Facts Mistakes: न्यू मीडिया पर अक्सर यह तोहमत लगाई जाती है कि वहां गलत तथ्यों पर आधारित खबरें होती हैं। और प्रिंट मीडिया तथ्यों की जांच करके ही खबरें छापता है। लेकिन ऐसा है नहीं।
Facts Mistakes: गलत तथ्यों के मामले में दैनिक जागरण नंबर वन
इंफोपोस्ट न्यूज
Facts Mistakes: तथ्यों की गलतियां करने के मामले में प्रिंट मीडिया दूध का धुला नहीं है। इस मामले में दैनिक जागरण पहले नंबर पर है।
चूक करते करते इस अखबार का विश्वास चुक जा रहा है। एक भयानक चूक के बारे में आपको पता ही होगा कि इस अखबार ने शीर्षक में बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए कितने अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था।
आरोपी का ही नाम गलत कर दिया
हमारा काम दैनिक जागरण की गलतियां गिनाना नहीं है। लेकिन जब अति गंभीर खबर में आरोपी और उसके पद का ही नाम गलत कर दिया जाता है तो यह चूक नहीं, गंभीर सामाजिक और न्यायिक अपराध है। खबर को पढ़ने में किसी को भी लग सकता है कि जागरण आरोपी का बचाव कर रहा है।
आज ही की बात है। दैनिक जागरण ने मेरठ से सहकारी समितियां और व पंचायतों से संबंधित विभाग की एक खबर प्रकाशित की है। शीर्षक है, भ्रष्टाचार में फंसे पूर्व लेखाधिकारी। शासन के निर्देश पर जांच शुरू।
अधिकारी का नाम भी गलत
बता दें कि विभाग में लेखाधिकारी कोई पद ही नहीं है। सही पद नाम है, उप मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी। यह पद नाम न तो इंट्रो में सही छपा है और न ही हेडिंग में। और तो और, अधिकारी का नाम ही गलत कर दिया गया है। अधिकारी का नाम छपा है सुरेंद्र सिंह।
जबकि सही नाम है सुरेंद्र पांडेय। दैनिक जागरण की यह कोई पहली तथ्यात्मक गलती नहीं है। ऐसी गलतियां करना दैनिक जागरण की आदत सी बन गई है। ज्यादा गलतियां गिनाने में खबर को अनावश्यक विस्तार मिल जाएगा।
क्या तथ्य को ठीक करके छापी जाएगी खबर?
उक्त खबर को लिखते समय न तो रिपोर्टर ने तथ्यों का क्रास चेक करना उचित समझा और न ही डेस्क पर कोई ज्ञान का परिचय दिया गया। ऐसी लापरवाही से दैनिक जागरण की बची खुची प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल जा रही है।
उम्मीद की जानी चाहिए कि दैनिक जागरण प्रबंधन साफगोई दिखाएगा। और अपने पाठकों से माफी मांगते हुए सही तथ्य पर आधारित खबर को दोबारा प्रकाशित करेगा।