
Gujarat bridge collapse: मजबूत सरकार और कमजोर पुल की बात कितनी अजीब लगती है। हम लोग अपने वोट की ताकत से कितनी मजबूत सरकार बनाते हैं, लेकिन ये सरकारें देश के पुल को इतना कमजोर होने देती हैं कि ये पुल समय समय पर टूटते रहते हैं।
Gujarat bridge collapse: भ्रष्टाचार की मार, क्या कर रही सरकार?
श्रीकांत सिंह
Gujarat bridge collapse: सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से हादसे दर हादसे होते रहते हैं। और इन हादसों से टूट जाती हैं सैकड़ों लोगों की सासें। आज हम बात करेंगे कि किस प्रकार देश के पुल भ्रष्टाचार की मार से जर्जर होकर टूट जाते हैं।
ताजा मामले की बात करें तो 30 अक्टूबर 2022 की शाम गुजरात के मोरबी में एक केबल सस्पेंशन ब्रिज टूटने से कई जिंदगियां नदी के पानी में समा गईं। क्योंकि इस पुल पर खड़े लगभग 400 लोग मच्छु नदी में गिर गए थे। हादसे में अब तक 141 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है। 150 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं।
मच्छु नदी पर बना मोरबी केबल पुल
कहा जा रहा है कि मच्छु नदी पर बना मोरबी केबल पुल मरम्मत कार्य और रखरखाव में कमी, कुप्रबंधन या अन्य तकनीकी कारणों से ढह गया। ब्रिटिश काल में बनाया गया यह पुल काफी पुराना था। 6 महीने तक चली मरम्मत के बाद इस पुल को 26 अक्टूबर 2022 को जनता के लिए खोला गया था।
इस दुर्घटना से पहले भी पुल टूटने के अनेक हादसे भारत में पिछले दो दशकों में हो चुके हैं। 22 जून 2001 को मंगलौर चेन्नई मेल ट्रेन केरल के कोझीकोड जिले के कदलुंडी रेलवे स्टेशन के पास नदी पर बने एक पुल के पिलर टूटने से बेपटरी हो गई थी। ट्रेन के चार डिब्बे नदी में समा गए थे। इस हादसे में 59 लोगों की मौत हो गई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे।
बिहार के रफीगंज रेल पुल का हादसा
इसी प्रकार 10 सितंबर 2002 को बिहार के रफीगंज रेल पुल पर कोलकाता से नई दिल्ली जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। 130 लोगों की मौत हो गई थी। 28 अगस्त 2003 की बात करें तो दमन के पश्चिमी तटीय क्षेत्र में एक पुल नदी में गिर गया था। उससे एक स्कूल बस और कई अन्य वाहन पानी में बह गए थे। इस हादसे में 25 लोगों की मौत हो गई थी।
वर्ष 2005 में 29 अक्टूबर को तेलंगाना के वेलिगोंडा रेलवे ब्रिज ढहने से पूरी ट्रेन पानी में चली गई थी। 114 लोग मारे गए थे। पुल का एक हिस्सा बह जाने से यह हादसा हुआ था। अचानक आई बाढ़ के कारण हैदराबाद के निकट हादसा हुआ था। 2 दिसंबर 2006 को बिहार के भागलपुर रेलवे स्टेशन पर एक डेढ़ सौ साल पुराना पुल टूट गया, जिसमें 33 लोगों की मौत हो गई थी।
हावड़ा-जमालपुर सुपरफास्ट ट्रेन के पुल
बताया जाता है कि हावड़ा-जमालपुर सुपरफास्ट ट्रेन के पुल से गुजरने के समय यह हादसा हुआ था। 9 सितंबर 2007 को हैदराबाद के पंजागुट्टा में फ्लाईओवर पुल निर्माण के दौरान गिर गया था, जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी। 24 दिसंबर 2009 को राजस्थान के कोटा जिले में एक निर्माणाधीन पुल के ढहने से मलबे में फंसे 37 मजदूरों की मौत हो गई थी।
22 अक्टूबर 2011 को भारत के चाय उत्पादक क्षेत्र दार्जिलिंग में एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान पुल ढह गया था, जिसमें 32 लोगों की मौत हो गई थी। 10 जून 2014 को गुजरात के सूरत में पंडित दीनदयाल उपाध्याय केबल ब्रिज का 35 मीटर लंबा और 650 टन वजनी स्लैब 40 फुट की ऊंचाई से ढह गया था। उसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी और 6 लोग घायल हो गए थे। 31 मार्च 2016 को कोलकाता में निर्माणाधीन विवेकानंद फ्लाईओवर का लगभग 100 मीटर का हिस्सा गिरने से 27 लोगों की मौत हो गई थी।
महाराष्ट्र में सावित्री रिवर ब्रिज हादसे में 28 लोग मारे गए
2 अगस्त 2016 को महाराष्ट्र में सावित्री रिवर ब्रिज हादसे में 28 लोग मारे गए थे। महाड़ के पास सावित्री नदी पर बना 106 साल पुराना पुल ढह गया था। 18 मई 2017 को गोवा के कुरचोरेम में सैनवोर्डेम नदी पर पुर्तगाली युग के एक जर्जर पुल के ढह जाने से दो लोगों की मौत हो गई थी और कई लापता हो गए थे।
29 सितंबर 2017 को मुंबई में एलफिंस्टन रोड रेलवे स्टेशन के पुल पर अचानक भगदड़ मचने से 23 लोगों की मौत हो गई थी और 39 लोग घायल हो गए थे। 15 मई 2018 को वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के पास निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा गिर गया था। हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई थी। 20 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
कोलकाता में मजेरहाट पुल टूट गया
4 सितंबर 2018 को कोलकाता में मजेरहाट पुल टूट गया। हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी और 25 लोग घायल हो गए थे। 14 मार्च 2019 को मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल्स रेलवे स्टेशन के उत्तरी छोर को बदरुद्दीन तैयबजी लेन से जोड़ने वाले फुटओवर ब्रिज का एक हिस्सा टूटकर सड़क पर गिर गया था। इस हादसे में छह लोगों की मौत हो गई थी और 30 अन्य घायल हुए थे।
मौतों के नजरिये से देखें तो गुजरात के मोरबी में जो हादसा हुआ है, वह अब तक का सबसे बड़ा हादसा है। वैसे तो जांच चल रही है, लेकिन इन जांचों के जाल से असली गुनहगार बच निकलते हैं। तभी तो देश में हादसे दर हादसे हो रहे हैं और सरकारों की नींद टूटने का नाम नहीं ले रही है।