पहले मरने की फुर्सत नहीं थी, अब फुर्सत में जहर खाने लगे हैं लोग कोरोना जैसी महामारी से सारी दुनिया में छटपटाहट है। भागदौड़ भरी जिन्दगी के पहिये थम से गये हैं। आम आदमी हँसना तो क्या जीना भूल गया है। ऐसे में हताश और निराश चेहरे पर चंद पल के लिए भी एक छोटी दी मुस्कान लाना बहुत बड़ी बात है।
कोरोना के इस भीषण संकट में तनाव के बीच लोगों को हँसाने का बीड़ा उठाया है कॉमेडी के बादशाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नवरत्नों में शामिल जाने-माने वाले हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव ने। उन्हें उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है।
राजू श्रीवास्तव से लम्बी बातचीत की पत्रकार पवन सक्सेना ने। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश-
कोरोना के इस संकट में जहाँ आम इंसान हँसना भूल गया है लेकिन आप अब भी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से लोगों को खुलकर हंसा रहे हैं। बहुत बड़ी बात है ये। सबसे पहले तो इंसानियत की सच्ची सेवा करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
मेरा पहला सवाल, कैसा महसूस करते हैं आप लोगो के चेहरों पर मुस्कान बिखेर कर ?
टेन्शन तो बहुत है जिंदगी में, लेकिन मेरी सोच है नकारात्मकता को सकारात्मकता में बदलने का प्रयास जरूर करना चाहिए। पहले शिकायत रहती थी कि ज़हर खाने को फुरसत नहीं और अब फुरसत मिल गयी है तो कई लोग ज़हर खा कर ही निकल ले रहे हैं।
बेबस और लाचार लोगों की पल-दो पल की मुस्कान ही सही, मुझे बहुत सुकून मिलता है लोगों को हंसी का तोहफा देना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान के आप ब्रांड अंबेसडकर तो हैं ही और अब आपको उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। सबसे पहले इस उपलब्धि के लिए बधाई।
मेरा सवाल है कि काफी समय से उत्तर प्रदेश में फ़िल्म इंडस्ट्री स्थापित करने की मांग की जा रही थी। प्रदेश वासियों का यह सपना कब पूरा होगा?
जल्दी ही क्योंकि राज्य सरकार प्रदेश की सांस्कृतिक, पौराणिक और ऐतिहासिक विरासत का देश-विदेश में प्रचार-प्रसार करना चाहती है। इसके अलावा राज्य की प्रतिभाओं को आगे बढ़ाना चाहती है। इसके लिए राज्य सरकार ने फिल्म पॉलिसी में बुनियादी तौर पर कुछ बदलाव किये हैं। जैसे कि अब देश की सभी क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों को फिल्म की कुल लागत की 50 फीसदी तक सब्सिडी मिलेगी। इसी तरह से हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की फिल्मों को फिल्म की कुल लागत का 25 फीसदी अनुदान मिलेगा।
सरकार आउटडोर शूटिंग के लिए फ़िल्म यूनिट को क्या सुविधा उपलब्ध करवायेगी ?
उत्तर प्रदेश में आउडटोर शूटिंग करने वाली यूनिट को यूपी राज्य पर्यटन विकास निगम के होटल्स में कमरों के किराये में 25 फीसदी छूट दी जाएगी। इसके अलावा लोक निर्माण विभाग, वन विभाग, सिंचाई विभाग और राज्य संपत्ति विभाग के अतिथि गृह और विश्रामालय भी कम रेट पर उपलब्ध कराए जायेंगे।
फिल्मों को प्रोत्साहित करने के लिए आपके पास क्या योजना है?
हमने यूपी को चार भागों में बांटकर काम करना शुरू किया है। हिन्दी तो सर्वमान्य भाषा है। दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं में बुंदेलखंडी, बृज, अवधी और भोजपुरी भाषा की फिल्में। इन फिल्मों को बनाने में सरकार 25 से 50 फीसदी तक की सब्सिडी देती है। हमारी कोशिश होगी इनमें अधिक से अधिक स्थानीय भाषा की फिल्में बनाने वाले लोग सामने आएं।
नई फिल्म नीति के तहत देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओं में बनने वाली सभी फिल्मों को जहां कुल लागत का 50 फीसदी तक अनुदान के रूप में दिया रहा है वहीं, हिंदी और अंग्रेजी में निर्मित फिल्मों के लिए अनुदान फिल्म की कुल लागत का अधिकतम 25 फीसदी है।
देखा जा रहा है कि अधिकांश प्रदेश अपने टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए पब्लिसिटी करते हैं, लेकिन उनकी तुलना में उत्तर प्रदेश का टूरिज्म पीछे रहता है, ऐसा क्यों ?
ऐसा नहीं है। अब योगी सरकार की नई फिल्म पॉलिसी से सिल्वर स्क्रीन पर उत्तर प्रदेश चमक रहा है। आजकल बॉलीवुड की फिल्मों में बनारस के घाट, वृंदावन की गलियां, लखनऊ और कानपुर के नजारे आम हैं। राज्य सरकार की नई फिल्म पॉलिसी से प्रदेश में देसी-विदेशी फिल्मों की शूटिंग बढ़ी है।
आजकल फिल्मों में रियल लोकेशंस पर फिल्म शूट करने का चलन बढ़ा है। राज्य में फिल्मों को अनुदान मिलने से भी निर्देशकों ने यहां का रुख किया है।
इसके जरिए सरकार अपने पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देना चाहती है ताकि राज्य में होटलों की बुकिंग बढ़े साथ ही इससे राज्य में रोजगार के मौके पैदा करने में भी मदद मिलेगी।
छोटे-छोटे शहरों से अनगिनत टैलेंट कुछ कर गुजरने का सपना पाले मुम्बई की तरफ रुख करते हैं। उनका ये पलायन कैसे रोकेंगे ?
उसी के लिए हमने उत्तर प्रदेश में फिल्म सिटी विकसित करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे सरकार ने मंजूर कर लिया है। पहली फिल्म सिटी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बनेगी। उसके लिए जमीन का अधिग्रहण हो गया है। दूसरी लखनऊ में बनेगी। इससे यूपी में लाखों युवकों को रोज़गार मिलेगा और अब प्रदेश के प्रतिभाशाली कलाकारों को मुम्बई जा कर भटकना भी नहीं पड़ेगा। उन्हें बिना किसी परेशानी के यहीं उनकी योग्यता अनुसार काम मिलेगा।
इसके अलावा फिल्मों के पोस्ट प्रोडक्शन के लिए भी कई अनुदान बढ़ाया जा रहा है, ताकि राज्य में फिल्मसिटी या फिल्मों का लैब बन सके। अब तक ज्यादातर पोस्ट प्रोडेक्शन मुंबई या दक्षिण भारतीय राज्यों में होता है लेकिन हम यूपी के शहरों में फिल्म लैब का विस्तार करने को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
अगर कोई निवेशक प्रदेश के बड़े शहरों में फिल्म प्रशिक्षण संस्थान खोलता है जिससे हमारे यहाँ के टेलेन्ट को तराशा जाए तो ऐसे निवेशक को लागत धनराशि का 50 फीसदी, अधिकतम 50 लाख अनुदान उत्तर प्रदेश सरकार देगी।
फिल्म सिटी बनाने के लिए पर्यटन विभाग ने फिल्म विकास परिषद को वाराणसी में 106 एकड़ जमीन भी दे दी है।
सबसे अहम सवाल, कोरोना को लेकर देश का भविष्य क्या देखते हैं?
यहाँ पर मैं एक ही बात कहूँगा कि जिंदगी को जीने का नज़रिया बदलना होगा। सोच बदलते ही परिस्थितियां भी अनुकूल होने लगती हैं। जहाँ तक बात कोरोना की है तो यकीन मानिए ये कोरोना भी आने वाले समय में डेंगू और मलेरिया की तरह रह जायेगा, जल्दी ही इस पर काबू कर लिया जाएगा। बस अभी ज़रूरत है अपने आपको सुरक्षित रखने की, साफ सफाई का ध्यान रखते हुए अपनी इम्युनिटी बढ़ाने की।
आखिर में पाठकों को कोई संदेश आपके अंदाज़ में ?
आप सभी से यही निवेदन, स्वस्थ राहें और सुरक्षित रहें। और एक खास बात बिना काम के घर से बाहर न निकलें क्योंकि…
बाहर निकल भ्रमण जिन कीन्हां।
खाकी-गण दारुन दुख दीन्हां॥
लंब डंड से होत ठुकाई।..
करहु नियंत्रण मन पर भाई॥
लॉकडाउन रहहु गृह माहीं।..
भ्रमण फिज़ूल करहु तुम नाहीं !!
बोलो सियावर रामचन्द्र की जय॥
पवन सुत हनुमान की जय !!