
मुंबई। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान मीडिया और मनोरंजन की दुनिया से जुड़ा एक कड़वा सच सामने आया है। पिछले पांच महीनों में मनोरंजन जगत की कई हस्तियों ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। जब सुशांत सिंह राजपूत की मौत हुई तो मीडिया में चर्चा शुरू हुई कि कहीं वह ड्रिप्रेशन में तो नहीं थे।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को अगर छोड़ भी दें तो क्राइम पेट्रोल, लाल इश्क और मेरी दुर्गा जैसे सीरियल्स में काम कर चुकीं अभिनेत्री प्रेक्षा मेहता, टीवी सीरियल ‘आदत से मजबूर’ के अभिनेता मनमीत ग्रेवाल, चेन्नई में तमिल एक्टर श्रीधर और उनकी बहन जया कल्याणी ने भी आत्महत्या कर ली। जया कल्याणी भी पेशे से कलाकार थीं।
कन्नड़ टीवी इंडस्ट्री के एक्टर सुशील गोवड़ा, भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की एक्ट्रेस अनुपमा पाठक और टीवी के पॉपुलर एक्टर समीर शर्मा जैसे कलाकारों ने भी खुदकुशी कर दुनिया को अलविदा कह दिया।
जोधा अकबर, महाराणा प्रताप, देवों के देव महादेव जैसे कई धारावाहिकों में काम कर चुके अभिनेता जावेद पठान ने कहा है कि लॉकडाउन से पहले मैं अपने शो विघ्नहर्ता गणेश के लिए काम कर रहा था। साथ ही एक फ़िल्म जिसकी शूटिंग लखनऊ में होने वाली थी और एक वेब सीरीज़ भी कर रहा था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से सारा काम बीच में ही रुक गया।
जाहिर है कि काम रुकने के बाद रोज़ के खर्चे तो पहले जैसे ही होते हैं। अब तो ये डर सताने लगा है कि कब तक ऐसे ही रुका रहेगा। मैं इतना जनता हूँ कि कलाकार हमेशा संवेदनशील होते हैं। जब हमारे सामने कैमरा नहीं होता, चेहरे पर मेकअप नहीं होता, हाथों में स्क्रिप्ट नहीं होती तब हम एक अलग लेवल के डिप्रेशन में चले जाते हैं।
मेरे साथ भी ऐसा होता है। ऐसे में मानसिक संतुलन बनाए रखना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि आपको पता ही नहीं होता कि आपका करियर किस दिशा में जा रहा है। आप कुछ समझ ही नहीं पाते। प्रोड्यूसर को भी नहीं मालूम होता कि शूटिंग कब शुरू होगी। प्रोडक्शन हाउस बंद होने से हम घर से बहार निकल नहीं पाते। जिम नहीं जा पाते, कितनी देर टीवी देखेंगे?
ऐसे में एक वक़्त ऐसा लगने लगता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि हमारी ज़िंदगी ख़त्म हो रही है। जो काम मिल भी रहे हैं, उसमें भी अब पैसे कट कर मिल रहे हैं। जावेद इंडस्ट्री के उन कलाकरों में हैं जिनके सीरियल की शूटिंग हाल में फिर से शुरू हुई है।
जावेद कहते हैं, “अगर मैं सलमान खान होता मैं भी शूट नहीं करता। लेकिन मुझे अपने घर का किराया देना है, परिवार को भी देखना है, अपने आपको मेंटेन भी रखना है। अगर आप अपना ख़याल नहीं रखेंगे तो काम नहीं मिलेगा। इस चक्कर में हमारे खर्चे भी थोड़े ज़्यादा होते हैं।
अब स्थिति ऐसी है कि चाहे कोरोना से मरो या फिर बिना काम के मरो। अच्छा तो यही है कि काम करो बाकी ऊपर वाले पर छोड़ दो। एक चीज़ अच्छी है कि हम एक्टर्स का मेडिकल इंश्योरेंस शो के प्रोड्यूसर ने करवा रखा है और साथ में सेट पर देखभाल के लिए डॉक्टर भी मौजूद रहते हैं।
फ़िल्म और टीवी इंडस्ट्री में 25 साल से काम कर रहे अभिनेता और निर्देशक हर्ष छाया ने कहा है कि इतने सालों से काम करता आया हूं, इसलिए मुझे इस बात का अंदाज़ा है कि इस इंडस्ट्र्री में काम की गारंटी नहीं होती। आज मेरे पास काम है, फिर कल नहीं होगा। मैं उसी तरह से जी रहा हूं तो मेरे लिए यह कोई नई बात नहीं है। इन 25 सालों में कई बार ऐसे वक्त से गुज़र चुका हूं जब छह-छह महीने मेरे पास काम नहीं था। मैं इंडस्ट्री की सच्चाई जानता हूं।
लॉकडाउन का असर सिर्फ़ कलाकारों की ज़िंदगी पर नहीं पड़ा है बल्कि इंडस्ट्री में काम करने वाले कैमरामैन, लाइटमैन, मेकअप आर्टिस्ट, स्पॉट बॉय और जूनियर आर्टिस्ट की ज़िंदगी में तो गरीबी और लाचारी की ऐसी मार पड़ी है कि उनका परिवार दाने-दाने को मोहताज हो चुका है।
आल इंडिया सिने वर्कर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश श्यामलाल गुप्ता ने कहा है कि चार महीने बाद सीरियल की शूटिंग शुरू हुई है और मैं सेट पर जा रहा हूं। लॉकडाउन से पहले के तीन महीने का वेतन कई लोगों को नहीं मिला था। फिर लॉकडाउन लगा तो तीन-चार महीने ऐसे भी काम नहीं रहा। अब जब काम शुरू हुआ है तो सेट पर कम लोगों को ही काम मिल रहा है।
श्यामलाल के मुताबिक, इंडस्ट्री में काम करने वाले 80 फ़ीसद लोग महाराष्ट्र के बाहर से आते हैं। ये लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब और दिल्ली जैसे कई राज्यों से आते हैं। ये लोग वापस अपने गांव चले गए हैं और अब सिर्फ़ 30 फ़ीसद लोग ही काम करने के लिए बचे हैं। गांव लौट गए कई लोगों का कहना है कि अब वे कभी वापस नहीं आएंगे। उनको पता है कि काम करना बहुत मुश्किल होगा और अगर चीज़ें ठीक हो भी गईं तो इसमें समय लगेगा।
कलाकारों के डिप्रेशन में जाने की वजहों पर मनोचिकित्सक और साइकोथेरेपिस्ट डॉक्टर श्रद्धा सिधवानी ने कहा है कि कलाकारों के डिप्रेशन में जाने और खुदकुशी करने की कई वजहें हो सकती हैं, लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि कोरोना काल और लॉकडाउन में कई कलाकार शूटिंग पर नहीं जा पा रहे हैं। उनके पास काम नहीं है।
इस स्थिति में उनके लिए ये समझना बहुत मुश्किल हो रहा है कि उनकी पहचान क्या है? बहुत से लोगों के पास अभी काम नहीं है और वे इस कारण खालीपन का शिकार हो रहे हैं। अब वे वित्तीय दबाव भी महसूस करने लगे हैं। कलाकारों को अब पैसे और स्टेटस को लेकर बेचैनी होने लगी है। उन्हें कई इमोशनल चीज़ों से भी गुज़रना पड़ रहा है। ज़्यादातर मामलों में काम न रहने से डिप्रेशन होता है।
डिप्रेशन से निकलने के लिए व्यक्ति को सजग होकर सोचने की जरूरत है। खुद को व्यस्त रखने की ज़रूरत है। कोरोना के कारण कई एक्टर्स अपनी फैमिली और दोस्तों से मुलाक़ात नहीं कर पा रहे हैं। ज़रूरी है कि वे अपने परिवार के साथ संपर्क में रहें। रोज़ कम से कम एक फ़ोन कर लें या वीडियो कॉल कर लें। अगर आपके आसपास ऐसे लोग नहीं हैं जिनसे आप बात कर सकें तो डॉक्टर्स से मिलें और उनसे बात करें।