Defamation of Efficiency: हमारे देश में इतना सारा कौशल भरा पड़ा है। उसे यदि सम्मान दिया जाए, तो भारत निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सुपर पावर बन सकता है। लेकिन यहां तो कुशलता को अपमानित किया जा रहा है। लगभग हर क्षेत्र की यही हालत है। लेकिन आज हम अपने ही क्षेत्र यानी पत्रकारिता की बात करेंगे।
Defamation of Efficiency: आटो एक्सपो 2023 का काला सच
इंफोपोस्ट न्यूज
Defamation of Efficiency: पहले एक उदाहरण ले लेते हैं। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क में आटो एक्सपो 2023 चल रहा है। इस आयोजन से तमाम पत्रकारों को किस कदर दूर रखा गया, वह सुनियोजित अव्यवस्था की एक मिसाल है। पत्रकारों के आनलाइन रजिस्ट्रेशन के नाम पर जो हुआ, उसे तमाम पत्रकार झेल गए। उनके लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के कार्यक्रम को कवर करना तो दूर, आयोजन परिसर में प्रवेश करना भी कठिन कर दिया गया।
कुछ पत्रकार तो सुरक्षा कर्मचारियों को समझा ले गए कि सियाम की वेबसाइट में दिक्कतों के कारण उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। और इसी वजह से वे पास नहीं हासिल कर सके। लेकिन इस बात को अधिकारी या तो समझ नहीं पाए या वे समझना ही नहीं चाह रहे थे। आयोजन की किस कमी को छिपाने के लिए यह सब किया गया, यह तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा। लेकिन आयोजन की व्यवस्थित अव्यवस्था साक्षात सामने आ गई।
पत्रकारों के लिए भोजन की शानदार व्यवस्था
आटो एक्सपो 2023 में पत्रकारों के लिए भोजन की शानदार व्यवस्था की गई थी। लेकिन उसमें एक छोटी सी कमी रह गई थी। निर्धारित स्थल पर भोजन ही उपलब्ध नहीं था। लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या पत्रकारों का चारा कोई और चर गया? लोग कह रहे हैं कि ईमानदारी के लिए विख्यात उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि इस मामले की निष्पक्ष जांच कराए। और इस अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी को दंडित करे।
अतिथि देवो भव। इस आदर्श को मानने वाले भारत की इस कदर अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती कोई भ्रष्ट अधिकारी ही कर सकता है। परंपराओं की बात करें, तो भारत के किसी भी कोने में भोजन के लिए मेहमान से विशेष आग्रह किया जाता है। लेकिन इतने बड़े आयोजन से पत्रकारों का बिना भोजन किए लौटना गहरा संदेह पैदा करता है। बुला कर भोजन न कराना गेस्ट का अपमान है या होस्ट का? यह तय करने की जिम्मेदारी हम आप पर छोड़ते हैं।
परफेक्ट रिलेशन अधिकारी कितने परफेक्ट?
आयोजन का काम धाम देख रहे परफेक्ट रिलेशन अधिकारी कितने परफेक्ट हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके पास पत्रकार की भी फोन काल लेने का समय नहीं है। आखिर इतनी व्यस्तता किस काम की, जो एक छोटी सी समस्या का समाधान भी न कर पाए? एक कहावत है, उलटा चोर कोतवाल को डांटे।
अधिकारी बजाय समस्या का समाधान करने के, उलटे पत्रकारों पर आरोप लगाने लगे कि उनकी बातचीत बिना परमीशन के रिकॉर्ड की जा रही है। इस झूठे आरोप की आड़ में वे पत्रकारों को ही धमकाने लगे। लेकिन जब पत्रकार ने अपना फोन चेक कराया, तो उनका मुंह छोटा सा बन गया। हालांकि परफेक्ट रिलेशन अधिकारी आदित्य ने बड़ी ही शालीनता से बात की।
किसने लगाया मीडिया कवरेज को पलीता?
वहां बताया गया कि मीडिया का काम कोई धीरज जी देख रहे हैं। वही समस्या का समाधान कर सकते हैं। लेकिन धीरज जी हाल नंबर 14 में आयोजित पीसी में व्यस्त थे। वहां उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वह सिर्फ इतना कर पाए कि वहां प्रवेश करने की अनुमति दे दी। टाटा के कर्मचारियों से बात की गई तो वे सिर्फ यह आश्वासन दे पाए कि गडकरी जी के कार्यक्रम को रिकॉर्ड करके भेज देंगे। लेकिन उन्होंने कोई वीडियो नहीं भेजा, जिससे आयोजन को तमाम पत्रकार कवर नहीं कर पाए।
दरअसल, आयोजन का पास कुछ चुनिंदा और चहेते पत्रकारों को ही मिल पाया था। ये वे पत्रकार थे, जो कवरेज के नाम पर गिफ्ट के झोले बटोर रहे थे। वे भारी भरकम झोलों से इतना लद गए थे कि चल भी नहीं पा रहे थे। इस झोला बटोरो प्रवृत्ति को देख कर कुछ कंपनियों के लोग डर गए और उन्होंने ऐन मौके पर अपनी पीसी रद्द कर दी।
खबर नहीं, झोला बटोरने में लगे रहे भाई लोग
Defamation of Efficiency: गजब का देश बन गया है भारत। कोई कहता है, फकीर हूं और झोला लेकर चले जाना है। और कोई इस बात पर अड़ जाता है कि बिना झोला लिए नहीं जाना है। कभी भारतीय राजनीति सूटकेश के इर्दगिर्द घूमा करती थी, आज झोला उसके केंद्र में आ गया है। हमने सियाम के अधिकारियों राजेश मेनन, अनुज शर्मा और आदित्य आदि से फोन पर बात करने की कोशिश की। लेकिन किसी ने अपना पक्ष रखना जरूरी नहीं समझा। इसलिए खबर में उनका पक्ष शामिल करना संभव नहीं हो पाया।
आप तो यह आए दिन देख रहे हैं कि किस कदर पत्रकारिता की प्रतिभाओं को मुख्य धारा के मीडिया से दूर किया जा रहा है। अब लगभग सभी यूट्यूब चैनल पर सक्रिय हैं। लेकिन उन्हें मोनोलॉग पर निर्भर होना पड़ा है। एक पक्ष की ही बात आपके सामने आ पा रही है। गोदी मीडिया अपनी धुन में ऐंठा रहता है तो विरोधी मीडिया भी एक प्रकार की अति का शिकार है। ऐसे में परफेक्ट जानकारी आप तक कैसे पहुंचे, यह भी आपको ही तय करना है।