
Indian Journalist Vinod Dua: कौन थे विनोद दुआ? जिसमें मंत्री के मुंह पर आलोचना करने का साहस था। सरकार नियंत्रित दूरदर्शन में भी जिसने मंत्री को यह कह दिया था कि कामकाज के आधार पर दस में केवल तीन अंक मिलेंगे। उन्हीं की वज़ह से टीवी पर हिंदी पत्रकारिता पहली बार जगमगाई थी।
Indian Journalist Vinod Dua: शानदार कार्यक्रमों से मिली थी खास पहचान
इंफोपोस्ट डेस्क
Indian Journalist Vinod Dua: जाने माने पत्रकार विनोद दुआ का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उन्होंने एनडीटीवी पर ‘ख़बरदार इंडिया’, ‘विनोद दुआ लाइव’ और ‘ज़ायका इंडिया का’ जैसे चर्चित कार्यक्रमों से पहचान बनाई थी। सबसे पहले उन्हें दूरदर्शन पर ‘जनवाणी’ कार्यक्रम से जाना गया। चुनाव विश्लेषण के लिए भी वह निरंतर चर्चा में रहे।
विनोद दुआ ने 67 साल की उम्र में आख़िरी सांस ली। विनोद दुआ की दो बेटियां मल्लिका दुआ और बकुल दुआ हैं। मल्लिका एक हास्य अभिनेत्री और बाकुल साइकोलॉजिस्ट हैं। एनडीटीवी के डॉ. प्रणय रॉय हमेशा कहते रहे हैं, “विनोद न केवल महानतम पत्रकारों में एक थे, बल्कि वह अपने युग के पत्रकारों में सर्वश्रेष्ठ थे।”
पहले हुआ था कोरोना संक्रमण
उन्हें कुछ वक्त पहले कोरोना संक्रमण हुआ था। उनकी बेटी मल्लिका दुआ ने सोशल मीडिया पोस्ट कर पिता के निधन की जानकारी दी। विनोद दुआ को डॉक्टरों की सलाह पर दिल्ली के अपोलो हास्पिटल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। मल्लिका ने कहा, हमारे निर्भय और असाधारण पिता हमारे बीच नहीं रहे। मल्लिका ने इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा कि रविवार दोपहर लोधी क्रेमेटोरियम में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
जाने-माने टीवी ऐंकर विनोद दुआ का जाना टीवी पत्रकारिता के एक युग का अंत है। उस समय जब टीवी की दुनिया दूरदर्शन तक सिमटी थी और टीवी पत्रकारिता नाम के लिए भी नहीं थी, विनोद दुआ धूमकेतु की तरह उभरे थे। इसके बाद वे साढ़े तीन दशकों तक किसी लाइट टॉवर की तरह मीडिया जगत के बीच जगमगाते रहे।
दूरदर्शन पर हुई थी शुरुआत
दूरदर्शन पर उनकी शुरुआत ग़ैर समाचार कार्यक्रमों की ऐंकरिंग से हुई थी। मगर बाद में वे समाचार आधारित कार्यक्रमों की दुनिया में दाखिल हुए और छा गए। चुनाव परिणामों के जीवंत विश्लेषण ने उनकी शोहरत को आसमान तक पहुंचा दिया था। प्रणय रॉय के साथ उनकी जोड़ी ने पूरे भारत को सम्मोहित कर रखा था।
दरअसल, विनोद दुआ का अपना विशिष्ट अंदाज़ था। इसमें उनका बेलागपन और दुस्साहस शामिल था। जनवाणी कार्यक्रम में वे मंत्रियों से जिस तरह से सवाल पूछते या टिप्पणियां करते थे, उसकी कल्पना करना उस ज़माने में एक असंभव सी बात थी।
बेटी ने लिखा, माता-पिता स्वर्ग में साथ-साथ घूमेंगे
हम जैसे लोग जिन्होंने विनोद दुआ को दूरदर्शन पर देख उनके साथ खुद को जोड़ा था। और अब 2021 के 4 दिसंबर को विनोद दुआ चले गए। दुनिया छोड़कर। बेटी मल्लिका दुआ ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर लिखा है, “अब उनके माता-पिता स्वर्ग में साथ-साथ घूमेंगे। उनके निधन पर सोशल मीडिया में भी संदेशों का तांता लगा है।
मुझे पता नहीं विनोद दुआ ‘स्वर्ग’ जैसी किसी अवधारणा में यकीन रखते थे भी या नहीं। लेकिन यह तो तय है कि हर किसी की अपनी शख्सियत होती है। वे अपने जीवन कर्म से तय करते हैं कि उन्हें कैसे याद किया जाए। इस लिहाज से भी विनोद दुआ ने अगस्त 2018 की एक तारीख को खुद एक ऐसी लाइन खींच दी थी कि यह तय करना मुश्किल हो रहा कि उन्हें कैसे याद किया जाए।
श्रद्धांजलियों को बताया था पाखंड
उन्होंने कहा था, “हमारे यहाँ एक बहुत बड़ा पाखंड होता है, दिखावा होता है कि जो दिवंगत हो जाए, जो इस दुनिया में न रहे, जिसका देहांत हो जाए, उसको अचानक से महापुरुष बना दिया जाता है। फिर जिस तरह से श्रद्धांजलियां दी जाती हैं, ये समझा जाता है कि दिस इज पॉलिटिकली करेक्ट टू प्रेज अ पर्सन आफ्टर हिज गोन।”
दूरदर्शन और एनडीटीवी जैसे समाचार चैनलों के लिए सेवाएं दे चुके विनोद दुआ हिंदी पत्रकारिता के जाने-माने चेहरे थे। दुआ की पत्नी डॉक्टर पद्मावती ‘चिन्ना’ दुआ का कोविड-19 के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने के बाद जून में निधन हो गया था।
विनोद दुआ और उनकी पत्नी डॉक्टर पद्मावती को इसी साल अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर में COVID-19 पॉजिटिव होने के बाद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद डॉक्टर पद्मावती का कोरोना से निधन हो गया था। इसके बाद से विनोद दुआ की हालत में भी कोई खास सुधार नहीं आया। उन्हें कई बार हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा चुका था।