
नई दिल्ली। दक्षिण चीन सागर में टकराव बढ़ रहा है। वहां चीन लगातार दादागीरी दिखा रहा है। उसने दक्षिण चीन सागर में मिसाइलें दाग कर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है। इस पर अमेरिका ने आपत्ति भी जताई है। इससे पहले भी प्रशांत महासागर को लेकर अमेरिका और चीन में वाकयुद्ध हो चुका है।
चीन ने साउथ चाइना सी में पार्सल आईलैंड के पास दो बैलिस्टिक मिसाइलों की टेस्टिंग की। मिलिट्री एक्सारसाइज के दौरान इन मिसाइलों को अलग अलग जगहों से लॉन्च किया गया। इनमें डीएफ-26 बी और डीएफ-21 डी मिसाइलें शामिल थीं।
डीएफ-26 बी मिसाइल की रेंज 4 हजार किलोमीटर और डीएफ-21 मिसाइल की रेंज 1500 किलोमीटर तक है। चीन की ये मिसाइलें चलते पोतों और फाइटर जेट्स को निशाना बना सकती हैं। अमेरिका ने चीन की ओर से किए गए मिसाइल टेस्ट पर आपत्ति जताई है।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने दावा किया था कि चीन ने साउथ चाइना सी में कम से कम चार मिसाइलों का परीक्षण किया है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। इससे क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को खतरा होगा।
पेंटागन ने कहा है कि साउथ चाइना सी में मिसाइलों का परीक्षण चीन की ओर से किए 2002 के समझौते के खिलाफ है। समझौते के तहत चीन ने कहा था कि वह ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे क्षेत्र में तनाव पैदा हो। पिछले एक दशक में चीन ने यहां के कई आईलैंड्स पर अपने सैन्य ठिकाने बना लिए हैं।
चीन इस क्षेत्र के कई इलाकों पर अपना दावा जता रहा है। चीन वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ताइवान और इंडोनेशिया जैसे देशों के समुद्री इलाकों को भी अपना बता रहा है। चीन की डिफेंस मिनिस्ट्री के प्रवक्ता वु क्विन ने आरोप लगाया था कि अमेरिकी जेट्स हमारे नो फ्लाय जोन में घुसे थे।
चीन के मुताबिक, अमेरिकी नेवी के दो यू-2 एयरक्राफ्ट्स ने उत्तरी इलाके में हमारी सेना के अभ्यास की कई घंटे तक जासूसी की। इससे हमारी ट्रेनिंग पर असर हुआ। अमेरिका ने दोनों देशों के बीच समझौते का उल्लंघन किया है। अमेरिका की यह हरकत बेहद खतरनाक है। अमेरिका चीन के इलाके में घुसेगा तो सैन्य झड़प होगी ही। अमेरिका ने कहा, हमने किसी नियम को नहीं तोड़ा।