आर.के.तिवारी
कहते हैं हुनर बोलता है। अपने लिए भी और दूसरों के लिए भी। पूर्वांचल के कामगारों का हुनर इतना बोल रहा है कि कंपनियां हवाई जहाज का टिकट भेजकर उन्हें बुला रही हैं। इसी हुनर के बूते कोरोना संक्रमण काल में भी गोरखपुर का हवाई अड्डा यात्रियों से गुलजार है। यह हाल है मुंबई और हैदराबाद की कंपनियों का। इसके विपरीत दिल्ली की फैक्टरियां असुरक्षा और हादसों के उदाहरण के रूप में सामने आई हैं।
पिछले दिनों दिल्ली के पांडव नगर इलाके की एक केमिकल फैक्टरी में भीषण आग लग गई।दमकल विभाग की 12 गाड़ियों ने आग पर काबू पाया। नजदीक की बजाज मशीनरी, मुस्कान बेकरी सहित अन्य गोदाम भी आग की चपेट में आए। हालांकि कोई जनहानि नहीं हुई और आस-पास की फैक्टरी और मकान से लोगों को निकाल लिया गया। इस फैक्टरी एरिया के पीछे रिहायशी इलाका है, जिसे एफएसओ ने खाली करा दिया था।
सीएफओ सुनिल कुमार ने बताया था कि डायमंड फ्लाईओवर के पास सेंचुरी केमिटेक फैक्टरी में केमिकल व थिनर आदि का भंडारण व ट्रेडिंग का कार्य होता था। अचानक भयंकर आग की सूचना मिली। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर फायर टेंडर रवाना किए गए। हिंडन एयरफोर्स, टाटा स्टील और गौतमबुद्ध नगर से भी गाड़ियां मंगाई गईं। आग बहुत ही विकराल और भयावह थी जिसे सभी अग्निशमन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने बुझा दिया था।
दिल्ली के प्रह्लादपुर बांगर इलाके की फैक्टरी की अगल कहानी है। दिल्ली पुलिस ने एक दुकान पर छापे मार कर नकली टाटा नमक बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था। पुलिस ने 3000 किलो से अधिक नकली नमक बरामद किया था। दुकान के मालिक को गिरफ्तार कर कॉपी राइट एक्ट के प्रावधानों के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।
दिल्ली की 146 औद्योगिक इकाइयों की दास्तां तो एकदम जुदा है। डीपीसीसी यानी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया था कि यह इंडस्ट्री पीएनजी में शिफ्ट नहीं हुई है और अभी भी प्रदूषित ईंधन का इस्तेमाल कर राजधानी में प्रदूषण को बढ़ाया जा रहा है। 31 मार्च 2019 को ही दिल्ली में यह नियम लागू किया गया है कि जहां भी पीएनजी सप्लाई है, उस क्षेत्र की इंडस्ट्री ईंधन के तौर पर सिर्फ पीएनजी से चलेंगी। इन इंडस्ट्री को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया गया था।
सर्दियों में हर साल इंडस्ट्रियों को प्रदूषण की बड़ी वजह बताया जाता है। प्रदूषण के पीक के दिनों में इंडस्ट्रियों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इसी के चलते इंडस्ट्रियों को क्लीन फ्यूल में शिफ्ट करने की कवायद पिछले दो सालों से चल रही है। उन एरिया की लिस्ट आईजीएल से ली गई और इसके बाद उन एरिया की इंडस्ट्रियों का पता लगाया गया, जो अन्य तरह के ईधन का इस्तेमाल कर रही हैं।
दिल्ली की हवा को साफ बनाने के लिए पीएमओ की टास्क फोर्स ने भी 18 दिसंबर 2018 को निर्देश दिए थे, जिसके बाद सीपीसीबी ने 2 जुलाई 2019 की मीटिंग में इसे लेकर चर्चा की थी। निर्देश के मुताबिक 31 मार्च 2019 तक जिन एरिया में पीएनजी की सप्लाई है, वहां की इंडस्ट्री पीएनजी में शिफ्ट हो जाए। इसके बाद भी डिमांड आने के बाद यह समय सीमा 30 अप्रैल 2019 तक के लिए बढ़ाई गई थी।
यह इंडस्ट्री बवाना, बादली, जहांगीरपुरी, उत्तम नगर, झिलमिल, कीर्ति नगर, लॉरेंस रोड, लिबासपुर, मंडोली, मंगोलपुरी, मायापुरी, नजफगढ़, नरेला, ओखला, उद्योग नगर, वजीरपुर आदि क्षेत्रों में स्थित हैं। हालांकि कोरोना वायरस के व्यापक संक्रमण के कारण इन फैक्टरियों में काम काज बंद हो गया था और दिल्ली की हवा काफी साफ हुई थी। लेकिन अनलॉक का दौर शुरू होने से दिल्ली पर प्रदूषण का खतरा मंडराने लगा है। इसलिए दिल्ली की फैक्टरियों की दोबारा पड़ताल न की गई तो ये हवा में जहर उगलने से बाज नहीं आएंगी।