श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़िता की मौत और उसकी अंत्येष्टि के मामले ने राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पुलिस की हरकत पर सवाल उठाया है। क्योंकि पुलिस ने विरोध के बावजूद परिजनों की गैर मौजूदगी में गैंगरेप पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया।
कांग्रेस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि निर्दयता की हद है ये। जिस समय सरकार को संवेदनशील होना चाहिए, उस समय सरकार ने निर्दयता की सारी हदें पार कर दी।’ आम आदमी पार्टी ने तो अंतिम संस्कार का वीडियो भी अपने फेसबुक पेज पर डाला है।
हाथरस गैंगरेप की पीड़िता की मौत और अंत्येष्टि पर सवाल
दरअसल, दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हाथरस गैंगरेप की पीड़िता की मौत के बाद मंगलवार को देर रात पुलिस युवती का शव लेकर हाथरस जिले के बुलगाड़ी गांव पहुंची। पीड़िता का शव गांव पहुंचा तो ग्रामीण अंतिम संस्कार के लिए राजी नहीं थे, लेकिन पुलिस ने भारी विरोध के बावजूद परिजनों की गैर मौजूदगी में गैंगरेप पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया।
ग्रामीणों के भारी आक्रोश को देखते हुए इलाके में बड़े पैमाने पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी। बताया जा रहा है कि गैंगरेप पीड़िता का शव रात करीब 12:45 पर हाथरस पहुंचा। एंबुलेंस को जब अंतिम संस्कार के लिए ले जाया रहा था तो लोगों ने उसे रोक दिया और एंबुलेंस के आगे लेटकर आक्रोश जताया।
एसडीएम पर परिजनों से बदसलूकी करने का आरोप
इस दौरान एसडीएम पर परिजनों के साथ बदसलूकी करने का भी आरोप लगा। पुलिस और ग्रामीणों में झड़प भी हो गई। परिजन रात में शव का अंतिम संस्कार नहीं करना चाहते थे, जबकि पुलिस तुरंत अंतिम संस्कार कराना चाहती थी। रात 2:40 बजे बिना किसी रीति रिवाज के परिजनों की गैरमौजूदगी में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
गैंगरेप पीड़िता के चाचा का कहना है कि पुलिस दबाव बना रही थी कि शव का अंतिम संस्कार कर दें। जबकि बेटी के मां-बाप और भाई कोई भी वहां मौजूद नहीं था। अभी वे लोग दिल्ली में ही हैं और गांव पहुंचे भी नहीं हैं। रात में अंतिम संस्कार न करने और परिवार का इंतजार करने की बात कहने पर पुलिस ने कहा कि अगर नहीं करोगे तो हम खुद कर देंगे।
निर्भया जैसी हैवानियत पर सियासत तेज
उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ निर्भया जैसी हैवानियत पर सियासत सातवें आसमान पर है। विपक्ष को सरकार के घेराव का मौका मिल गया है। सोशल मीडिया पर लोगों का आक्रोश उबाल पर है।
दिल्ली के जिस सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता ने आखिरी सांस ली, उसके बाहर भी प्रदर्शन हुआ, कैंडल मार्च निकला। यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की जा रही है। इस मामले का भले ही निर्भया जैसा मीडिया ट्रायल न हो पाए, लेकिन सोशल मीडिया ट्रायल शुरू हो गया है।
कृषि विधेयकों और श्रम कानूनों पर पहले से घिरी भाजपा सरकार के लिए यह मामला एक नई मुसीबत बन सकता है। बताया जा रहा है कि लड़की के साथ हैवानियत की हदें पार कर दी गईं। उसकी गले की हड्डी तक तोड़ दी गई थी। विपक्ष का व्यापक तौर पर प्रदर्शन जारी है तो यह मामला ट्वीटर पर हैशटैग जस्टिस फार मनीषा ट्रेंड कर रहा है।
दबाव में आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
शायद इसी के दबाव में आकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी गठित करने की घोषणा की है। गृह सचिव की अध्यक्षता वाली इस तीन सदस्यीय टीम में डीआईजी चंद्र प्रकाश और आईपीएस अधिकारी पूनम को सदस्य बनाया गया है।
सीएम ने पूरे घटनाक्रम पर टीम को घटना की तह तक जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने समयबद्ध ढंग से जांच पूरी कर रिपोर्ट देने को कहा है।
इस सिलसिले में गिरफ्तार चारों आरोपियों के खिलाफ फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मुक़दमा चला कर जल्द से जल्द सजा दिलाने का भी आदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया है। देखना यह है कि अदालत गैंगरेप पीड़िता को न्याय दिलाने में कितनी तत्परता दिखाती है?