Guru Nanak: गुरु नानक के सरल और सात्विक विचारों का गहरा प्रभाव तत्कालीन पंजाब और यहां के जनजीवन पर पड़ा। यही वजह है कि उनका नाम देश के महापुरुषों में शामिल है।
Guru Nanak: कैसे गुरु नानक से प्रभावित हुआ जनसमुदाय?
Guru Nanak: देश के संत कवियों में सिक्ख पंथ के प्रवर्तक गुरु नानक का नाम उल्लेखनीय है। और वे मध्यकाल के महान समाज सुधारक, चिंतक और समाजसेवी थे। उन्होंने समाज में समानता और भाईचारे की भावना पर जोर दिया। और लोगों को ईश्वर की संतान बताया।
गुरु नानक के मन में समाज के दीन हीन लोगों के प्रति करुणा थी। और इनकी सेवा को उन्होंने सबसे महान धर्म कहा। गुरु नानक का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के लाहौर के पास तलवंडी में हुआ था। इनका यह जन्मस्थल ननकाना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है।
ननकाना साहिब पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित एक शहर है। इसका वर्तमान नाम सिखों के पहले गुरु गुरु नानकदेव जी के नाम पर पड़ा है। इसका पुराना नाम ‘राय-भोई-दी-तलवंडी’ था। यह लाहौर से 80 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। इसकी जनसंख्या 60 हजार है। यह सिखों का पवित्र ऐतिहासिक स्थान (तीर्थ) है। यह विश्व भर के सिखों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यहां का गुरुद्वारा साहिब बहुत प्रसिद्ध है।
कर्मकांड और रूढ़ियों का विरोध
गुरु नानक ने धार्मिक कर्मकांड और रूढ़ियों का विरोध किया। और जातिप्रथा और वर्ण व्यवस्था को अस्वीकार किया। बाल्यावस्था से ही गुरु नानक को ईश्वरचिंतन और धर्मचर्चा में रुचि थी। और युवावस्था में इनके पिता ने गृहस्थ जीवन में मन रमाने के लिए इनका विवाह भी कर दिया।
घर गृहस्थी में इनका मन नहीं लगा। और इन्होंने संन्यास धारण कर लिया। गुरु नानक के सरल और सात्विक विचारों का गहरा प्रभाव तत्कालीन पंजाब और यहां के जनजीवन पर पड़ा। गुरु नानक के सत्संग में बड़ी संख्या में लोग आने लगे। और इन्होंने सबको सत्कर्मों की सीख दी। उनका नाम देश के महापुरुषों में शामिल है।
पंजाब के जनजीवन का उत्थान
गुरु नानक ने मध्यकाल में देश के लोगों को सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संगठित किया। और दीन ईमान को सबसे बड़ा धर्म बताया। उनके बताए जीवन पथ पर चल कर पंजाब के जनजीवन का उत्थान हुआ। सिक्ख धर्म में हिंदू धर्म और इस्लाम धर्म दर्शन के विचारों का समावेश है।
इसलिए इसमें सहिष्णुता की भावना विद्यमान है। गुरु नानक युग प्रवर्तक महापुरुष थे। और उन्होंने भारतीय जनमानस की जीवन चेतना को आलोकित किया। उन्होंने हिदू धर्म की रूढ़ियों और कट्टरता पर प्रहार किया। और समानता के दर्शन पर आधारित सिक्ख पंथ की नींव डाली।