
Excise Policy Case: जैसा कि पहले से अनुमान लगाया जा रहा था, उसी के अनुरूप सिसोदिया मामले में ईडी की एंट्री हो गई है। क्योंकि सीबीआई की चार्जशीट में सिसोदिया का नाम नहीं है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को 20 मार्च तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। सिसोदिया को आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में गिरफ्तार किया गया था। इस गिरफ्तारी का चौतरफा विरोध भी हो रहा है।
Excise Policy Case: ईडी की टीम पहुंच गई तिहाड़
इंफोपोस्ट डेस्क
Excise Policy Case: मनीष सिसोदिया से पूछताछ करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की एक टीम तिहाड़ जेल पहुंच गई है। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत पर 10 मार्च को सुनवाई होनी है। इस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सिसोदिया ने स्कूलों का कायाकल्प कर दिया। गरीबों तक शिक्षा पहुंचाई। मनीष और सत्येंद्र देश के लिए जान भी दे सकते हैं।
बता दें कि दिल्ली में आबकारी नीति घोटाले को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है। सात आरोपियों के खिलाफ शुक्रवार को दाखिल पहली चार्जशीट में मनीष सिसोदिया का नाम शामिल नहीं है।
केजरीवाल ने पीएम मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, “देश के पीएम देश को लूटने वालों का ही साथ देते हैं। आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि जब तक जमानत का फैसला नहीं हो जाता, अदालत के पास न्यायिक हिरासत बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई 10 मार्च को होनी है।
शराब कारोबारी अरुण रामचंद्र पिल्लई भी हिरासत में
Excise Policy Case: ईडी ने आबकारी मामले में एक और गिरफ्तारी की है। उसने हैदराबाद के शराब कारोबारी अरुण रामचंद्र पिल्लई को हिरासत में लिया है। पिल्लई को लंबी पूछताछ के बाद सोमवार यानी 6 मार्च की शाम को धन शोधन रोकथाम कानून की आपराधिक धाराओं के तहत हिरासत में लिया गया। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में अभी तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि जब नीति तैयार की जा रही थी और लागू की जा रही थी तो पिल्लई ने इस मामले में अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ बैठकों में ‘दक्षिण समूह’ का प्रतिनिधित्व किया था।
सीबीआई ने जानकारी दी है कि आरोप पत्र में दो गिरफ्तार कारोबारी, एक समाचार चैनल का प्रमुख, हैदराबाद निवासी एक शराब कारोबारी, दिल्ली निवासी एक शराब वितरक और आबकारी विभाग के दो अधिकारी शामिल हैं। एजेंसी की जांच अभी जारी है। सीबीआई ने विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली, समीर महेंद्रु, अरुण रामचंद्र पिल्लई, मुथा गौतम, एक्साइज डिपार्टमेंट के डिप्टी कमिश्नर कुलदीप सिंह और एक्साइज डिपार्टमेंट के असिस्टेंट कमिश्नर नरेंद्र सिंह का नाम चार्जशीट में शामिल किया है।
दिल्ली की आबकारी नीति पर क्या है विवाद?
Excise Policy Case: दिल्ली की आबकारी नीति पर पिछले कई महीनों से बवाल मचा है। बीजेपी और कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि आम आदमी पार्टी सरकार ने नई आबकारी नीति के जरिये हजारों करोड़ रुपये का घोटाला किया है। लेकिन आम आदमी पार्टी का कहना है कि आबकारी नीति में कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। केंद्र सरकार जांच एजेंसियों के जरिये ईमानदार नेताओं को परेशान कर रही है।
दिल्ली सरकार ने पिछले साल नवंबर में नई आबकारी नीति को सामने रखा था। नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली सरकार का तर्क था कि दिल्ली में शराब की 849 दुकानों में 60 फ़ीसदी दुकानें सरकार की हैं। ये दुकानें निजी दुकानों के मुक़ाबले सरकार को बहुत कम टैक्स देती हैं। क्योंकि दिल्ली में शराब माफ़िया की जबरदस्त पकड़ है। सरकार की 849 दुकानों के अलावा दो हज़ार दुकानें शराब माफिया चलाते हैं। ये दुकानें घरों और गोदामों से चलती हैं।
सरकारी दुकानों में होती है टैक्स चोरी?
Excise Policy Case: दिल्ली सरकार के मुताबिक सरकारी दुकानों में टैक्स चोरी से लेकर तमाम तरह की गड़बड़ियां हैं और बड़े पैमाने पर राजस्व की चोरी हो रही है। नई शराब नीति का मुख्य उद्देश्य दिल्ली में शराब माफ़ियाओं पर शिकंजा कसना और शराब की बिक्री से दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ाना है। इससे अवैध शराब का कारोबार ख़त्म हो जाएगा। शराब की दुकानों को पॉश और स्टाइलिश दुकानों में बदला जाएगा। इस नीति में यह भी कहा गया था कि शराब पीने वाले अब सुबह तीन बजे तक होटल, क्लब, रेस्तरां और बार में आराम से शराब पी सकते हैं।
दिल्ली में नई आबकारी नीति की घोषणा के बाद शराब की दुकानों के बाहर लंबे वक्त तक अच्छी खासी लाइनें लगी रहीं। इसकी वजह यह थी कि शराब की एक बोतल के साथ एक बोतल फ्री मिल रही थी। एक पेटी के साथ एक पेटी फ्री। कई जगहों पर शराब की कीमत बहुत ज्यादा गिरा दी गई थी। नई आबकारी नीति आने के बाद शराब बेहद सस्ती हो गई थी। कई शराब विक्रेताओं ने एमआरपी पर 40 प्रतिशत तक छूट दी थी।
नई शराब नीति से कंपनियों और दुकानदारों को छूट
Excise Policy Case: साफ़ है कि नई शराब नीति से कंपनियों और दुकानदारों को छूट मिली कि वे एमआरपी से कम दाम पर शराब बेच सकते थे। क़ीमतें कम होने से उनकी बिक्री ज़्यादा हो गई थी और इससे कंपनियों और दुकानदारों के बीच प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई। लेकिन बड़ी संख्या में लोग शराब के नशे में डूबने लगे और यह मुद्दा एक बड़ी सामाजिक चिंता के रूप में सामने आया।
बड़ा सवाल यह है कि आखिर दिल्ली की केजरीवाल सरकार नई आबकारी नीति को लेकर बैकफुट पर क्यों आ गई? अगर उसने कोई गड़बड़ी नहीं की थी तो उसे पुरानी आबकारी नीति पर टिके रहना चाहिए था। क्या इसके पीछे वजह उपराज्यपाल के द्वारा इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश किया जाना है?
सिसोदिया ने भी लगाए थे आरोप
मनीष सिसोदिया ने कहा था कि नई आबकारी नीति से बीजेपी का भ्रष्टाचार ख़त्म हो जाता और साल में 9,500 करोड़ का राजस्व दिल्ली सरकार को मिल सकता था। बीजेपी ने प्राइवेट दुकानदारों को ईडी और सीबीआई की धमकी देकर उनकी दुकानें बंद करवा दी। बीजेपी का मक़सद है कि बिकने वाली वैध शराब की क़िल्लत हो और राजधानी में अवैध शराब बिके।
आबकारी नीति पर विवाद की वजह से उसे 30 जुलाई को वापस ले लिया गया था। इससे कुछ दिन पहले ही दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई आबकारी नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। उन्होंने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया था कि वह आबकारी नीति में हुई कथित गड़बड़ियों में आबकारी विभाग की भूमिका की जांच करें। शराब के खुदरा लाइसेंस की बोली प्रक्रिया में कार्टेलाइजेशन पर आई शिकायतों की भी जांच की जाए। उपराज्यपाल की सिफारिश के बाद दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने भी मामले में अलग से जांच शुरू कर दी थी।
मुख्य सचिव की रिपोर्ट के निष्कर्ष
दिल्ली के मुख्य सचिव ने 8 जुलाई 2022 को दी अपनी रिपोर्ट में कहा कि पहली नजर में ऐसा स्पष्ट होता है कि जीएनसीटीडी अधिनियम 1991, व्यापार नियमों का लेनदेन (टीओबीआर) 1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम 2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम 2010 का उल्लंघन किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि 2021-22 के लिए शराब लाइसेंसधारियों को निविदा के बाद ‘अनुचित’ लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर चूक की गई।
मुख्य सचिव की यह रिपोर्ट उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दोनों को भेजी गई थी और इसमें कहा गया था कि शीर्ष राजनीतिक स्तर पर किसी चीज के बदले में किया गया फेवर या फायदा दिए जाने के संकेत मिले हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि आबकारी विभाग के प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने तमाम फैसले लिए। इस दौरान स्थापित प्रावधानों का उल्लंघन हुआ।
सीबीआई की एफआईआर से मामला आगे बढ़ा
नई आबकारी नीति को लेकर सीबीआई ने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर पर छापेमारी करने के साथ ही उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी। एफआईआर में कुल 15 लोगों के नाम हैं और मनीष सिसोदिया को अभियुक्तों की सूची में पहले नंबर पर रखा गया है। सूची में मनीष सिसोदिया के अलावा आबकारी विभाग के कई अफसरों के साथ ही विजय नायर और दिनेश अरोड़ा के नाम भी शामिल थे। बीजेपी ने कहा था कि विजय नायर और दिनेश अरोड़ा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के लिए कैश कलेक्शन का काम करते थे।
सीबीआई ने एफआईआर में कहा था कि मनीष सिसोदिया के करीबियों अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे ने शराब लाइसेंसधारियों से कमीशन इकट्ठा किया। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि शराब कारोबारी समीर महेंद्रु ने दिनेश अरोड़ा की एक कंपनी को एक करोड़ रुपये दिए। उन्होंने अर्जुन पांडे और उसके सहयोगियों को दो से चार करोड़ रुपये दिए। विजय नायर, मनोज राय, अमनदीप ढल और समीर महेंद्रु दिल्ली की नई आबकारी नीति बनाने और इसे लागू करने के काम में हुई गड़बड़ियों में शामिल हैं।
कई जगहों पर छापेमारी और गिरफ्तारी
केजरीवाल सरकार की आबकारी नीति के मामले में जांच एजेंसी ईडी बीते कई दिनों से देशभर में कई जगहों पर छापेमारी कर रही है। बीते शुक्रवार को ईडी ने दिल्ली में 25 जगहों पर छापेमारी की थी। उससे पहले दिल्ली एनसीआर, पंजाब और हैदराबाद में 35 जगहों पर ईडी के अफसरों की टीम पहुंची थी।
अब तक कई लोगों की गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं। बीते महीने सीबीआई ने विजय नायर और ईडी ने समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया था। नायर आम आदमी पार्टी के कम्युनिकेशन विभाग के प्रभारी हैं। समीर महेंद्रू इंडो स्पिरिट्स के मालिक और शराब कारोबारी हैं। सीबीआई को अपनी जांच में पता चला था कि समीर महेंद्रू ने कथित तौर पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के करीबी सहयोगियों को करोड़ों रुपये का भुगतान किया था।
बीजेपी ने जारी किए स्टिंग
Excise Policy Case: बीजेपी ने बीते दिनों एक के बाद एक दो स्टिंग जारी कर दावा किया था कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने नई आबकारी नीति में जमकर भ्रष्टाचार किया है। यह स्टिंग आबकारी घोटाले में आरोपी नंबर 9 अमन अरोड़ा और सीबीआई के द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में आरोपी बनाए गए सनी मारवाह के पिता कुलविंदर मारवाह का था।
बीजेपी ने पूछा था कि आम आदमी पार्टी ने शराब के ठेकों पर कमीशन दो प्रतिशत से बढ़ाकर 12% क्यों किया? बीजेपी नेताओं ने मनीष सिसोदिया से पूछा था कि आबकारी नीति के मामले में जो लोग अभियुक्त हैं उनसे उनके क्या रिश्ते हैं। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने पूछा था कि मनीष सिसोदिया जवाब दें कि उन्होंने शराब माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए 21 ड्राई-डे की संख्या को घटाकर तीन क्यों किया? उन्होंने बीयर की इंपोर्ट ड्यूटी को गैरकानूनी तरीके से कम क्यों किया? इन सवालों के जवाब जांच के बाद ही सामने आ पाएंगे। हालांकि मनीष सिसोदिया के खिलाफ जांच एजेंसियों के हाथ अभी कुछ भी नहीं लगा है।