
Indian Music: सिंगर निर्माता निर्देशक रविंद्र सिंह ने अपनी नई एल्बम “बारफों में” रिलीज़ की है। उसकी शूटिंग लद्दाख में की गई। इस गाने में लद्दाख को बहुत ख़ूबसूरती से दिखाया गया है।
Indian Music: रविंद्र सिंह के कई और संगीत वीडियो होंगे लॉन्च
इंफोपोस्ट न्यूज
Indian Music: रविन्द्र सिंह ने बताया कि एलबम के कई दृश्य तो देखते ही मन को मोह लेते हैं। वह कई और संगीत वीडियो लॉन्च करने जा रहे हैं। जैसे ठंडक सी है, वो ना आएंगे, सारा सारा दिन और एक अकेला। कुछ एल्बम में उनके साथ ऋचा शर्मा भी हैं।
एक अकेला एल्बम रविंद्र सिंह के जीवन से प्रेरित है, जो जल्द ही लांच होने वाली है। रविंद्र सिंह ने तेरा मिलना, इस क़दर प्यार है, तेरा नूर, दो लफ़्ज़ों की है, ओ दिलरुबा, कोई दिल कहां पे, कुछ ख़्वाब, कोई फ़रियाद, वादा जैसे कई खूबसूरत गाने गाए हैं। उन्होंने कोविड के चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भी गाने गाए और लॉन्च किए। दर्शकों ने खूब सराहा।
भारतीय संगीत की समृद्ध परम्परा
बता दें कि प्रागैतिहासिक काल से ही भारत में संगीत की समृद्ध परम्परा रही है। गिने-चुने देशों में ही संगीत की इतनी पुरानी और समृद्ध परम्परा है। माना जाता है कि संगीत का प्रारम्भ सिंधु घाटी की सभ्यता के काल में हुआ। हालांकि इस दावे के एकमात्र साक्ष्य हैं उस समय की एक नृत्य बाला की मुद्रा में कांस्य मूर्ति और नृत्य, नाटक और संगीत के देवता की पूजा का प्रचलन।
सिंधु घाटी की सभ्यता के पतन के बाद वैदिक संगीत का शुभारंभ हुआ। इस संगीत की शैली में भजनों और मंत्रों के उच्चारण से ईश्वर की पूजा और अर्चना की जाती थी। इसके अतिरिक्त दो भारतीय महाकाव्यों रामायण और महाभारत की रचना में संगीत का मुख्य प्रभाव रहा।
संगीत की शैली और पद्धति में परिवर्तन
भारत में सांस्कृतिक काल से लेकर आधुनिक युग तक आते-आते संगीत की शैली और पद्धति में जबरदस्त परिवर्तन हुआ है। भारतीय संगीत के इतिहास के महान संगीतकारों जैसे कि स्वामी हरिदास, तानसेन, अमीर खुसरो आदि ने भारतीय संगीत की उन्नति में बहुत योगदान किया। उसी की कीर्ति को पंडित रवि शंकर, भीमसेन गुरुराज जोशी, पंडित जसराज, प्रभा अत्रे, सुल्तान खान आदि संगीत प्रेमियों ने आज के युग में भी कायम रखा।
भारतीय संगीत में यह माना गया है कि संगीत के आदि प्रेरक शिव और सरस्वती है। इसका तात्पर्य यही जान पड़ता है कि मानव इतनी उच्च कला को बिना किसी दैवी प्रेरणा के, केवल अपने बल पर, विकसित नहीं कर सकता। हमारी उसी परंपरा को आज के संगीतकार अपने अपने तरीके से विकसित कर रहे हैं।