Ganga Katan: भाजपा सरकार गंगा की सफाई के लिए अभियान चला रही है। लेकिन गंगा कटान की वजह से तमाम किसानों के मकान और खेत साफ हो जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए लोग अनशन पर बैठ गए हैं।
Ganga Katan: तीन दिनों से क्रमिक अनशन पर बैठे हैं किसान
अंकित तिवारी
मेजा, प्रयागराज। Ganga Katan: गंगातट पर बसे नरवर चौकठा, उमापुर, डेंगुरपुर आदि गांवों में हर साल बाढ़ के दौरान तमाम किसानों के मकान और खेत गंगा में समा जाते हैं।
यमुनापार विकास समिति के पदाधिकारी तपन सिंह, ध्यान सिंह, अखिलेश सिंह, जवाहर सिंह, मोहक शुक्ला, अमित सिंह, मोनू यादव, लक्ष्मीपति शुक्ला, राजू पाल, आनंद तिवारी, ज्ञान सिंह आदि ने तीसरे दिन जारी क्रमिक अनशन के दौरान शासन प्रशासन से राहत दिलाने की मांग की।
इस लड़ाई को वे पिछले दो साल से लड़ रहे हैं। तहसील मेजा से लेकर विधानसभा तक धरना प्रदर्शन और दिघिया में चक्काजाम के बाद सात दिन तक क्रमिक अनशन के बाद वे आमरण अनशन की घोषणा भी कर चुके हैं।
क्या चाहते हैं अनशनकारी किसान?
गंगा कटान रोकने के लिए पक्का घाट, गंगा में समा चुके घर से बेघर हुए लोगों के लिए आवास, किसानों की जमीन का मुआवजा और गंगा कटान से अस्तित्व विहीन हो चुके गांवों का दोबारा परिसीमन किए जाने की मांग की गई है।
नवर चौकठा गांव के तपन सिंह ने कहा, गंगा कटान को रोका जाए। हम पिछले दो वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। हर वर्ष दस किसानों के घर और उनकी जमीन गंगा में समा जाती है।
इसी से परेशान होकर हम कई बार चक्का जाम कर चुके हैं। हम जनता दरबार से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों तक को ज्ञापन दे चुके हैं। यहां तक कि इस समस्या को लेकर हम प्रदेश की राजधानी में भी धरना दे चुके हैं। लेकिन समस्या जस की तस है।