
Effective Vaccine: अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना (Moderna) ने ऐलान किया है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन 94.5 प्रतिशत प्रभावी है। रूस ने कहा है कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन अंतरिम आंकड़ों में 92 फीसदी तक प्रभावी साबित हुई है। भारत दुनिया भर में बनने वाली 60 प्रतिशित वैक्सीन का उत्पादन करता है। आज चर्चा इसी पर कि किसकी वैक्सीन में कितना है दम?
Effective Vaccine: दुनिया में चार प्रकार से बन रही हैं कोरोना वैक्सीन
श्रीकांत सिंह
Effective Vaccine: कुछ लोग यह जानने के लिए बेताब हैं कि आखिर वैक्सीन कैसे काम करती है? उसका असर क्या होगा? और कितने समय तक उसका असर रहेगा? हो सकता है कि आपको यह पता न हो कि अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन कितने प्रकार की हैं?
विशेषज्ञों के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन चार प्रकार की होती हैं और वो हैं- प्रोटीन आधारित वैक्सीन, वायरल वेक्टर वैक्सीन, आरएनए-डीएनए आधारित वैक्सीन और निष्क्रिय या कमजोर पड़ चुके वायरस से बनी वैक्सीन। इनका अलग अलग देश अपने तरीके से निर्माण कर रहे हैं।
आरएनए-डीएनए आधारित वैक्सीन
आरएनए-डीएनए आधारित वैक्सीन को बनाने में कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड का इस्तेमाल किया जाता है। इसके एक छोटे से हिस्से को जब शरीर में इंजेक्ट किया जाता है तो यह शरीर में वायरल प्रोटीन बनाता है, न कि पूरा वायरस।
वायरल प्रोटीन के शरीर में प्रवेश करते ही हमारा प्रतिरक्षा तंत्र वायरस पर हमला करने के लिए तैयार हो जाता है। मॉडर्ना कंपनी ने आरएनए आधारित वैक्सीन बनाई है। जिसे अमेरिका ने हाल ही में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी।
प्रोटीन आधारित वैक्सीन
इस तरह की वैक्सीन को बनाने में कोरोना वायरस के प्रोटीन सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें प्रोटीन सेल्स से वायरस स्ट्रेन के जरिये इम्यूनिटी विकसित की जाती है। वैक्सीन बनाने के लिए इस्तेमाल वायरस के स्ट्रेन के आधार पर इन्हें मुख्य तौर पर दो भागों लाइव और किल्ड में बांटा जा सकता है।
किल्ड वैक्सीन में जो तत्व इंजेक्शन से शरीर में भेजा जाता है, उसके वॉल को केमिकल से किल कर दिया जाता है। वह धीरे-धीरे एंटी बॉडी का निर्माण करता है। लाइव वैक्सीन में वॉल को केमिकल से निकाल दिया जाता है और यह खतरा पैदा नहीं कर सकता।
वायरल वेक्टर वैक्सीन
वायरल वेक्टर वैक्सीन को बनाने के लिए पहले वायरस स्ट्रेन को संक्रमणमुक्त किया जाता है। और फिर उसके इस्तेमाल से कोरोना वायरस प्रोटीन को विकसित किया जाता है।
इसके बाद उन प्रोटीन के जरिये शरीर में इतनी इम्यूनिटी विकसित की जाती है कि वो वायरस के संक्रमण को रोक ले। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन और रूस की ‘स्पूतनिक-वी’ वायरल वेक्टर आधारित वैक्सीन है।
निष्क्रिय या कमजोर पड़ चुके वायरस से बनी वैक्सीन
कोवैक्सीन देश की पहली स्वदेशी वैक्सीन है जिसे हैदराबाद की कंपनी भारत-बायोटेक ने आईसीएमआर के सहयोग से बनाया है। इसे बनाने में निष्क्रिय वायरस का प्रयोग हुआ है जिससे संक्रमण का बिल्कुल भी खतरा नहीं होता है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इसे मान्यता नहीं दी है। जिससे आप विदेश यात्रा नहीं कर पाएंगे। पीएम मोदी के साथ कुछ ऐसा ही हुआ है।
इस वैक्सीन की एक और विशेष बात यह है कि यह कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को भी लगाई जा सकती है। पोलियो, खसरा की कुछ वैक्सीन भी इसी तर्ज पर बनी है। इस वैक्सीन से इम्यूनिटी तो कमजोर होगी लेकिन इस तरह के मॉलिक्यूल तैयार हो जाएंगे जिससे शरीर वायरस से भविष्य में आसानी से लड़ सकेगा।
निष्कर्ष
Effective Vaccine: आपने देखा कि दुनिया भर में कोविड 19 वैक्सीन को चार प्रकार से बनाया जा रहा है। इसी आधार पर अलग अलग वैक्सीन की खासियत तय होती है। वैक्सीन की कौन सी खासियत आपकी शारीरिक स्थिति के अनुकूल है, यह आप इस आलेख के आधार पर समझ सकते हैं।
अभी तक आप कितना अपडेट हुए, इस बारे में कमेंट करके बता सकते हैं। ताकि हम आपको अधिक विस्तार से जानकारी उपलब्ध करा सकें। और आप यह तय कर सकें कि कौन सी वैक्सीन आपके लिए साबित हो सकती है अधिक दमदार।