
ECAR INDIA01: इलेक्ट्रिक कार दिनोंदिन चर्चा का विषय क्यों बन रही है? पूरी दुनिया इस भविष्य की कार के प्रति क्यों संजीदा है? भारत में अभी इलेक्ट्रिक कार का प्रचलन विदेशों के मुकाबले क्यों पीछे है? क्या अगले पांच वर्षों में डीजल और पेट्रोल की कारें चलन से बाहर हो जाएंगी?
ECAR INDIA01: क्या होती है इलेक्ट्रिक कार?
इंफोपोस्ट डेस्क
ECAR INDIA01: पहले समझते हैं कि इलेक्ट्रिक कार क्या है? दरअसल, ये कारें एक प्रकार का इलेक्ट्रिक वाहन यानी ईवी हैं। “इलेक्ट्रिक वाहन” का मतलब किसी ऐसे वाहन से है जो इलेक्ट्रिक मोटरों की शक्ति से चलता है। लेकिन “इलेक्ट्रिक कार” बिजली से संचालित व्यावहारिक वाहन है। किसी इलेक्ट्रिक कार की ऊर्जा का स्रोत उसकी बैटरी ही आवश्यक नहीं है। इलेक्ट्रिक कारें, जिनके भीतर लगी मोटर किसी अन्य स्रोत से ऊर्जा प्राप्त करती हैं, उसे अलग नामों से जाना जाता है।
सूर्य की किरणों से ऊर्जा प्राप्त कर चलने वाली इलेक्ट्रिक कारें सोलर कार कहलाती हैं। पेट्रोल चलित जनरेटर से ऊर्जा प्राप्त कर चलने वाली इलेक्ट्रिक कार हाइब्रिड कार का एक प्रकार होती हैं। इस प्रकार, एक इलेक्ट्रिक कार बैटरी पैक से ऊर्जा लेती है। एक प्रकार का बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन बीईवी कहलाता है। ज्यादातर “इलेक्ट्रिक कार’ का प्रयोग शुद्ध बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए किया जाता है।
इलेक्ट्रिक कारें 19वीं से 20वीं शताब्दी के बीच शुरू हुईं
इतिहास की बात करें, तो इलेक्ट्रिक कारों का चलन 19वीं शताब्दी से 20वीं शताब्दी के बीच शुरू हो गया था। उस समय बिजली को वाहनों के प्रणोदन के लिए पसंदीदा तरीकों के बीच लोकप्रियता मिली। उनसे मिलने वाला आराम और चलाने में सहूलियत पेट्रोल कारों की तुलना में कहीं अधिक होता था।
आंतरिक दहन प्रौद्योगिकी में बढ़त से जल्द ही यह विवादास्पद लाभ समाप्त हो गया। पेट्रोल कारों में ईंधन भरने में लगने वाला कम समय और फैलती हुई आधारभूत सुविधाओं के साथ फोर्ड मोटर जैसी कंपनियों ने बड़ी मात्र में उत्पादन किया, जिससे पेट्रोल कारों की कीमत समकक्ष इलेक्ट्रिक कारों से आधी हो गई। यही वजह रही कि बिजली प्रणोदित कारों के प्रयोग में गिरावट आ गई। तब यह प्रमुख बाज़ारों, जैसे संयुक्त राज्य से हट गई।
पेट्रोल कारों का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव
हाल के वर्षों में पेट्रोल कारों का पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव नजर आने लगा। उपभोक्ता की पेट्रोल वाहनों के ईंधन खरीदने की क्षमता कम होने लगी। तेल की ऊंची कीमतों के कारण अब लोगों की दिलचस्पी इलेक्ट्रिक कारों में बढ़ रही है। क्योंकि यह पर्यावरण के अनुकूल है और चलाने व रख-रखाव में सस्ती है। शुरुआती खर्च अधिक होना और चार्जिंग स्टेशनों की कमी इसके प्रचलन में बाधक है।
फिर भी, इलेक्ट्रिक कारें दुनिया भर के देशों में लोकप्रिय हो रही हैं। शुरुआत में वे संयुक्त राज्य अमेरिका में विशेष रूप से अनुपस्थित रहीं, लेकिन 90 के दशक के उत्तरार्ध में फिर दिखाई देने लगीं। ऐसा सरकार के बदलते नियमों के कारण हुआ है।
इलेक्ट्रिक कारों को चलाने वाली बैटरी की कीमत अभी अधिक
भारत में अभी इलेक्ट्रिक कारों को चलाने के काम आने वाली बैटरी की कीमत अधिक है। इस वजह से कार की कीमत खनिज तेलों वाली कार से कहीं अधिक होती है। उसका चलन भारत में न बढ़ पाने का यह एक प्रमुख कारण है। चार्जिंग स्टेशन भी कम होना भी एक समस्या ही है। क्योंकि बैटरी को चार्ज होने में अधिक समय लग जाता है।
बावजूद इसके, भारत सरकार पर्यावरण की समस्या दूर करने के लिए इलेक्ट्रिक कारों को प्रचलन में लाने के लिए बहुत संजीदा है। देश में ही बैटरी का उत्पादन करने की दिशा में विचार किया जा रहा है। चार्जिंग स्टेशनों को शुरू करने के लिए भी सरकार सक्रिय है। सरकार के रुख को देखते हुए ऐसा लगता है कि आने वाले पांच वर्षों में डीजल और पेट्रोल की कारें लुप्त होने लगेंगी और लोगों का रुझान इलेक्ट्रिक कारों की ओर हो जाएगा।