंग जल जाते हैं। आतिशबाजी से फेफड़ों को भी नुकशान पहुंचता है। और इसके प्रचलन पर रोक लगनी चाहिए।
हमारे देश की कृषि संस्कृति में दीपावली रबी फसल की बुआई की खुशी में मनाया जाने वाला त्योहार है। और इस फसल की अच्छी पैदावार पर ही सदियों से हमारे देश की सुख समृद्धि निर्भर रही है। दीपावली इस प्रकार किसानों की खुशियों का त्योहार है।
खुशियों का त्योहार
इस दिन सबके मन का अंधेरा दूर हो जाता है। सारे लोग नई आशा और उमंग के साथ अपने कार्यों में संलग्न होते हैं। दीपावली खुशियों का त्योहार है और इसे आतिशबाजी या बिजली बल्बों की जगमगाहट का जश्न नहीं समझा जाना चाहिए।
यह त्योहार प्रकृति के साथ मनुष्य के गहन रिश्तों की याद दिलाता है। और जीवन के गहन अंधेरे में भी मन में रोशनी की किरण को कायम रखने का संदेश देता है। मनुष्य के जीवन में दीप को आशा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन रात्रि में जलाए जाने वाले असंख्य दीपक हमारे जीवन में अनंत आशाओं के प्रतीक हैं।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, इसी पावन दिवस को भगवान राम लंका में रावण पर विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या आए थे और रामराज्य की स्थापना की थी। इस प्रकार दीपावली रामराज्य की स्थापना का त्योहार है। यह अधर्म और अनैतिकता पर मनुष्यता और सदाचार की जीत का त्योहार है।
इस त्योहार में लड़कियां अपने घरों में सुंदर घरौंदे बनाती हैं। और वहां विविध प्रकार के भुने अनाज को मिट्टी के बने रसोई के बर्तन रूपी खिलौनों में डाल कर अपने भाइयों के बीच उसे बांटती हैं।
मिट्टी के खिलौनों की प्रथा
अपने घरों में दीप प्रज्वलन के बाद लड़कियां चूल्हा चकरी का खेल खेलती हैं। और बेसन के बने लड्डुओं से गणेश लक्ष्मी की पूजा करती हैं। दीपावली से एक-दो दिन पहले धनतेरस के दिन बाजार में जाकर सोने चांदी के आभूषण के अलावा पीतल और कांसे के बर्तनों को खरीदने की परंपरा है।
आजकल धनतेरस के दिन इलेक्ट्रॉनिक्स के घरेलू सामान, स्कूटर, बाइक की खरीदारी भी करना लोग पसंद करते हैं।