Horticulture in India: खेती से पर्याप्त आमदनी न हो पाने के कारण किसानों का रुझान बागवानी की ओर तेजी से बढ़ रहा है। कुछ किसान बागवानी से अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। फसलों की तुलना में बागवानी के कई फायदे हैं। इसलिए आज चर्चा बागवानी की।
Horticulture in India: छोटे किसान भी बागवानी से बढ़ा सकते हैं आय
इंफोपोस्ट न्यूज डेस्क
Horticulture in India: खेती की फसलों की तुलना में बागवानी का काम छोटे भू-भाग यानी कम ज़मीन पर आसानी से किया जा सकता है। अब तो कुछ राज्यों की सरकारें नर्सरी लगाने, बाग लगाने और कोल्ड स्टोरेज बनाने तक पर अनुदान दे रही हैं। छोटे और सीमांत किसान भी बागवानी की मदद से कम ज़मीन का उपयोग करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
दरअसल, बागवानी भोजन और औषधीय सामग्री का उत्पादन करने के लिए या आराम और सजावटी उद्देश्यों के लिए बगीचों में पौधों की खेती करने की कला है। बागवानी के जरिये किसान फूल, फल, मेवा, सब्जियां, जड़ी-बूटियां और सजावटी पेड़ लगा कर लॉन तैयार कर सकते हैं।
छोटे भूखंडों का बेहरत उपयोग सिखाती है बागवानी
बागवानी के अध्ययन और अभ्यास का पता हजारों साल पहले लगाया गया। बागवानी को कई श्रेणियों में विभाजित किया गया है। बागवानी विज्ञान के संरक्षण के लिए दुनिया भर में कई संगठन बागवानी को प्रोत्साहित करते हैं। दुनिया के कुछ खास बागवानों में लुका घिनी, लूथर बरबैंक और टोनी एवेंट शामिल हैं।
बागवानी लैटिन शब्द होर्टस और कल्चर से निकला है। इसका मतलब है “उद्यान” और “खेती”। कृषि के विपरीत बागवानी में बड़े पैमाने पर फसल उत्पादन या पशुपालन शामिल नहीं है। इसलिए बागवानी मिश्रित फसलों की एक विस्तृत विविधता के साथ छोटे भूखंडों के उपयोग पर केंद्रित होती है। लेकिन कृषि एक समय में एक बड़ी प्राथमिक फसल पर केंद्रित होती है।
हरियाणा में बागवानी पर है अनुदान की व्यवस्था
हरियाणा में रोहतक के जिला बागवानी अधिकारी हवा सिंह के मुताबिक, प्रदेश सरकार की ओर से नर्सरी पर 40 से 50 फीसदी यानी साढ़े सात लाख से 40 लाख रुपये तक के अनुदान की व्यवस्था है। नए बाग लगाने के लिए 50 प्रतिशत यानी 50 हजार रुपये प्रति एकड़ तक का अनुदान दिया जाता है।
सब्जियों की खेती पर 40 प्रतिशत यानी, आठ हजार रुपये प्रति एकड़ तक के अनुदान की व्यवस्था है। मशरूम उत्पादन ईकाई, कम्पोस्ट मेकिंग ईकाई और स्पोन मेकिंग ईकाई पर 40 से 50 प्रतिशत यानी 6 लाख से 8 लाख रुपये तक का अनुदान दिया जाता है। सामुदायिक तालाब पर 100 प्रतिशत यानी 20 लाख रुपये तक का अनुदान लिया जा सकता है।
इसी प्रकार व्यक्तिगत तालाब पर 70 प्रतिशत यानी सात लाख रुपये तक, संरक्षित संरचना पर 65 प्रतिशत यानी 11 लाख 70 हजार रुपये से 32 लाख 78 हजार रुपये तक, मधुमक्खी के बक्से और कॉलोनी पर 85 प्रतिशत यानी एक लाख 87 हजार रुपये प्रति 50 बक्से और बागवानी उपकरण पर 25 से 50 प्रतिशत यानी 300 से डेढ़ लाख रुपये तक के अनुदान का प्रावधान है।
झारखंड में मसालों और सब्जियों की खेती पर मिलता है अनुदान
झारखंड सरकार बागवानी पर कई योजनाएं चला रही है। सब्जियों की खेती के लिए योजनाएं शुरू की गई हैं। झारखंड के किसान सब्जी और मसाले की खेती के लिए सरकार से अनुदान ले सकते हैं। खासकर मिर्चा, ओल, अदरक और फूल की खेती के लिए अनुदान की व्यवस्था है।
मिर्चा की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर लागत 30 हजार रुपये का अधिकतम 40 फीसदी अनुदान लगभग 12 हजार रुपये किसानों को दिया जा रहा है। इसी प्रकार ओल या जिमीकंद यानी सूरन की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर तीन लाख रुपये की सहायता दी जा रही है।
राज्य में अदरक की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रति हेक्टेयर कुल लागत एक लाख 95 हजार रुपये का अधिकतम 40 फीसदी अनुदान 78 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाने की व्यवस्था है। प्रति किसान एक हेक्टेयर खेती के लिए ही योजना का लाभ मिलेगा। योजना का क्रियान्वयन रांची, खूंटी, गुमला, हजारीबाग, रामगढ़ और बोकारो में किया जाएगा। किसान अपने जिले के कृषि विभाग में जाकर संपर्क कर सकते हैं।