
Gate Closed Colonies: देश के तमाम शहर ऐसे हैं, जहां आपको गेट बंद कॉलोनियां नजर आएंगी। आप किसी भी एरिया में चले जाइए, आपको कई जगह गेट लगे हुए और उन पर ताला लटकता दिखाई दे जाएगा। चंडीगढ़ के पैटर्न पर बसाए गए नोएडा में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। जबकि यह पैटर्न आपको वैकल्पिक मार्ग की इजाजत देता है।
Gate Closed Colonies: नोएडा में गेट को लेकर पैदा होते हैं विवाद
श्रीकांत सिंह
Gate Closed Colonies: नोएडा के कुछ सेक्टरों की कॉलोनियों में इतने ज्यादा गेट लगा दिए गए हैं कि वाहन लेकर निकलना कठिन हो गया है। कोई आपात स्थिति हो या कोई गंभीर मरीज हो तो समस्या और भी जटिल हो जाती है। मेट्रो अस्पताल और इंदिरा प्रियदर्शिनी पार्क के पास तो और भी नए गेल लगाए जा रहे हैं।
कहीं कहीं तो इन गेटों को खोलने के लिए गार्ड भी उपलब्ध नहीं होते। नोएडा के सेक्टर 12 में बी ब्लाक कॉलोनी में गेट हरौला मार्ग पर खुलता है। जबकि ज्यादातर लोगों का आवागमन शिमला मार्केट की ओर होता है। महिलाओं को ज्यादा दिक्कत होती है। कई बार इस मुद्दे पर विवाद भी हो चुका है। लेकिन कुछ स्वयंभू पदाधिकारी अपनी ही चलाते हैं। उनको लोगों की समस्याओं से कोई लेना देना नहीं है।
तो फिर गेट लगाने का फायदा ही क्या ?
Gate Closed Colonies: दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर अधिकतर कॉलोनियों में आरडब्ल्यूए बनाकर अपने खर्च पर गेट लगा दिए हैं। दिन में तो अक्सर गेट खुले ही रहते हैं, लेकिन रात में भी गेट खुले रखे गए तो फिर इतना पैसा खर्च करके गेट लगवाने का क्या फायदा हुआ? पूरे दिन काम करके थके हारे लोगों को रात में आराम करना होता है। गेट खुला रखने से शरारती और नशेड़ी आपराधिक तत्व बाहर खड़ी गाड़ियों से बैटरी, टायर वगैरह चुरा लेते हैं।
उत्तम नगर के हस्तसाल रोड आरडब्ल्यूए अध्यक्ष बिजेंदर त्यागी के मुताबिक, घरों में ताले लगे देखकर असामाजिक तत्व सेल्समैन या हॉकर बनकर दिन में रेकी करते हैं और रात में चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं। इमरजेंसी गाड़ियों के लिए यह उपाय हो सकता है कि हर गेट पर आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों के नंबर लिखे जाएं। प्रधान आदि को कॉल करके फौरन गेट खुलवाया जा सकता है। लेकिन यह बात तर्कसंगत नहीं है कि रात को भी गेट खुले रखे जाएं, क्योंकि पुलिस हर समय गश्त नहीं लगा सकती।
बंद नहीं कर सकते कॉलोनियों और सोसाइटियों के गेट
Gate Closed Colonies: गाजियाबाद नगर निगम ने आरडब्ल्यूए को चेतावनी दी थी कि कॉलोनियों और सोसाइटियों के गेट
बंद नहीं कर सकते। गाजियाबाद में 200 से ज्यादा गेट वाली सोसाइटी हैं। सुरक्षा के नाम पर इनके गेट बंद रहते हैं। लोगों के आने-जाने के लिए सिर्फ एक गेट खुला रहता है। उस पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। दूसरे गेटों को स्थायी रूप से बंद रखा जाता है।
लेकिन सुरक्षा के नाम पर कॉलोनी और सोसाइटी के गेट बंद किए गए तो नगर निगम जुर्माना लगा सकता है। गाजियाबाद नगर निगम के निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता ने लोगों की शिकायत मिलने पर आरडब्लूए और अन्य लोगों को चेतावनी दी थी। उन्होंने स्पष्ट किया था कि आदेश के बावजूद यदि गेट बंद रहता है तो फिर जुर्माना वसूला जाएगा।
मुख्य अभियंता के मुताबिक, सड़क से ऐसे गेट जो सोसाइटी को जोड़ते हैं, लेकिन बंद हैं उन्हें खुलवाया जाएगा। जिन गेट का खुलने और बंद होने के समय का निर्धारण नहीं है उनका समय तय कराया जाएगा। आरडब्लूए और संबंधित को चेतावनी दी गई है कि गेट खोलने और बंद करने का समय हर हाल में निर्धारित किया जाए।
हर गली मोहल्ले में नहीं लग सकेंगे गेट
लखनऊ में दिल्ली की तर्ज पर गेट लगाने को लेकर नियम बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। मौजूदा समय में राजधानियों की कोलोनिओं में गेट लगाने को लेकर कोई नियम नहीं है। मनमुताबित एरडब्लूए या कॉलोनी के लोग गेट न लगाएं, इसके लिए निगम ने एक कमेटी गठित की है, जो दिल्ली नगर निगम के प्रावधानों का अध्ययन कर रही है।
दिल्ली में कुछ शर्तों के तहत सुरक्षा को लेकर कॉलोनी में गेट लगाने की अनुमति दी जाती है। लेकिन लखनऊ में जो गेट लगाए गए हैं उन्हें लेकर कोई अनुमति जारी नहीं की गई है। किन शर्तों के तहत कॉलोनियों में गेट लगाए जाएंगे इसे लेकर अभी कोई प्रावधान भी नहीं है। इस कारण अक्सर विवाद होते रहते हैं।
आगरा की कॉलोनियों में लगे गेट अवैध
आगरा शहर में अच्छी-अच्छी कॉलोनियां बनाई गई हैं। उन्हें बिना किसी की परमीशन लिए गेट लगाकर बंद भी कर दिया गया है। लेकिन गेट लगाने के दौरान यह नहीं सोचा गया कि कॉलोनी बंद करने का कोई प्रावधान है या नहीं। विकास प्राधिकरण की नजर में कॉलोनी में गेट लगाना पूरी तरह से अवैध है। कॉलोनी बनाने की परमीशन तो विकास प्राधिकरण दे देता है, लेकिन कॉलोनी को कवर्ड करने के लिए गेट लगाने की परमीशन विकास प्राधिकरण नहीं देता है।
कॉलोनाइजर्स मनमानी करते हुए कॉलोनी में गेट लगाकर उस पर अपना कब्जा कर लेते हैं। सिटी की मोस्टली कॉलोनियों को डेवलपर्स ने गेट बंद बना दिया है। किसी भी कॉलोनी को बंद करने के लिए विकास प्राधिकरण से परमीशन नहीं ली गई है। विकास प्राधिकरण के सचिव के मुताबिक, अभी तक किसी भी कॉलोनाइजर ने कॉलोनी बंद करने के लिए गेट लगाने की परमीशन नहीं मांगी है। लेकिन वर्तमान में मोस्टली कॉलोनी गेट बंद ही हैं।
किसने दी परमीशन, क्यों उड़ाई गईं नियमों की धज्जियां?
कॉलोनी को बंद करने की परमीशन आखिर किसने दी? यह सबसे बड़ा प्रश्न है। एडीए के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक किसी भी कॉलोनाइजर ने गेट लगाने की परमीशन के लिए एडीए में पत्र नहीं दिया है। सत्यता तो यह है कि एडीए के अधिकारियों को भी गेट बंद कराने की परमीशन नहीं है।
कॉलोनियों में गेट लगाकर सरेआम विकास प्राधिकरण के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लेकिन इसके बाद भी विकास प्राधिकरण कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहा है। यही कारण है कि कॉलोनाइजर्स लगातार नई कॉलोनियों को गेट लगाकर बंद करा रहे हैं। एडीए चाहे, तो कॉलोनी को बंद करने वाले कॉलोनाइजर्स पर जुर्माना ठोंक सकता है।
आपातकालीन होता है कॉलोनी का रास्ता
टाउन प्लानर इश्तियाक अहमद के मुताबिक, सिटी में बनाई जाने वाली कॉलोनियों का मार्ग खुला हुआ होना चाहिए। क्योंकि प्राधिकरण का तर्क है कि आपातकालीन स्थिति में लोग निकलने के लिए विकल्प तलाशते हैं, जो उन्हें कॉलोनियों की रोड के रूप में मिल जाता है। जब कॉलोनी का गेट बंद कर दिया जाएगा, तो लोग कहां से होकर निकलेंगे। गेट बंद कॉलोनी बनाए जाने का कोई प्रावधान प्राधिकरण में नहीं है। कई बार लोगों की शिकायत पर गेटों को तुड़वाया भी गया है।
एडीए सचिव रवीन्द्र कुमार के मुताबिक, अभी तक कोई भी कॉलोनाइजर गेट बंद कॉलोनी के लिए नहीं आया है। सुरक्षा को देखते हुए लोग गेट लगा लेते हैं। हालांकि प्राधिकरण इसकी अनुमति नहीं देता है। कॉलोनियों में गेट लगाने के नियम तय हैं। फिर भी मेन रोड को बंद किया जा रहा है।
मॉडल टाउन की एक कॉलोनी में पूरे इलाके के लोगों की सहमति के बगैर लगाए गए गेट का मामला नगर निगम पहुंच गया था। गेट पर कार्रवाई के आदेश भी जारी कर दिए गए थे। नगर निगम ने पिछले साल कोरोना काल के दौरान लाजपत राय नगर वेलफेयर सोसाइटी को गेट लगाने की परमिशन देते हुए 11 नियम बनाए थे। लेकिन इसे लागू करने पर ध्यान नहीं दिया गया।
क्या हैं नियम जिनका नहीं हो पाता पालन?
आम आदमी को कॉलोनी में गेट लगे होने के बावजूद रास्ते से गुजरने से नहीं रोका जाएगा। उनके पास निकलने का पूरा अधिकार है। गेट खुले रहने का समय सुबह 6 से रात 10 बजे तक होगा। गर्मी में समय तड़के 5 बजे से 11 बजे तक रहेगा।
गेट पर अपने स्तर पर गार्ड तैनात करना होगा। सुरक्षा के मद्देनजर कॉलोनी के गेट पर सीसीटीवी कैमरा लगाना जरूरी होगा। कोई भी कुदरती आपदा आने पर गेटों से गुजरने में बड़े वाहनों को दिक्कत न आए। गेटों पर उचित रोशनी का प्रबंध करना होगा। गेटों की इंस्टालेशन फीस 10 हजार रुपये रहेगी। सालाना दो हजार रुपये रिन्यूअल फीस हर गेट की लगेगी।
किसी की जान व माल के नुकसान की जिम्मेदारी सोसायटी की रहेगी। गेट के फ्रंट और साइड पर कोई पार्किंग नहीं होगी। ताकि किसी तरह का विवाद न पनपे। हर साल 31 मार्च तक मंजूरी रिन्यू करनी होगी। गेट लगाने और बाकी प्रबंध का खर्च सोसायटी खुद करेगी।
बरेली की कॉलोनियों में गेट लगाने की अनुमति नहीं
कॉलोनियों में गेट लगाकर आम लोगों का रास्ता रोके जाने पर एतराज शुरू हुआ तो नगर निगम ने अपना रुख साफ कर दिया। कहा कि किसी भी कॉलोनी में गेट लगवाने की अनुमति नहीं दी गई है। बिना अनुमति लगे गेट से किसी का आवागमन बंद होता है तो उसे गलत मानते हुए प्रशासन कार्रवाई कर सकता है।
शहर की कई कॉलोनियों में गेट लगवा दिए गए, जिनमें सिर्फ वहीं के लोग आवाजाही कर सकते हैं। आम लोगों पर पाबंदी या टोकाटाकी की जाने लगी तो प्रकरण गरमा गया। ऐसा ही एक मामला मॉडल टाउन कॉलोनी में आ चुका है। कॉलोनी से जुड़े लोग कह चुके हैं कि जिस गेट को बंद किए जाने की बात है, उसमें से पैदल गुजरने का छोटा गेट खोल जा चुका है।
विश्वविद्यालय गेट प्रकरण में प्रशासन दे चुका है निर्देश
रुहेलखंड विश्वविद्यालय में भी डोहरा गौटिया वाला गेट बंद किए जाने पर विवाद हुआ था। गांव वालों ने गेट तोड़ दिया था। रास्ता रोके जाने की शिकायत एसडीएम सदर ईशान प्रताप सिंह तक पहुंची तो उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को नोटिस जारी कर रास्ता खोलने को कहा था। हालांकि बाद में विश्वविद्यालय ने हाईकोर्ट से स्टे ले लिया था।
महापौर डॉ. उमेश गौतम के मुताबिक, नगर निगम किसी भी कॉलोनी में गेट लगाने की अनुमित नहीं देता है। यदि आम लोगों का रास्ता बंद हो रहा है तो इस बाबत प्रशासन कार्रवाई करे। इस बाबत पत्र लिखा गया है। इसी प्रकार सपा जिलाध्यक्ष अगम मौर्य के मुताबिक, जनकपुरी, राजेंद्रनगर, आवास विकास कॉलोनियों में सार्वजनिक रास्तों को आम लोगों के लिए बंद करना गलत है। नगर निगम को ऐसे मामलों में नजर रखनी चाहिए।
संपादक की नजर में क्या है समस्या का समाधान?
Gate Closed Colonies: दरअसल, लोग सोचते हैं कि कॉलोनियों और सोसाइटियों में गेट लगा देने भर से सुरक्षा सुनिश्चित हो जाएगी। लेकिन यह उनकी बड़ी भूल है। ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है, जहां जितने बड़े गेट लगे थे, वहां उतने ही बड़े अपराध भी हुए हैं। क्योंकि आवागमन बंद रहने से असामाजिक तत्वों को मौका मिल जाता है। जबकि आवागमन खुला रहने से यह भ्रम बना रहता है कि पता नहीं कौन कब रास्ते से गुजर जाए। इसलिए सुरक्षा के नाम पर किसी भी कॉलोनी के लोगों का गला घोंट देना उचित नहीं है।
अगर आप अपनी कॉलोनी के गेट से असुविधा महसूस कर रहे हैं, तो इसकी शिकायत संबंधित अधिकारी से कर सकते हैं। क्योंकि कॉलोनी को गेटबंद बनाना किसी भी रूप में कानूनी कदम नहीं है। आप अपने मोबाइल फोन में मुख्यमंत्री का जनसुनवाई पोर्टल एप डाउनलोड करके भी अपनी समस्या बता सकते हैं। इसकी तुरत फुरत सुनवाई होगी और समस्या का समाधान कर दिया जाएगा। इस बारे में आप क्या सोचते हैं, कमेंट करके बता सकते हैं।