
भारतीय संस्कृति ऋषि और कृषि प्रधान रही है। समग्र प्राणियों में ईश्वर के दर्शन करने के कारण ही हम विश्व बंधुत्व में भरोसा रखते हैं। देश धर्म और समाज जब-जब नाना प्रकार की परेशानियों में रहा तब-तब संत महापुरुषों ने राहत और नई दिशा दी।
सोमवार 27 जुलाई को गोस्वामी तुलसीदास की जयंती है। उनका अवतरण श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी को हुआ था। उन्होंने रामभक्ति से न केवल अपना जीवन कृतार्थ किया, समूची मानव जाति को श्रीराम के आदर्शों से जोड़ दिया। श्रीराम का चरित्र धर्म के लिए आदर्श है।
संवद् 1554 को श्रावण शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अवतरित हुए गोस्वामी तुलसीदास ने सगुण भक्ति की रामभक्ति धारा को ऐसा प्रवाहित किया कि आज गोस्वामी जी राम भक्ति के पर्याय बन गए। गोस्वामी तुलसीदास की ही देन है जो आज भारत के कोने-कोने में रामलीलाओं का मंचन होता है। कई संत रामकथा के माध्यम से समाज को जागृत करने में सतत् लगे हुए हैं।
भगवान वाल्मीकि की अनूठी रचना ‘रामायण’ को आधार मानकर गोस्वामी तुलसीदास ने लोक भाषा में रामकथा की मंदाकिनी इस प्रकार प्रवाहित की कि आज मानव जाति उस ज्ञान मंदाकिनी में गोते लगाकर धन्य हो रही है।
तुलसीदास का मत है कि इंसान का जैसा संग साथ होगा उसका आचरण व्यवहार तथा व्यक्तित्व भी वैसा ही होगा, क्योंकि संगत का असर देर सवेर अप्रत्यक्ष-प्रत्यक्ष, चेतन व अवचेतन मन एवं जीवन पर अवश्य पड़ता है।
इसलिए हमें सोच-समझकर अपने मित्र बनाने चाहिए। सत्संग की महिमा अगोचर नहीं है अर्थात् यह सर्वविदित है कि सत्संग के प्रभाव से कौआ कोयल बन जाता है तथा बगुला हंस। सत्संग का प्रभाव व्यापक है, इसकी महिमा किसी से छिपी नहीं है।
‘बिनु सतसंग बिबेक न होई।
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।’
तुलसीदास का कथन है कि सत्संग संतों का संग किए बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती और सत्संग तभी मिलता है जब ईश्वर की कृपा होती है। यह तो आनंद व कल्याण का मुख्य हेतु है। साधन तो मात्र पुष्प की भांति है।
संसार रूपी वृक्ष में यदि फल हैं तो वह सत्संग है। अन्य सभी साधन पुष्प की भांति निरर्थक हैं। फल से ही उदर पूर्ति संभव है न कि पुष्प से। उपजहिं एक संग जग माहीं। जलज जोंक जिमि गुन बिलगाहीं। सुधा सुरा सम साधु असाधू। जनक एक जग जलधि अगाधू।
संत और असंत दोनों ही इस संसार में एक साथ जन्म लेते हैं लेकिन कमल व जोंक की भांति दोनों के गुण भिन्न होते हैं। कमल व जोंक जल में ही उत्पन्न होते हैं लेकिन कमल का दर्शन परम सुखकारी होता है जबकि जोंक देह से चिपक जाए तो रक्त को सोखती है।
उसी प्रकार संत इस संसार से उबारने वाले होते हैं और असंत कुमार्ग पर धकेलने वाले। संत जहां अमृत की धारा हैं तो असंत मदिरा की शाला हैं। जबकि दोनों ही संसार रूपी इस समुद्र में उत्पन्न होते हैं।
जड़ चेतन गुन दोषमय बिस्व कीन्ह करतार।
संत हंस गुन गहहिं पथ परिहरि बारि बिकार।
सृष्टि रचयिता विधाता ने इस जड़ चेतन की समूह रूपी सृष्टि का निर्माण गुण व दोषों से किया है। लेकिन संतरूपी हंस दोष जल का परित्याग कर गुणरूपी दुग्ध का ही पान किया करते हैं।
तुलसीदास ने अपने काव्य में बीस से अधिक रागों का प्रयोग किया है, जैसे आसावरी, जैती, बिलावल, केदारा, सोरठ, धनाश्री, कान्हरा, कल्याण, ललित, विभास, नट, तोड़ी, सारंग, सूहो, मलार, गौरी, मारू, भैरव, भैरवी, चंचरी, बसंत, रामकली, दंडक आदि।
परंतु केदार, आसावरी, सोरठ कान्हरा, धनाश्री, बिलावल और जैती के प्रति उनकी विशेष रुचि रही है। सूक्ष्म दृष्टि से देखने पर यह पता चलता है कि तुलसी ने प्रत्येक भाव के उपयुक्त राग में अपने पदों की रक्षा की है। उन्होंने बड़ी सफलता से विभिन्न रागों के माध्यम से अपने भावों को व्यक्त किया है।
मारू, बिलावत, कान्हरा, धनाश्री में वीर भाव के पदों की रचना हुई हैं। श्रृंगार के पद विभास, सूहो विलास और तोड़ी से सृजित हैं। उपदेश संबंधी पदों की रचना भैरव, धनाश्री और भैरवी में की गई है। ललित, नट और सारंग में समर्पण संबंधी पद हैं।
संगीत के क्षेत्र में रसकल्पना काव्य के क्षेत्र में भिन्न होती है। काव्य का एक पद एक ही भाव की सृष्टि करता है किंतु संगीत के एक राग करुणा, उल्लास, निर्वेद आदि अनेक भावों की सृष्टि करने में सफल हो सकता है। तुलसीदास ने भी एक ही राग का प्रयोग अनेक स्थलों पर अनेक भावों को स्पष्ट करने के लिए किया है।
रविवार, 26 जुलाई 2020 के शुभ मुहूर्त
अगर आप आज वाहन खरीदने का विचार कर रहे हैं या आज कोई नया व्यापार आरंभ करने जा रहे हैं तो आज के शुभ मुहूर्त में ही कार्य करें ताकि आपके कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो सकें। ज्योतिष एवं धर्म की दृष्टि से इन मुहूर्तों का विशेष महत्व है। मुहूर्त और चौघड़िए के आधार पर आपके लिए खास मुहूर्त।
विक्रम संवत्-2077, हिजरी सन्-1440-41, ईस्वी सन्-2020। अयन-दक्षिणायण। मास-श्रावण।पक्ष-शुक्ल। संवत्सर नाम-प्रमादी। ऋतु-वर्षा। वार-रविवार। तिथि (सूर्योदयकालीन)-षष्ठी। नक्षत्र (सूर्योदयकालीन)-हस्त। योग (सूर्योदयकालीन)-सिद्ध। करण (सूर्योदयकालीन)-तैतिल। लग्न (सूर्योदयकालीन)-कर्क। शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32। राहुकाल-सायं 4:30 से 6:00 बजे तक। दिशा शूल-पश्चिम। योगिनी वास-पश्चिम। गुरु तारा-उदित। शुक्र तारा-उदित
चंद्र स्थिति-तुला। व्रत/मुहूर्त-सर्वार्थ सिद्धि योग/अमृत सिद्धि योग। यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें। आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:। आज का उपाय-शिव मंदिर में बेलपत्र अर्पण करें। वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
क्या कहते हैं आपके सितारे
मेष: उपाय-‘ॐ रां राहवे नम:’ का जप करें। कोर्ट-कचहरी में अनुकूलता रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। झंझटों में न पड़ें। उधार दिया धन मिलने से राहत हो सकती है। जीवनसाथी का सहयोग उलझे मामले सुलझाने में सहायक हो सकेगा। वाहन सावधानी से चलाएँ।
वृषभ: उपाय-‘ॐ सों सोमाय नम:’ का जप करें। चोट, चोरी व विवाद से हानि संभव है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। कुसंगति से हानि होगी। अपने काम से काम रखें। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न करें। आवास संबंधी समस्या हल होगी। आलस्य न करें। सोचे काम समय पर नहीं हो पाएँगे।
मिथुन: उपाय-‘ॐ अं अंगारकाय नम:’ का जप करें। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ होगा। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। क्रोध पर नियंत्रण रखें। लाभ होगा। रुके हुए काम समय पर पूरे होने से आत्मविश्वास बढ़ेगा। परिवार की समस्याओं का समाधान हो सकेगा। व्यापार में नई योजनाएँ बनेंगी। व्यापार अच्छा चलेगा।
कर्क: उपाय-‘ॐ कें केतवे नम:’ का जप करें। भूमि व भवन संबंधी कार्य लाभ देंगे। रोजगार मिलेगा। शत्रु भय रहेगा। निवेश व नौकरी लाभ देंगे। व्यापार अच्छा चलेगा। कार्य के विस्तार की योजनाएँ बनेंगी। रोजगार में उन्नति एवं लाभ की संभावना है। पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। लाभदायक समाचार मिलेंगे।
सिंह: उपाय-‘ॐ बुं बुधाय नम:’ का जप करें। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का आनंद मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। विवाद न करें। सामाजिक एवं राजकीय ख्याति में अभिवृद्धि होगी। आर्थिक अनुकूलता रहेगी। रुका धन मिलने से धन संग्रह होगा। राज्यपक्ष से लाभ के योग हैं।
कन्या: उपाय-‘ॐ चं चन्द्रमसे नम:’ का जप करें। उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। शत्रु सक्रिय रहेंगे। शोक समाचार मिल सकता है। थकान महसूस होगी। व्यावसायिक चिंता रहेगी। संतान के व्यवहार से कष्ट होगा। सहयोगी मदद नहीं करेंगे। व्ययों में कटौती करने का प्रयास करें। वाहन चलाते समय सावधानी रखें।
तुला: उपाय-‘ॐ अं अंगारकाय नम:’ का जप करें। रोमांस में समय बीतेगा। मेहनत का फल मिलेगा। कार्यसिद्धि से प्रसन्नता रहेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। परिवार में प्रसन्नता का वातावरण रहेगा। व्यापार के कार्य से बाहर जाना पड़ सकता है। कार्यपद्धति में विश्वसनीयता बनाएँ रखें। धनार्जन होगा।
वृश्चिक: उपाय-‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ का जप करें। अतिथियों का आवागमन रहेगा। उत्साहवर्धक सूचना मिलेगी। स्वाभिमान बना रहेगा। नई योजनाओं की शुरुआत होगी। संतान की प्रगति संभव है। भूमि व संपत्ति संबंधी कार्य होंगे। पूर्व कर्म फलीभूत होंगे। परिवार में सुखद वातावरण रहेगा। व्यापार में इच्छित लाभ होगा।
धनु: उपाय-‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ का जप करें। बेरोजगारी दूर होगी। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति होगी। जोखिम न लें। क्रोध एवं उत्तेजना पर संयम रखें। सत्कार्य में रुचि बढ़ेगी। प्रियजनों का पूर्ण सहयोग मिलेगा। व्यावसायिक चिंताएँ दूर होंगी। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
मकर: उपाय-‘ॐ सों सोमाय नम:’ का जप करें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्ययवृद्धि होगी। तनाव रहेगा। अपरिचितों पर विश्वास न करें। प्रयास में आलस्य व विलंब नहीं करना चाहिए। रुके हुए काम समय पर होने की संभावना है। विरोधी परास्त होंगे। यात्रा कष्टप्रद हो सकती है। धैर्य एवं संयम बना रहेगा।
कुंभ: उपाय-‘ॐ बुं बुधाय नम:’ का जप करें। दिन प्रेमभरा गुजरेगा। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। रुका हुआ धन मिलेगा। प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। प्रियजनों से पूरी मदद मिलेगी। धन प्राप्ति के योग हैं। स्वयं के सामर्थ्य से ही भाग्योन्नति के अवसर आएँगे। संतान के कार्यों में उन्नति के योग हैं।
मीन: उपाय-‘ॐ शुं शुक्राय नम:’ का जप करें। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। मान-सम्मान मिलेगा। व्यवसाय ठीक चलेगा। स्वास्थ्य के प्रति सावधानी रखें। कार्यक्षमता एवं कार्यकुशलता बढ़ेगी। कर्म के प्रति पूर्ण समर्पण व उत्साह रखें। व्यापार में नई योजनाओं से लाभ होगा।