
Global Film Festival: ऑनलाइन प्लेटफार्म पर 13वें ग्लोबल फ़िल्म फेस्टिवल नोएडा का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर एएएफटी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. संदीप मारवाह समेत तमाम फिल्मी हस्तियों ने सिनेमा की दशा और दिशा पर चर्चा की।
Global Film Festival: 13वें फ़िल्म फेस्टिवल का शुभारंभ
श्रीकांत सिंह
नोएडा। Global Film Festival: अगर दिल में मिलने की इच्छा हो तो पूरी कायनात उसको मिलाने में लग जाती है। हम कोरोना काल से गुज़र रहे हैं। इसलिए सबने एक दूसरे से उचित दूरी बना ली है। क्योंकि कोरोना को हराना है। इसलिए हम दूर सही पर दिल के साथ साथ हम डिजिटल या वर्चुअली जुड़े हैं। 13वें ग्लोबल फ़िल्म फेस्टिवल नोएडा में।
यह कहना है एएएफटी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. संदीप मारवाह का। उन्होंने तीन दिन के ग्लोबल फ़िल्म फेस्टिवल की शुरुआत की और उनके साथ इस ऑनलाइन सेमिनार में जुड़े किर्गिस्तान के राजदूत एसीन इसाएव, कॉमरोस के कौंसुल जनरल के. एल. गांजु, रशियन सेंटर फॉर साइंस एंड कल्चर मुंबई के डायरेक्टर डॉ. सर्जेई फंडीव, फिल्म मेकर उदय शंकर पानी, फिल्ममेकर लवलीन थडानी, इंडियन चिल्ड्रन फिल्म फोरम की डायरेक्टर माधुरी अडवानी, फिल्म मेकर माइक बैरी और स्क्रिप्ट राइटर राजेश बजाज।
इंडियन फिल्मों की शूटिंग ज्यादा
एसीन इसाएव ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में इंडियन फिल्मों की शूटिंग हमारे देश में ज्यादा होने लगी है। जिससे हमारे देश के कलाकार भी बॉलीवुड फिल्मों से जुड़ रहे हैं। वे भारतीय संस्कृति और फिल्मों से काफी कुछ सीख रहे हैं।
भारतीय सिनेमा ने दोनों देशों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई है। और सिनेमा किसी देश को समझने और जानने का सबसे अच्छा साधन है। डॉ. सर्जेई फंडीव ने कहा कि सिनेमा लोगों को ही नहीं बल्कि देशों को भी जोड़ता है।
हमारे देश में हिंदी फिल्म बॉम्बे को बहुत पॉपुलैरिटी मिली थी। रूस में लोग राजकपूर की फिल्में बहुत देखते हैं। रशियन फिल्म इंडस्ट्री भी बहुत बड़ी है। और इंडिया में भी अब हमारे यहां की फिल्में देखी जाती हैं, जो दोनों देशो को जोड़ती हैं।
यह देश का सबसे बड़ा फेस्टिवल
के. एल. गांजु ने कहा, मैं काफी समय से मारवाह स्टूडियोज से जुड़ा हुआ हूं। और ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल में हर वर्ष आता हूं। यह देश का सबसे बड़ा फेस्टिवल है, जहां बहुत से राजदूत, फिल्म मेकर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, एक्टर आते हैं।
उदय शंकर पानी ने कहा कि सिनेमा सबसे अच्छा माध्यम है किसी भी चीज़ को लोगों तक पहुंचाने का। सिनेमा देख कर लोग उससे जुड़ते हैं। फिल्में लोगों को आपस में जोड़ती हैं। जिसमें कोई भाषा या बोली नहीं होती।
राजेश बजाज के कहा कि सिनेमा रिफ्लेक्शन है उस सबका जो हमारे अंदर मौजूद है। जो कुछ भी हम फील करते हैं या सोचते हैं, उसे लिखते हैं और फिर उसी स्क्रिप्ट को फिल्म के रूप में पर्दे पर देखते हैं।
हमें एजुकेट भी करता है सिनेमा
सिनेमा हमें एंटरटेनमेन्ट तो देता ही है, साथ साथ हमें एजुकेट भी करता है। और शायद सिर्फ इंडिया में ही बहुत सी फिल्में लव, पीस और यूनिटी पर बनी हैं। जो दर्शकों ने बहुत पसंद भी की है। माइक बैरी ने कहा कि आज के वक़्त में इस तरह का बड़ा फेस्टिवल और सेमिनार करना बहुत मुश्किल है।
इसे इतने बड़े ऑनलाइन प्लेटफार्म पर किया जा रहा है। उसकी मैं सराहना करता हूं। और आज के इस सेमिनार का टॉपिक काफी अच्छा है। क्योंकि कोरोना काल में जहां बहुत से लोग बड़ी बड़ी परेशानियों से गुज़र रहे हैं, वहीं सभी को शांति की ज़रूरत है।
माधवी अडवानी ने कहा कि सिनेमा से लोग अपने रोल मॉडल से जुड़ते हैंं। और उन्हें फॉलो करते हैं। इससे वे देशभक्ति, एकता जैसी चीज़ें आसानी से सीखते हैं।
इस अवसर पर महात्मा गांधी फोरम का पोस्टर लांच किया गया। लवलीन थडानी ने कहा कि इस कोविड के समय में भी ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल को सिर्फ डॉ. संदीप मारवाह ही कर सकते हैं, जो सराहनीय है।