इस माह यानी अगस्त में कुल दो व्रत पड़े हैं, जिनमें पहला रवि प्रदोष व्रत 16 अगस्त को था। अब भाद्रपद मास का दूसरा प्रदोष व्रत 30 अगस्त को है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को होता है। एक मास में यह व्रत दो बार आता है। हमारे शास्त्रों में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा है।
रविवार को आने वाला यह प्रदोष व्रत स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस व्रत में पूजन सूर्यास्त के समय करने का महत्व है। यह व्रत करने वाले की स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां दूर होती हैं। अत: स्वास्थ्य में सुधार होकर मनुष्य सुखपूर्वक जीवन-यापन करता है।
इस दिन प्रदोष व्रतार्थी को नमक रहित भोजन करना चाहिए। यद्यपि प्रदोष व्रत प्रत्येक त्रयोदशी को किया जाता है, परंतु विशेष कामना के लिए वार संयोगयुक्त प्रदोष का भी बड़ा महत्व है। जो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं, किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होते रहते हैं, उन्हें रवि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।
व्रत करने के लिए जल से भरा हुआ एक कलश, एक थाली (आरती के लिए), बेलपत्र, धतूरा, भांग, कपूर, सफेद पुष्प व माला, आंकड़े का फूल, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री आदि की व्यवस्था करें।
रवि प्रदोष व्रत के दिन व्रतधारी को प्रात:काल नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर शिवजी का पूजन करना चाहिए। प्रदोष वालों को इस पूरे दिन निराहार रहना चाहिए और दिनभर मन ही मन शिव का प्रिय मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करना चाहिए। सूर्यास्त के बाद पुन: स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार से पूजन करना चाहिए।
रवि प्रदोष व्रत की पूजा का समय शाम 4.30 से शाम 7.00 बजे के बीच उत्तम रहता है, अत: इस समय पूजा की जानी चाहिए। नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं शकर का भोग लगाएं। आठों दिशाओं में 8 दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें। इसके बाद नंदीश्वर (बछड़े) को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें। शिव-पार्वती एवं नंदकेश्वर की प्रार्थना करें।
रवि प्रदोष व्रत के मंत्र इस प्रकार हैं। ‘ॐ नम: शिवाय’ अथवा शिव का विशेष मंत्र-‘शिवाय नम:’ का कम से कम 108 बार जप करें। रवि प्रदोष व्रत की पूजा का समय शाम 4.30 से शाम 7.00 बजे तक रहेगा।
इस व्रत से आप की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती हैं और आप निरोगी हो जाते हैं। यह व्रत करने वाले समस्त पापों से मुक्त होते हैं। ज्योतिष के अनुसार व्रत को कर के जीवन की अनेक समस्याएं भी दूर की जा सकती हैं।