Indian Religion: सनातन धर्म पृथ्वी का सबसे प्राचीन धर्म है। और यह बात सभी धर्म स्वीकार भी करते हैं। लेकिन पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में युवा पीढ़ी धर्म से विमुख है।
Indian Religion: सनातन धर्म पृथ्वी का सबसे प्राचीन धर्म
इंफोपोस्ट न्यूज
नोएडा, उत्तर प्रदेश। Indian Religion: चिपियाना बुजुर्ग में आयोजित श्रीमद भागवत कथा सप्ताह में अद्विक आर्या सेवा संस्थान की ओर से सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए श्रीमद भगवत गीता का वितरण किया गया।
संस्था के अध्यक्ष अतुल मिश्रा ने कहा कि सनातन धर्म पृथ्वी का सबसे प्राचीन धर्म है। और यह बात सभी धर्म स्वीकार भी करते हैं। लेकिन आज पाश्चात्य संस्कृति की वजह से युवा पीढ़ी धर्म से विमुख हो चुकी है।
युवा पीढ़ी के लिए सनातन धर्म का प्रचार प्रसार
इसलिए हमारी संस्था ने निर्णय लिया है कि हम धार्मिक आयोजनों में श्रीमद् भगवत गीता पुस्तक का वितरण करेंगे। इसी कड़ी में आज हमने चिपयाना बुजुर्ग में आयोजित भगवत गीता सप्ताह में भगवत गीता की 101 पुस्तक वितरित की है।
यह सिलसिला आगे भी चलता रहेगा। इस अवसर पर महेंद्र उपाध्याय, बीनू शर्मा, आशीष चौहान, अजीत मिश्रा, सुजीत मिश्रा, योगेश पटनी आदि साथ रहे।
भगवान श्रीकृष्ण का उपदेश ही गीता
बता दें कि, महाभारत युद्ध आरम्भ होने से ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया, वही श्रीमद्भगवदगीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है। गीता में 18 अध्याय और 679 श्लोक हैं।
गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है। जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं। अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है।
उपनिषदें गाय और गीता उसका दुग्ध
उपनिषदों को गौ (गाय) और गीता को उसका दुग्ध कहा गया है। इसका तात्पर्य यह है कि उपनिषदों की जो अध्यात्म विद्या थी, उसको गीता सर्वांश में स्वीकार करती है।
उपनिषदों की अनेक विद्याएँ गीता में हैं। जैसे, संसार के स्वरूप के संबंध में अश्वत्थ विद्या, अनादि अजन्मा ब्रह्म के विषय में अव्ययपुरुष विद्या, परा प्रकृति या जीव के विषय में अक्षरपुरुष विद्या और अपरा प्रकृति या भौतिक जगत के विषय में क्षरपुरुष विद्या।
वेदों का ब्रह्मवाद और उपनिषदों का अध्यात्म
इस प्रकार वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म, इन दोनों की विशिष्ट सामग्री गीता में संनिविष्ट है। उसे ही पुष्पिका के शब्दों में ब्रह्मविद्या कहा गया है।
महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब श्री कृष्ण उन्हें उपदेश देते हैं। और कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं। श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को “भगवत गीता” नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है।