Indian Labor: सेंचुरी कम्पनी के श्रमिकों की एक और मुसीबत का पता चला है। आरोप है कि कंपनी के मालिक कुमार मंगलम बिरला के इशारे पर ही मजदूरों को परेशान किया जा रहा है। और सरकार भी कंपनी मैनेजमेंट का ही साथ दे रही है।
Indian Labor: समस्या सत्राटी गांव की श्रमिक कॉलोनी के श्रमिकों की
अंकित तिवारी
खरगोन, मध्य प्रदेश। Indian Labor: समस्या सत्राटी गांव की श्रमिक कॉलोनी के श्रमिकों की है। वहां 200 से ज्यादा श्रमिक रहते हैं। रात्रि नौ बजे ही सिक्योरिटी गार्ड कॉलोनी के गेट पर ताला लगा कर चला जाता है। सुबह सात बजे ही ताला खोला जाता है। इन हालात में अगर किसी की तबीयत खराब हो जाए तो वह स्वास्थ्य सुविधा के लिए कैसे बाहर जा पाएगा?
श्रमिक इसे बिरला मैनेजमेंट और मनजीत ग्लोबल की तानाशाही बता रहे हैं। क्योंकि कसरावद कोर्ट का आदेश है कि गेट खुला रहना चाहिए। कोर्ट के आदेश का भी पालन न किया जाना समझ से परे है।
अदालत से मिली थी श्रमिकों को बड़ी जीत
सेंचुरी के श्रमिकों को अदालत से बड़ी जीत मिली थी। सिविल कोर्ट कसरावद के आदेश से सेंचुरी मिल प्रबंधन की मनमानी को बड़ा झटका लगा था। अदालत ने प्रबंधन को आदेश दिया था कि श्रमिकों के लिए बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल की जाए।
आम तौर पर माना जाता है कि कमजोर तबके के लोगों को अदालतों में देर से न्याय मिल पाता है या मिलता ही नहीं। क्योंकि पूंजीपति अपनी बेपनाह दौलत का इस्तेमाल करके अदालतों को आसानी से गुमराह कर ले जाते हैं। अखबार कर्मचारियों के लिए मजीठिया वेजबोर्ड कुछ इन्हीं परिस्थितियों की वजह से लागू नहीं हो पा रहा है।
लेकिन सेंचुरी मिल प्रबंधन किस कदर श्रमिकों को परेशान करता है, उसका एक ज्वलंत उदाहरण सामने आया। श्रमिक कैसे अदालत का दरवाजा खटखटा कर जीत हासिल कर सकते हैं, वह भी एक मिसाल है।
श्रमिकों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए पिछले 29 जून को सेंचुरी मिल प्रबंधन ने वीआरएस यानी स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति का नोटिस लगा दिया था। लेकिन 874 कर्मचारियों और श्रमिकों ने वीआरएस लेने से इनकार कर दिया था।
वीआरएस न लेने पर परेशान करने लगा प्रबंधन
जिन श्रमिकों और कर्मचारियों ने वीआरएस लेने से इनकार कर दिया था, सेंचुरी मैनेजमेंट और मनजीत मैनेजमेंट के इशारे पर उनके कमरे की बिजली काट दी गई। पानी सप्लाई को भी बाधित कर दिया गया। यही नहीं, सामूहिक शौचालय की साफ-सफाई भी बंद करवा दी गई।
कॉलोनी गेट पर अधिकांश समय ताला लगा कर मैनेजमेंट उन्हें परेशान करने लगा। प्रशासनिक अधिकारियों से निवेदन करने के बाद भी बिजली, पानी, साफ सफाई और रास्ता बहाली की समस्या का समाधान नहीं हो सका।
और कोर्ट चले गए सेंचुरी के श्रमिक
अंत में सेंचुरी श्रमिकों को कोर्ट का सहारा लेना पड़ा। श्रमिक और प्रबंधन के पक्ष को सुनने के बाद सिविल कोर्ट कसरावद ने पिछले 23 दिसंबर को मजदूरों के हित में फैसला सुना दिया। अदालत ने रास्ता, बिजली और पानी बहाल करने का आदेश दे दिया।
सेंचुरी श्रमिकों का संगठन श्रमिक जनता संघ के सचिव संजय चौहान के साथ राजकुमार दुबे, नवीन मिश्रा और संतलाल की ओर से सेंचुरी मैनेजमेंट और मनजीत मैनेजमेंट के विरुद्ध सिविल कोर्ट कसरावद में याचिका लगाई गई थी। एडवोकेट अबरार खान ने पैरवी करके जीत दिलाई।
कसरावद के एसडीएम ने उक्त आदेश की छाया प्रति के साथ तत्काल मनजीत ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड, सत्राटी को न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिए नोटिस जारी किया था।