Horticulture plans in Moradabad: एक ऐसी कृषि योजना तैयार की गई है, जिससे किसानों को लीक से हटकर खेती करने के लिए जागरूक किया जाएगा। एक पोर्टल के जरिये किसानों को बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। आज हम शरीफे की खेती पर भी चर्चा करेंगे।
Horticulture plans in Moradabad: एक हजार पशुओं के लिए नंदी उपवन
श्रीकांत सिंह
मुरादाबाद। Horticulture plans in Moradabad: छुट्टा जानवरों से परेशान किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। नदी क्षेत्र में सरकारी भूमि पर बागवानी की योजना बनाई गई है। इसी के तहत अमरोहा में एक हजार पशुओं के रहने की व्यवस्था की जा रही है। उसके लिए नंदी उपवन तैयार किया रहा है। चारे की व्यवस्था के लिए नदी के किनारे की भूमि चिन्हित की गई है। बिजनौर में 11 बीघा जमीन पर नेपियर घास उगाई गई है, जिसे बढ़ाकर 22 बीघा किया जाएगा।
उधर, बंदरों के लिए नदियों के किनारे सरकारी जमीन पर बाग लगाए जाने की योजना है। संभल, अमरोहा और बिजनौर में नदी के किनारे नंदी उपवन तैयार किए जाने की योजना है।
पशुपालन, बागवानी और मछली पालन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। एक बैलेंस शीट के जरिये खेती की पैदावार और खपत का ब्यौरा दर्ज किया जाएगा।
सरकार की ओर से 20 हजार रुपये तक सालाना अनुदान
मुरादाबाद मंडल में मसालों का भी उत्पादन किया जाएगा। जिन क्षेत्रों में पानी की समस्या नहीं है, वहां जलजनित पौधों की खेती की जाएगी। इसी के तहत लेमनग्रास और बंबू की खेती के प्रति किसानों को जागरूक किया जा रहा है। सरकार की ओर से 20 हजार रुपये तक सालाना अनुदान की व्यवस्था है। अमरोहा में सीएनजी उत्पादन की भी कार्य योजना बनाई गई है।
किसानों को इस संबंध में जानकारी दी जा रही है, जिससे वे योजना का लाभ उठा सकें। तभी तो एफपीओ यानी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन को प्रमोट किया जा रहा है। इसके लिए कलस्टर बनाया जाएगा। उसके तहत क्षेत्रवार खेती का लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा। एक पोर्टल के जरिये किसानों के उत्पाद को बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा।
उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र से जोड़े जाएंगे निवेशक
उत्तर प्रदेश में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उन्हें कृषि क्षेत्र से जोड़ा जा रहा है। बिजनौर में एक हजार करोड़ रुपये का निवेश आने की संभावना है। जमीनी स्तर पर ये सरकारी योजनाएं अगस्त में नजर आने लगेंगी। पांच सौ करोड़ रुपये की तो एक ही परियोजना है। खाद बनाने के लिए 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था निजी प्रमोटर की ओर से की जाएगी।
धान किसानों की बात करें तो उनके लिए निर्यात की व्यवस्था की जा रही है। उसके लिए बायर-सेलर एग्रीमेंट किया जाएगा। गंगा तटीय इलाकों में हल्दी की खेती को प्रोत्साहन दिया जाएगा। अगस्त में इसके लिए एक बड़ा आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर किसानों से चर्चा भी की जाएगी। संभल के गुन्नौर गोटरी और रामपुर के मिलक में मत्स्य पालन की संभावनाओं का लेखा-जोखा तैयार किया गया है।
किसानों को होगी लागत की दोगुनी आमदनी
मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह की मानें, तो सरकार का संकल्प है कि किसानों के लिए लागत की दोगुनी आमदनी की व्यवस्था की जाएगी। क्योंकि मुरादाबाद पहला मंडल है जहां कृषि की योजना तैयार की गई है।
परंपरागत खेती के तहत हल्दी, मसाला, मत्स्य पालन, दूध उत्पादन सहित अन्य तमाम कार्यों के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बाजार की व्यवस्था की जा रही है। निजी निवेशको को तैयार किया जा रहा है। एक हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं तैयार की जा रही हैं। अगस्त में यह सब कार्य दिखने लगेगा।
शरीफे की खेती कर सकती है मालामाल!
शरीफा के पौधों की खेती किसी भी भूमि पर की जा सकती है। लेकिन अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी हो तो अच्छी पैदावार की जा सकती है। किसान अब पहले से ज्यादा जागरूक हो गए हैं। उन्हें यह बात समझ में आने लगी है कि फसलों की खेती कर वे अच्छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं। शरीफे की खेती से तमाम किसान अच्छा लाभ कमा रहे हैं।
दरअसल, शरीफा एक औषधीय पौधा है। हार्ट संबंधी बीमारियों में चिकित्सक इसकी पत्तियों को खाने की सलाह देते हैं। दस्त जैसी बीमारियों में भी इसका सेवन फायदेमंद है। इसके पौधे की ज्यादा देखभाल करने की जरूरत नहीं पड़ती। औषधीय गुण होने से इसके पौधों को जानवर नहीं खाते। इस पर हानिकारक कीड़ों और बीमारियों का भी असर नहीं होता। इसके बीज तेल और साबुन बनाने के काम आते हैं।
कब और कैसे करें शरीफा की खेती?
शरीफा की खेती के लिए मॉनसून यानी जुलाई और अगस्त का महीना बेहतर माना जाता है। शरीफा का बीज काफी समय के बाद जमता है। इसलिए बुवाई से पहले 3-4 दिनों तक बीज को पानी में भिगो कर रख दिया जाता है। ऐसा करने से अंकुरण जल्दी हो जाता है। बारिश न हो रही हो तो खेतों की तीन-चार दिन सिंचाई करने के बाद ही बुवाई करना ठीक रहता है।
पौधारोपण के दो से तीन साल बाद शरीफा का पेड़ फल देना शुरू कर देता है। फलों की तुड़ाई पूर्ण रूप से पके होने और कठोर अवस्था में ही करना ठीक रहता है। एक विकसित पौधे से 100 से ज्यादा फल प्राप्त होने लगते हैं। बाजार में 40 से 100 रुपये प्रति किलो के बीच फल बिकते हैं। एक एकड़ में 500 के आसपास पौधे लगाए जाएं तो तीन से चार लाख रुपये तक की कमाई आसानी से की जा सकती है।