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ECAR INDIA 02: हम कार के आंतरिक दहन इंजनों और इलेक्ट्रिक कार की विकास यात्रा पर चर्चा करेंगे। आंतरिक दहन इंजनों के लोकप्रियता अर्जित करने से पूर्व ही इलेक्ट्रिक मोटर वाहनों ने गति और दूरी के कई रिकॉर्ड बना लिए थे।
ECAR INDIA 02: पेट्रोल-ईंधन वाली कारों के साथ गुणवत्ता की प्रतिस्पर्धा
इंफोपोस्ट डेस्क
ECAR INDIA 02: केमिल जेनात्ज़ी ने 29 अप्रैल 1899 को अपने रॉकेट के आकार के वाहन जमैस कांतेंते के जरिये गति के अधिकतम रिकार्ड 100 किलोमीटर प्रति घंटा को तोड़ दिया था। उन्होंने अधिकतम गति को 105.88 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंचा दिया था। 1920 के दशक से पहले इलेक्ट्रिक मोटर वाहन पेट्रोल-ईंधन वाली कारों के साथ गुणवत्ता की प्रतिस्पर्धा कर रहे थे।
1896 में बैटरियों को चार्ज करने के झंझट से छुटकारा पाने के लिए हार्टफोर्ड इलेक्ट्रिक लाइट कंपनी ने इलेक्ट्रिक ट्रकों के लिए बैटरी बदलने की सेवा का प्रस्ताव रखा। वाहन मालिक जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी से वाहन बैटरी के बिना खरीदते थे और बिजली हार्टफोर्ड इलेक्ट्रिक लाइट कंपनी से बैटरी के माध्यम से ली जाती थी। यह बैटरी इस्तेमाल के बाद चार्ज बैटरी से बदल ली जाती थी।
बैटरी सेवा सेवा 1910-1924 के बीच उपलब्ध कराई गई
मालिक प्रयोग के हिसाब से प्रति मील प्रभार और मासिक सेवा और ट्रक के रखरखाव के लिए एक निश्चित राशि का भुगतान करते थे। यह सेवा 1910-1924 के बीच उपलब्ध कराई गई और उस दौरान वाहन साठ लाख मील चले। 1917 में शिकागो में भी एक ऐसी ही सेवा शुरू हुई जिसमें मिलबर्न लाइट इलेक्ट्रिक के ग्राहक बिना बैटरी के कारें खरीद सकते थे।
1897 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रथम वाणिज्यिक प्रयोग हुआ जिसमें न्यूयॉर्क शहर में टैक्सी सेवा शुरू की गई, जो इलेक्ट्रिक कैरिज एंड वैगन कंपनी ऑफ़ फिलाडेल्फिया की ओर से थी। 20वीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमेरिका में इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण एंथोनी इलेक्ट्रिक, बेकर, कोलम्बिया, एंडरसन, स्टडबेकर, रीकर, मिलबर्न और दूसरे तमाम लोग कर रहे थे।
क्या है इलेक्ट्रिक कारों की कम परास का मतलब?
इलेक्ट्रिक कारों की कम परास का अर्थ है कि वे शहरों के बीच यात्रा करने के लिए नए राजमार्गों का उपयोग नहीं कर सकतीं। अपेक्षाकृत कम गति के बावजूद, बिजली के वाहनों को 1900 में अपने प्रतिस्पर्धियों पर कई बढ़त हासिल थी। उनमें पेट्रोल कारों के साथ संबद्ध कंपन, गंध और शोर नहीं थे। उनमें गियर परिवर्तन की आवश्यकता नहीं थी, जो पेट्रोल कारों के चालन का सबसे कठिन हिस्सा था।
इलेक्ट्रिक कारें संपन्न ग्राहकों के बीच काफी लोकप्रिय हो गईं जो उनका प्रयोग शहर की कारों के रूप में करते थे, जहां कम परास कोई विशेष अवगुण नहीं माना गया। इन कारों को इसलिए भी लोकप्रियता मिली क्योंकि इन्हें शुरू करने के लिए मानवीय प्रयास की आवश्यकता नहीं होती थी। जो कि पेट्रोल कारों के विपरीत था। उन्हें शुरू करने के लिए क्रेंक घुमाना पड़ता था। इलेक्ट्रिक कारों को आमतौर पर महिला चालकों के लिए उपयुक्त पाया गया।
इलेक्ट्रिक कार की बैटरी की अविश्वसनीयता
1911 में, न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा कि इलेक्ट्रिक कार अपेक्षाकृत साफ़, पेट्रोल चालित कारों की तुलना में कम शोर वाली और अधिक किफायती होने के कारण ‘आदर्श’ है। 2010 में वॉशिंगटन पोस्ट ने इस रिपोर्टिंग पर टिप्पणी की कि “इलेक्ट्रिक कार की बैटरी की अविश्वसनीयता, जिसने थॉमस एडीसन को परेशान किया, आज भी विद्यमान है।”
इलेक्ट्रिक कारों की स्वीकृति शुरू में बुनियादी सुविधाओं की कमी से प्रभावित थी, लेकिन 1912 से कई घरों में बिजली के लिए तार बिछ गए थे, जिससे उस समय इनकी लोकप्रियता में उछाल आ सकता था।
अमेरिका में बिजली की कारों को सर्वाधिक स्वीकृति
सदी के अंत तक, अमेरिका में वाहनों का 40 प्रतिशत भाप से संचालित था। बिजली से 38 प्रतिशत और पेट्रोल से 22 प्रतिशत वाहनों को चलाया जाता था। उस समय अमेरिका में 33 हजार 842 इलेक्ट्रिक कारें थीं। अमेरिका को ऐसा देश माना गया जहां बिजली की कारों को सर्वाधिक स्वीकृति प्राप्त थी। और इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 1912 में शीर्ष पर थी।
कैलिफोर्निया वायु संसाधन बोर्ड के जनादेश के परिणामस्वरूप बनी कारों में एक जनरल मोटर्स की ईवी थी। 1999 में एनआईएमएच बैटरी के साथ इसकी परास थी। 1990 के लॉस एंजेल्स ऑटो मेले में जनरल मोटर्स के अध्यक्ष रोजर स्मिथ ने कांसेप्ट कार जीएम इम्पैक्ट का प्रथम प्रदर्शन करते हुए कहा कि जीएम आम लोगों के ख़रीदे जाने योग्य इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करेगी।
अभी इतना ही। इलेक्ट्रिक कारों पर चर्चा जारी रहेगी।