House of Stray Animals India: पशु पक्षी हमारे जीवन के अभिन्न अंग होते हैं। सदियों से हम इनके साथ रहते आए हैं। मानव सभ्यता के विकास से पहले तो हमारा इनका सहअस्तित्व रहा है। इतिहासकारों का मत है कि कुत्ता सबसे पहले मानव के संपर्क में आया। इंसान और जानवर की दोस्ती की यह पहली मिसाल मानी जाती है। क्या यह दोस्ती आज भी निभाई जा रही है?
House of Stray Animals India: पशुओं से नफरत करने वालों की संख्या ज्यादा
श्रीकांत सिंह
House of Stray Animals India: जब हमारे पास भोजन की कमी थी, तब हम इन पशुओं के साथ भोजन साझा करते थे। लेकिन अब क्या हो गया है? आज हमारे पास प्रचुर मात्रा में भोजन है। फिर भी शहरों की चकाचौंध भरी जिंदगी में पशुओं से नफरत करने वालों की संख्या ज्यादा है। तभी तो आज इंसान और पशु एक दूसरे के लिए असुविधा का सबब बन गए हैं।
हमारे पास इनके बारे में चर्चा करने तक का समय नहीं है। यह अलग बात है कि कुछ खास जानवर ही राजनीति को प्रभावित कर पाते हैं। और हमारा मुख्य धारा का मीडिया भी टीआरपी के चक्कर में इनके पीछे पीछे चल पड़ता है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि पशुओं की चिंता किसी को भी नहीं है। तमाम गैरसरकारी संगठन पशु क्रूरता के विरोध में खड़े हो रहे हैं। उन्हीं में एक है हाउस आफ स्ट्रे एनीमल्स इंडिया।
बेघर पशुओं के प्रति हमारा नजरिया
आज हम पशुओं के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं? बेघर पशुओं के प्रति हमारा नजरिया क्या है? आस पास के माहौल पर नजर डालिए। आपको जवाब मिल जाएगा। बेघर पशुओं के प्रति हमारी नफरत और क्रूरता चरम पर है। ईंट, डंडे और पत्थर से उन पर हमले की बात पुरानी हो चुकी है। अब तो नया ट्रेंड चल पड़ा है कि उन पर एसिड और दूसरे जानलेवा रसायनों से हमले किए जा रहे हैं।
इस क्रूरता का मसला जिनका है, उनके पास जुबान भी नहीं है। तो फिर इस समस्या का समाधान क्या है? पशुओं के अधिकारों की रक्षा कैसे की जाए? कैसे बंद हो पाएंगे उन पर हो रहे अत्याचार? एनजीओ House of Stray Animals India की ओर से ऐसे सवाल उठाए जाते रहे हैं। अगर सरकार और समाज के लोग कुछ जरूरी कदम उठा सकें तो पशुओं को जीने का अधिकार मिल सकता है।
पशुओं के लिए आखिर होना क्या चाहिए?
दिल्ली में बेघर पशुओं की देखरेख और उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी एमसीडी और स्थानीय निकायों को दी जानी चाहिए। इस कार्य के लिए अलग से अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए। दिल्ली जितनी आम आदमी के लिए है, उतनी ही पशुओं के लिए भी। लेकिन अच्छी से अच्छी योजना और अच्छे से अच्छे विचार बिना बजट के बेकार साबित हो जाते हैं। इसलिए बजट का भी अलग से प्रावधान होना चाहिए।
यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पशुओं का बजट उनके कल्याण पर ही खर्च हो। एडब्ल्यूबीआई और पीसीए एक्ट के तहत पशुओं के अधिकारों की रक्षा हो। इन कानूनों में जरूरत के हिसाब से संशोधन भी किया जाना चाहिए। दरअसल, दिल्ली और उसके आस पास के इलाकों में बने सोसायटी फ्लैट के आरडब्ल्यूए अपनी मर्जी से पालतू पशुओं पर कायदे कानून बना देते हैं। ये कानून पशु अधिकारों के खिलाफ होते हैं। इन हालात को बदलने की जरूरत है।
जानें, House of Stray Animals India के बारे में
बता दें कि House of Stray Animals India एक एनजीओ है, जो दिल्ली और नोएडा में सक्रिय है। मकसद है बेघर पशुओं के अधिकारों की रक्षा। घायल पशु पक्षियों की चिकित्सा और पशु कल्याण को लेकर समाज को सजग करना। एनजीओ की ओर से समय समय पर पशु पक्षी के कल्याण से जुड़े कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। संजय महापात्रा संस्थापक सदस्य हैं।
उन्हें एक बार ऐसा लगा कि पशु पक्षियों के कल्याण के लिए कुछ करना जरूरी है। और तब से यही उनके जीवन का एक मकसद बन गया है। उसी मकसद को पूरा करने के लिए एनजीओ का गठन किया गया। संस्था से लोग जुड़ते गए और अब एक कारवां बन गया है। उन्होंने संस्था से जुड़ने के लिए आम लोगों से अपील की है।