
‘महात्मा गांधी के सिद्धांतों और हिंदी भाषा में योगदान’ पर आयोजित व्याख्यानमाला में हैम्बर्ग विश्वविद्यालय जर्मनी के प्रो. राम प्रसाद भट्ट ने जर्मनी और भारत के साहित्य में गांधी के योगदान के बारे में बताया।
गढ़वाल विवि की यूजीसी के सहयोग से इजराइल की हाईफा यूनिवर्सिटी के साथ गांधी के सिद्धांतों व विचारों पर प्रथम व्याख्यान माला आयोजित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत में गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने बताया कि हाईफा यूनिवर्सिटी के साथ गढ़वाल विवि का एमओयू हुआ है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नीति आयोग के मुख्य सलाहकार डॉ. अशोक कुमार जैन ने गांधी के सिद्धांतों, सत्याग्रह, स्वदेशी, अहिंसा व नैतिक मूल्यों की वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता हाईफा विवि के डॉ. अरिक मोरन ने कुल्लू सीमांत पर सांस्कृतिक परिवर्तन की राजनीति : 1850-2000 विषय पर, गढ़वाल विवि के इतिहास विभाग के प्रो. डीपी सकलानी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए गांधी के योगदान पर चर्चा की।
मुख्य वक्ता राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष आचार्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने साहित्य में गांधी के योगदान पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह आजादी के बाद और आजादी के पूर्व संपूर्ण हिंदी साहित्य एवं अन्य भाषाओं का साहित्य गांधीजी से प्रभावित रहा और गांधीजी के विचारों को साहित्य ने भी आत्मसात किया।
अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि गांधी ने हिंदी भाषा को मातृभाषा के रुप में स्थापित करने में अपनी भूमिका निभाई। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजिका गढ़वाल विवि की हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. मंजुला राणा, डा. गुड्डी बिष्ट ने बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की डेढ़ सौ शताब्दी के अवसर पर गढ़वाल विवि की ओर से अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान मालाओं का आयोजन किया गया।